गोल्ड-सिल्वर ETF की वैल्यूएशन में बड़ा बदलाव चाहता है SEBI, जनता से कहा 6 अगस्त तक दीजिए अपनी राय SEBI ने प्रस्ताव रखा है कि अब सोने और चांदी की वैल्यूएशन के लिए भारतीय कमोडिटी एक्सचेंजों पर उपलब्ध “स्पॉट प्राइस” को सीधे आधार बनाया जाए. गोल्ड-सिल्वर ETF से जुड़ी बड़ी खबर

अब तक भारत में गोल्ड और सिल्वर ETF की वैल्यूएशन का आधार लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) की कीमतें होती थीं. यानी, इन म्यूचुअल फंड्स में जो फिजिकल गोल्ड या सिल्वर रखा जाता है, उसकी कीमत डॉलर प्रति औंस के हिसाब से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय होती थी. फिर उस डॉलर की कीमत को भारतीय रुपये में बदला जाता था, उसमें कस्टम ड्यूटी, टैक्स और घरेलू प्रीमियम/डिस्काउंट जोड़ा जाता था, तब जाकर ETF की वैल्यू यानी NAV तय होती थी.

क्या दिक्कतें आ रही थीं इस प्रक्रिया में?

SEBI ने कहा है कि इस पुराने सिस्टम में कई स्तरों पर कैलकुलेशन करनी पड़ती है, जिससे एकरूपता की कमी रहती है. अलग-अलग एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMCs) अलग-अलग फॉर्मूला अपनाती थीं, कोई हर दिन प्रीमियम/डिस्काउंट जोड़ता था, कोई हफ्ते में, तो कोई महीने में. इससे एक ही तरह के फंड्स के NAV में फर्क दिखता था, जो निवेशकों के लिए भ्रम की स्थिति पैदा करता था.

SEBI क्या बदलाव चाहता है?

SEBI ने प्रस्ताव रखा है कि अब सोने और चांदी की वैल्यूएशन के लिए भारतीय कमोडिटी एक्सचेंजों पर उपलब्ध “स्पॉट प्राइस” को सीधे आधार बनाया जाए. ये स्पॉट प्राइस देश के अलग-अलग ट्रेडर्स, प्रोसेसर्स, इम्पोर्टर्स आदि से पूछकर इकट्ठा किए जाते हैं, जो कि घरेलू मांग और आपूर्ति को दर्शाते हैं. ऐसे में यह तरीका घरेलू बाजार के ज्यादा करीब माना जाएगा.

नया तरीका कैसे काम करेगा?

नए प्रस्ताव में कहा गया है कि LBMA की विदेशी कीमत और फिर उसका ट्रांसफॉरमेशन करने की बजाय, सीधे भारत के एक्सचेंज जैसे MCX या अन्य कमोडिटी एक्सचेंज द्वारा प्रकाशित स्पॉट प्राइस को अपनाया जाए. इससे न सिर्फ वैल्यूएशन की प्रक्रिया आसान होगी, बल्कि सभी AMCs एक जैसे नियम अपनाएंगी, जिससे ETF में निवेश करने वाले निवेशकों को ज्यादा भरोसा मिलेगा.

क्या होगा निवेशकों को फायदा?

इस बदलाव से म्यूचुअल फंड निवेशकों को ट्रांसपेरेंसी मिलेगी, क्योंकि अब NAV घरेलू कीमतों पर आधारित होगी. इसके अलावा, निवेशकों को यह समझना आसान होगा कि गोल्ड या सिल्वर ETF की कीमत क्यों बढ़ी या घटी. साथ ही, अलग-अलग फंड हाउसों की NAV में अंतर भी कम हो जाएगा.

SEBI ने मांगी लोगों की राय

SEBI ने इस प्रस्ताव पर 6 अगस्त 2025 तक आम जनता से सुझाव मांगे हैं. लोग ऑनलाइन पोर्टल के जरिए अपनी राय भेज सकते हैं. इसके साथ ही, SEBI ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि स्पॉट प्राइस कैसे तय किए जाएं, इसकी प्रक्रिया को भी और पारदर्शी बनाया जाए.

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