Shiv Shakti Rekha: केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक ही सीध में क्यों बने हैं शिव जी के 7 मंदिर, जानें रहस्य

केदारनाथ से रामेश्वरम इन दोनों ज्योतिर्लिंग के बीच अधिकतर और प्रमुख शिव मंदिर लगभग एक ही समानांतर रेखा पर स्थित है. इसे शिव शक्ति रेखा कहा जाता है. खास बात ये है कि इसमें 5 ऐसे मंदिर हैं जिन्हें जो सृष्टि के पांच तत्वों (जल, अग्नि, वायु, आकाश और धरती) का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन्हें पंच भूत कहा जाता है.

केदारनाथ से रामेश्वरम इन दोनों ज्योतिर्लिंग के बीच अधिकतर और प्रमुख शिव मंदिर लगभग एक ही समानांतर रेखा पर स्थित है. इसे शिव शक्ति रेखा कहा जाता है. खास बात ये है कि इसमें 5 ऐसे मंदिर हैं जिन्हें जो सृष्टि के पांच तत्वों (जल, अग्नि, वायु, आकाश और धरती) का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन्हें पंच भूत कहा जाता है.

ये सभी मंदिर एक ही कतार में हैं. लेकिन सभी मंदिरों की स्थापना अलग-अलग काल में हुई है. सभी मंदिर 4000 साल पहले बनाए गए थे. उस समय अक्षांश और देशांतर को मापने के लिए कोई तकनीक उपलब्ध नहीं थी. ऐसे में इन मंदिरों का इतिहास अद्भुत है.

ये सभी मंदिर एक ही कतार में हैं. लेकिन सभी मंदिरों की स्थापना अलग-अलग काल में हुई है. सभी मंदिर 4000 साल पहले बनाए गए थे. उस समय अक्षांश और देशांतर को मापने के लिए कोई तकनीक उपलब्ध नहीं थी. ऐसे में इन मंदिरों का इतिहास अद्भुत है.

शिव शक्ति रेखा की शुरुआत रुद्रप्रयाग में स्थित केदारनाथ मंदिर से होती है. ये भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इसका निर्माण जन्मेजय ने कराया था.

शिव शक्ति रेखा की शुरुआत रुद्रप्रयाग में स्थित केदारनाथ मंदिर से होती है. ये भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इसका निर्माण जन्मेजय ने कराया था.

दूसरा मंदिर है चित्तूर जिले का श्रीकालाहस्ती मंदिर, जो वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. कहते हैं विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय ने इसका निर्माण कराया था. राहु-केतु के अशुभ प्रभाव से मुक्ति के लिए यहां विशेष पूजा होती है.

दूसरा मंदिर है चित्तूर जिले का श्रीकालाहस्ती मंदिर, जो वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. कहते हैं विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय ने इसका निर्माण कराया था. राहु-केतु के अशुभ प्रभाव से मुक्ति के लिए यहां विशेष पूजा होती है.

तीसरा है तमिलनाडु का एकम्बरेश्वर मंदिर जहां शिवजी को धरती तत्व के रूप पूजा जाता है. इसका निर्माण पल्लव राजाओं ने कराया था. चौथा मंदिर तिरुवन्नामलाई में स्थित अरुणाचल मंदिर, जिसे चोलवंशी राजानों ने बनवाया था. इसे अग्नि लिंग के रूप में पूजा जाता है.

तीसरा है तमिलनाडु का एकम्बरेश्वर मंदिर जहां शिवजी को धरती तत्व के रूप पूजा जाता है. इसका निर्माण पल्लव राजाओं ने कराया था. चौथा मंदिर तिरुवन्नामलाई में स्थित अरुणाचल मंदिर, जिसे चोलवंशी राजानों ने बनवाया था. इसे अग्नि लिंग के रूप में पूजा जाता है.

पांचवां मंदिर है तिरुचिरापल्ली का जम्बुकेश्वर मंदिर जो जल तत्व का प्रतीक है.  इस मंदिर के गर्भगृह में एक प्राकृतिक जलधारा निरंतर बहती रहती है.

पांचवां मंदिर है तिरुचिरापल्ली का जम्बुकेश्वर मंदिर जो जल तत्व का प्रतीक है. इस मंदिर के गर्भगृह में एक प्राकृतिक जलधारा निरंतर बहती रहती है.

छठवां मंदिर है श्री थिल्लई नटराज मंदिर जो आकाश तत्व का प्रतीक है. ये महादेव को महादेव के नृत्य रूप नटराज को समर्पित है. शिव शक्ति रेखा के अंत में आता है रामेश्वर मंदिर जो 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है.

छठवां मंदिर है श्री थिल्लई नटराज मंदिर जो आकाश तत्व का प्रतीक है. ये महादेव को महादेव के नृत्य रूप नटराज को समर्पित है. शिव शक्ति रेखा के अंत में आता है रामेश्वर मंदिर जो 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है.

Published at : 14 Jul 2025 06:48 PM (IST)

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