Lok sabha new attendance system: संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा। सत्र के शुरू होने से पहले लोकसभा में नए अटेंडेंस सिस्टम को लेकर विवाद शुरू हो गया है। दरअसल, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोकसभा में उपस्थिति दर्ज कराने की नई प्रणाली से प्रधानमंत्री और मंत्रियों को छूट देने का आरोप लगाया है। इसके साथ सिस्टम की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं।
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लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक माणिकम टैगोर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “लोकसभा सीटों से उपस्थिति दर्ज करने के लिए नया मल्टीमीडिया उपकरण इसी मानसून सत्र में शुरू किया जाएगा। लेकिन हम वक्फ चुनाव के दौरान इसे पहले ही विफल होते देख चुके हैं—जहाँ यह प्रणाली विश्वसनीय रूप से काम नहीं कर पाई। एक दोषपूर्ण प्रणाली को क्यों दोहराया जाए? अगर उपस्थिति दर्ज करना पारदर्शिता और जवाबदेही से जुड़ा है, तो प्रधानमंत्री और मंत्रियों को इससे छूट क्यों दी गई है? क्या प्रधानमंत्री को प्रक्रिया से ऊपर रहने के बजाय उदाहरण पेश नहीं करना चाहिए? इससे पता चलेगा कि प्रधानमंत्री वास्तव में लोकसभा में कितने दिन उपस्थित रहते हैं— आमतौर पर एक सत्र में 18 से 28 दिनों में से केवल 3 से 4 दिन।”
कांग्रेस सांसद ने आगे लिखा, ‘केवल उपस्थिति को डिजिटल बनाने के बजाय, हमें प्रणालीगत सुधारों की आवश्यकता है: सभी के लिए अनिवार्य उपस्थिति… पारदर्शी भागीदारी मापदंड… भाषण रिकॉर्ड और मतदान व्यवहार का स्वतः प्रकाशन… डिजिटल उपकरण उतने ही अच्छे होते हैं जितना कि उनके पीछे का उद्देश्य। अगर जवाबदेही चयनात्मक है, तो प्रणाली अपने उद्देश्य को विफल कर देती है।”
The new multimedia device for marking attendance from Lok Sabha seats will be rolled out this Monsoon Session.
But we already saw it fail during the Waqf vote—where the system didn’t function reliably.
Why repeat a flawed system?If attendance marking is about transparency and…
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— Manickam Tagore .B🇮🇳மாணிக்கம் தாகூர்.ப (@manickamtagore) July 15, 2025
बता दें कि लोकसभा में आगामी मानसून सत्र से सदस्यों के लिए उपस्थिति दर्ज कराने की नई व्यवस्था शुरू होने जा रही है। इसके तहत वे लॉबी में जाकर नहीं, बल्कि अपनी आवंटित सीट पर ही उपस्थिति दर्ज करा सकेंगे। नई डिजिटल अटेंडेंस व्यवस्था के तहत सदस्यों के पास अटेंडेंस लगाने के लिए तीन विकल्प रहेंगे। इनमें बायोमेट्रिक, पिन नंबर और कार्ड सिस्टम होगा। इसमें से वह चाहे किसी एक सिस्टम से अपने सदन में आने की उपस्थिति दर्ज करा सकेंगे। मंत्रियों और नेता प्रतिपक्ष को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए हस्ताक्षर करने की जरूरत नहीं है।
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