Multiplexes movie ticket prices fix Government: मल्टीप्लेक्स में अब नई फिल्म देखने के लिए प्रति टिकट 200 रुपये से ज्यादा नहीं देने पड़ेंगे। कर्नाटक सरकार ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी कर दिया है। सरकार के इस फैसले से दर्शकों को सिनेमाघरों में आने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है। वहीं, मल्टीप्लेक्स के पिछले विरोध के बावजूद दर्शकों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। वहीं, कर्नाटक में सभी सिनेमाघरों में फिल्म टिकटों की कीमत पर प्रस्तावित 200 रुपये की सीमा का पीवीआर-आईनॉक्स पर गहरा असर पड़ने की आशंका है।
Karnataka Government orders fixing the price for the movie tickets across the state including multiplexes. The prices of tickets should not exceed Rs 200 inclusive of entertainment tax. pic.twitter.com/CVOQjNTvHv
—विज्ञापन—— ANI (@ANI) July 15, 2025
सभी सिनेमाघरों पर नया नियम लागू
कर्नाटक सरकार ने मल्टीप्लेक्स सहित सिनेमाघरों में क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों के लिए सिनेमा टिकट की कीमत 200 रुपये तक सीमित कर दी है। राज्य के मल्टीप्लेक्स समेत सभी सिनेमाघरों पर नया नियम लागू हो गया है। सरकार के फैसले से पीवीआर-आईनॉक्स पर असर पड़ना तय है, क्योंकि उनके राजस्व और EBITDA में संभावित रूप से कमी आएगी। सिनेमा को और अधिक सुलभ बनाने के उद्देश्य से उठाए गए इस कदम का उद्योग जगत विरोध कर रहा है। वे सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती दे सकते हैं। उनका तर्क है कि प्रीमियम प्रारूपों के लिए लचीली कीमतें ज़रूरी हैं, क्योंकि सामग्री की गुणवत्ता दर्शकों की संख्या बढ़ाती है। कर्नाटक में पहले भी ऐसा हो चुका है, लेकिन मल्टीप्लेक्स मालिकों की कानूनी चुनौती के बाद 2017 की पूर्व सीमा हटा दी गई थी।
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बजट भाषण में की गई घोषणा के बाद फैसला
कर्नाटक सरकार ने यह फैसला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा अपने बजट भाषण में की गई घोषणा के बाद लिया गया है। इस पहल का उद्देश्य टिकटों की कीमतों को बढ़ने से रोकना है और अधिक दर्शकों को सिनेमाघरों में कन्नड़ और अन्य भाषाओं की फ़िल्में देखने के लिए प्रोत्साहित करना है। मूल्य सीमा को औपचारिक रूप से कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) नियम, 2014 में संशोधन के माध्यम से लागू किया गया था। नए उप-नियम में कहा गया है कि राज्य में किसी भी भाषाई फिल्म के लिए टिकट की कीमत मनोरंजन कर सहित 200 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह कदम मल्टीप्लेक्स में टिकटों की ऊंची कीमतों की शिकायतों को दूर करने के लिए उठाया गया है।
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2017 में इसी तरह की सीमा लागू
सिद्धारमैया के पहले कार्यकाल में 2017 में इसी तरह की सीमा लागू करने के प्रयासों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। मल्टीप्लेक्स मालिकों ने राजस्व हानि को लेकर चिंता जताई थी और कर्नाटक उच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दी थी, जिसके परिणामस्वरूप यह सीमा हटा दी गई थी। इस बार, यह देखना बाकी है कि मल्टीप्लेक्स इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। 15 जुलाई को जारी इस हालिया आदेश पर गृह विभाग के कारागार एवं सिनेमा अनुभाग में राज्य सरकार के अवर सचिव ने हस्ताक्षर किए हैं। यह नियामक परिवर्तन क्षेत्रीय फिल्म उद्योग को समर्थन देने की सरकार की रणनीति के अनुरूप है ।
अधिक दर्शकों को आकर्षित करेगा फैसला
कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स और कर्नाटक फिल्म प्रदर्शक संघ ने अपना समर्थन व्यक्त किया है। उनका मानना है कि यह सीमा मल्टीप्लेक्स दिग्गजों के पिछले विरोध के बावजूद, कन्नड़ फिल्मों के लिए सिनेमाघरों में अधिक दर्शकों को आकर्षित करने में मदद करेगी। मल्टीप्लेक्स पहले भी संभावित राजस्व प्रभावों को लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। इस सीमा का उद्देश्य सिनेमा को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाना है, जिससे संभवतः सिनेमाघरों में दर्शकों की संख्या बढ़ेगी और क्षेत्रीय फिल्मों का बेहतर प्रतिनिधित्व होगा। यह देखना बाकी है कि इस नीति को कितनी प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है।
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