क्या बांग्लादेश संबंधों को मधुर बनाने की कर रहा कोशिश? यूनुस की ‘मैंगो डिप्‍लोमैसी’, PM मोदी को भिजवाए ‘खास’ आम

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने भारत के साथ ‘मैंगो डिप्‍लोमैसी’ की शुरुआत की है। यह पहल विदेश मंत्रालय के उस बयान के कुछ हफ्ते बाद की गई है जिसमें कहा गया था कि नई दिल्ली ढाका के साथ सभी मुद्दों पर ‘अनुकूल’ माहौल में चर्चा करने को तैयार है। दोनों पड़ोसियों के बीच सद्भावना के तौर पर ढाका ने प्रसिद्ध ‘हरिभंगा’ आम की 1,000 किलो की एक खेप भेजी है। बांग्लादेशी दैनिक डेली सन के अनुसार, नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के अधिकारी ने बताया कि यह खेप सोमवार को नई दिल्ली पहुंचेगी। साथ ही मुहम्मद यूनुस ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को भी आम भेजे हैं।

बैंकॉक में हुई थी पीएम मोदी और यूनुस की मुलाकात

प्रधानमंत्री मोदी और यूनुस की पिछली मुलाकात अप्रैल में बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी, जो बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद उनकी पहली आमने-सामने की मुलाकात थी। उस वक्त प्रधानमंत्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के प्रति भारत के समर्थन को दोहराया था। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत संबंधों के लिए जन-केंद्रित दृष्टिकोण में विश्वास करता है और दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग पर प्रकाश डाला, जिससे दोनों देशों के लोगों को ठोस लाभ हुआ है।

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यूनुस ने भेजे बांग्‍लादेश के हाई क्‍वालिटी आम

हरिभंगा आम बांग्लादेश से आने वाले आमों की एक उच्च-गुणवत्ता वाली किस्म है। बताया जा रहा है कि हरिभंगा की 1,000 किलोग्राम की खेप सोमवार को नई दिल्ली पहुंचेगी। ये आम कुछ दिनों में भारतीय प्रधानमंत्री कार्यालय के गणमान्य व्यक्तियों, राजनयिकों और बाकी अधिकारियों के साथ भी साझा किए जाएंगे।

यूनुस की ‘मैंगो डिप्लोमेसी’

आम भेजने की प्रथा पिछली सरकारों के समय से चली आ रही है, लेकिन पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में हुए बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बाद पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से ढाका और नई दिल्ली के बीच संबंध खराब हो गए हैं। हसीना सरकार के नई दिल्ली के साथ घनिष्ठ संबंध थे। हालांकि, बांग्लादेश की नई कार्यवाहक सरकार ने चीन और पाकिस्तान को साधने का रास्ता चुना, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा मिला। बीजिंग वर्षों से भारतीय उपमहाद्वीप में अपना प्रभाव फैलाने की कोशिश कर रहा है। हथियारों के सौदों और ऋणों के जरिए चीन पाकिस्तान और बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, जिसका उद्देश्य बीजिंग के साथ अपने हितों को जोड़ना है। ऐसे में कूटनीतिक अशांति के बीच, बांग्लादेश की ‘मैंगो डिप्लोमेसी’  को भारत के साथ संबंधों को मधुर बनाने की दिशा में ढाका के कदम के रूप में देखा जा रहा है।

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