Sawan 2025: प्राचीन काल से ही लोक संस्कृति और धर्म से सावन का गहरा नाता रहा है. कहा जाता है कि सावन मास भगवान शिव को विशेष रूप से प्रिय है. स्वामी कैलाशानंद गिरी के अनुसार सावन के त्योहार एक तरीका हैं अपनी विरासत को सहेज कर रखने का, अपनी पुरातन संस्कृति में फिर से रच-बस जाने का. सावन और शिव की महीमा का अद्भुत वर्णन स्वामी कैलाशानंद गिरी से जानें.
शिव की महिमा
स्वामी कैलाशानंद गिरी के अनुसार सावन के महीने में शिव जी हरिद्वार में रहते हैं. सावन में जो महादेव की सेवा करता है उसके भाग्य जाग जाते हैं. मां सरस्वती स्वंय कहती है लिखति यद गहितवा शारदा सर्वकालम तदप तब गुणान नामी स पार नयाति। अर्थात मां सरस्वती ब्रह्मलोक में कहती हैं कि अगर मैं शिव जी की महिमा को लिखना चाहूं तो भी नहीं लिख सकती है. क्योंकि शिव ज्ञान का वेद हैं, संगीत के स्वर हैं, देवताओं के रक्षक, असुरों के सहायक, मानवों के आदर्श, गृsहस्थ, महायोग, रुद्र, तपस्वी आदि हैं. उनके जीवन का वर्णन नहीं किया जा सकता. शिव आदिगुरु हैं, शिव को समझे बिना आत्म तत्व को समझ पाना संभव नहीं है.
कैसे मिलेंगे शिव ?
शिव जी पर गंगाजल चढ़ाने का महत्व बताते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी जी कहते हैं जे गंगा जल आ चढ़ावा अर्थात पवित्र शिवलिंग (देव या संत महात्वा द्वारा स्थापित शिवलिंग, स्वंयभ शिवलिंग) पर परंपारागत गंगालकर लाकर शुभ समय में चढ़ाता है तो वो शिव जी का प्रिय भक्त बन जाता है, उसकी सारी मनोकामनाएं महादेव पूरी करते हैं. इसलिए महादेव को गंगाजल अत्यंत प्रिय है.
शिव जी को क्या नहीं पसंद
स्वामी कैलाशानंद गिरी के अनुसार सज्जनों का अपमान और राम जी की निंदा करना शिव जी को पसंद नहीं. उनके अनुसार शिव जी को पाना है तो राम जी की सेवा, पूजन आवश्यक है.
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