महाराष्ट्र की राजनीति में आज एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है. रिपब्लिकन सेना के प्रमुख आनंदराव आंबेडकर और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने आज अपने गठबंधन की औपचारिक घोषणा करने जा रहे हैं.
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के पौत्र और वंचित बहुजन आघाडी के नेता प्रकाश आंबेडकर के छोटे भाई आनंदराव आंबेडकर ने इस गठबंधन की जानकारी एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए दी जाएगी.
BMC चुनावों के मद्देनजर अहम हो सकता है गठबंधन
यह गठबंधन खासतौर पर आगामी स्थानीय निकाय और नगर निगम चुनावों के मद्देनजर अहम माना जा रहा है. बाल ठाकरे और रामदास अठावले द्वारा सालों पहले दिए गए “भीम शक्ति और शिव शक्ति” के नारे को अब एकनाथ शिंदे और आनंदराव आंबेडकर ने फिर से जीवित करेंगे. विश्लेषकों के मुताबिक, यह नई एकता राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच मराठी वोटरों के ध्रुवीकरण को रोकने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखी जा रही है, जो पहचान की राजनीति पर आधारित संभावित पुनर्मिलन की ओर बढ़ सकते हैं.
क्या गठबंधन मुख्यधारा की राजनीति में होगा कारगर?
राजनीतिक दृष्टिकोण से यह गठबंधन शिंदे गुट की शिवसेना को दलित और वंचित तबकों में पैठ बनाने में मदद करेगा, जो अभी तक कांग्रेस और एनसीपी जैसी पार्टियों का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता रहा है. वहीं, रिपब्लिकन सेना को भी इससे बड़ा राजनीतिक मंच मिलेगा, जिससे उन्हें मुख्यधारा की राजनीति में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा.
आंबेडकरवादी विचारधारा के तहत यह साझेदारी न केवल राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेगी, बल्कि वंचित और पिछड़े वर्गों को एकजुट कर उन्हें आवाज़ देने का भी काम करेगी. अब देखना यह होगा कि यह गठबंधन आने वाले चुनावों में किस हद तक प्रभावशाली साबित होता है और महाराष्ट्र की राजनीति में क्या नया मोड़ लाता है.
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