कर्नाटक। रूसी महिला नीना कुटीना (Russian Woman Nina Kutina) कर्नाटक के गोकर्ण गुफा (Gokarna Cave) के पास जंगल में अपनी दो बेटियों, 6 साल की प्रेमा और 4 साल की अमा के साथ रहती हुई मिलीं। लगभग आठ साल से बिना किसी कानूनी दस्तावेज़ या स्थायी ठिकाने के जी रही कुटीना की कहानी ने प्रशासन को चौंका दिया और सोशल मीडिया पर काफी चर्चा बटोरी। इसकी जानकारी कर्नाटक पुलिस (Karnataka Police) को लगी तो एक टीम महिला के पास भेजी गई। कर्नाटक पुलिस (Karnataka Police) महिला को वहां से निकालने में सफल रही। पुलिस ने बताया कि जिस जगह महिला रह रही थी, वहां भूस्खलन का खतरा रहता है, साथ ही कई जहरीले सांप भी वहां पाए जाते हैं।
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क्या बोली महिला?
हालांकि अब महिला नीना कुटीना (Russian Woman Nina Kutina) खुद सामने आई है और समाचार एजेंसी से बात करते हुए 40 साल की महिला नीना कुटीना उर्फ मोही ने कहा कि हमें जंगल में रहने का अच्छा अनुभव था। हम वहां मर नहीं रहे थे और न ही मैंने अपने बच्चों को वहां मरने के लिए लाया था। मेरे बच्चे खुश थे, वे झरने में नहाते थे, तैरते थे और अच्छी जगह पर सोते थे।
#GokarnaPolice of #uttarakannada found a #Russianwoman #Nina_Kutina and her daughters aged #6and4years living in a #cave in a forest, Her #Visa had expired way back in 2017 and was #overstaying. She has been referred to #FRROfor deportation.#pramod #gokarna pic.twitter.com/XsF2U8CxqB
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— Pramod (@pramodankolaVK) July 12, 2025
महिला ने कहा कि हम वहां मिट्टी से आकृतियां बनाते थे, पेंटिंग करते थे। हम अच्छा खाना बनाते और खाते थे। मैं कोई पागल नहीं हूं। हम वहां भूख से भी नहीं मर रहे थे। जो बताया जा रहा है, वह सही नहीं है। नीना ने बताया कि प्रकृति के प्रति प्रेम के कारण उन्होंने लगभग 20 देशों के जंगलों में जीवन बिताया है और यह गुफा किसी घने जंगल में नहीं थी, बल्कि गांव के पास थी और वहां रहना खतरनाक नहीं था।
हाल ही में खत्म हुआ है वीजा’
नीना ने कहा कि यह जगह खतरनाक नहीं थी। हमने वहां कई बार सांप देखे, लेकिन कई बार सांप तो लोगों के घरों, किचन और बेडरूम में भी पहुंच जाते हैं। यह वैसा ही था। वीजा को लेकर नीना ने कहा कि मेरा वीजा अभी एक्सपायर नहीं हुआ है, वे झूठ बोल रहे हैं क्योंकि उन्होंने मेरा पुराना पासपोर्ट देखा है। नीना का कहना है कि उसका वीजा हाल ही में खत्म हुआ है। साल 2017 में वह भारत आई थीं और उसके बाद वह चार देशों की यात्रा कर चुकी हैं। इसके बाद वह वापस भारत लौटीं। इस दौरान उनके बड़े बेटे की मौत भी हो गई।
जानवरों से नहीं, बल्कि इंसानों से डर लगता है
कुटीना का मानना था कि आध्यात्मिक ऊर्जा उनके परिवार की रक्षा करती है, और उसने ज़ोर देकर कहा कि उसे डर जानवरों से नहीं, बल्कि इंसानों से लगता है। कुटीना ने अपनी बेटियों की उपेक्षा या किसी तरह के खतरे की बातों को साफ़ तौर पर नकार दिया। उन्होंने कहा, कि हम जंगल के प्राकृतिक माहौल में रहने का अच्छा अनुभव ले रहे थे। हम मर नहीं रहे थे, और मैं अपनी बेटियों को जंगल में मरने के लिए नहीं लाई थी। उन्हें कभी बुरा नहीं लगा, वो बहुत खुश थीं। वे झरनों में तैरती थीं, खेलती थीं, उनके पास सोने के लिए अच्छी जगह थी। उन्हें कला सीखने का मौका मिला। हम मिट्टी से चीज़ें बनाते थे, पेंटिंग करते थे। हम अच्छा और स्वादिष्ट खाना खाते थे। मैं गैस पर खाना बनाती थी, जो उन्हें बहुत पसंद आता था।
वहीं, खबर है कि अब पुलिस महिला की जांच कर रही है। उसका वीजा कई साल पहले खत्म हो चुका है। गुफा से निकाले जाने के बाद महिला और उसके बच्चों को पहले एक आश्रम ले जाया गया, फिर कारवार के एक महिला केंद्र में ठहराया गया। बताया जा रहा है कि अब अधिकारियों ने महिला और उसके नाबालिग बच्चों को निर्वासित करने की कार्यवाही भी शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि भारत में जन्मे उनके बच्चे भी कानून के हिसाब से विदेशी माने जाते हैं। जब तक रूसी दूतावास यात्रा के लिए ज़रूरी कागज़ जारी नहीं करता, तब तक परिवार सरकारी हिरासत में ही रहेगा।
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