सुप्रीम कोर्ट ने एक मर्डर केस में करीब 21 साल एक चौंकाने वाला ऑर्डर दिया है. साल 2003 में बेंगलुरु में एक युवती ने अपने मंगेतर की हत्या कर दी थी. इसमें उसका बॉयफ्रेंड भी शामिल था. युवती ने शादी के लिए परिवार के दबाव की वजह से यह कदम उठाया था. वह एक दूसरे शख्स के साथ प्रेम में भी थी. युवती और उसके बॉयफ्रेंड को हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा हुई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस पर रोक लगा दी है.
दरअसल शुभा शंकर ने अपने प्रेमी अरुण के साथ मिलकर मंगेतर गिरीश की हत्या कर दी थी. वारदात में इनके साथ दो अन्य साथी दिनाकरन और वेंकटेश भी शामिल थे. ‘बार एंड बेंच‘ की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने शुभा और अरुण की उम्रकैद की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी है. इनकी गिरफ्तारी भी नहीं होगी. हालांकि अदलात ने दोनों को दोषी जरूर ठहराया है. कोर्ट ने इसे गलत तरीके से किया गया विद्रोह बताया है.
शुभा और अरुण की क्यों रोकी गई सजा
अदालत ने शुभा और अरुण की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है, लेकिन दोनों को आठ हफ्ते का समय दिया गया है. इस दौरान वे कर्नाटक के राज्यपाल से माफी की अपील कर सकते हैं. इसी वजह से सजा भी रोकी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को सिर्फ कानून की धाराओं के लिहाज से नहीं देखा है, बल्कि मानवीय और सामाजिक नजरिए से भी देखा है.
सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अरुण और शुभा पर क्या की टिप्पणी
जस्टिस एमएम सुंद्रेश और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि एक महत्वकांक्षी युवती पर पारिवारिक फैसला जबरन थोपा गया. इससे उसकी आवाज को दबाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मानसिक विद्रोह की वजह से एक निर्दोष की जान चली गई.
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