सूर्य में भयंकर विस्फोट का अलर्ट! क्या है Solar Maximum, सौर तूफान उठा तो धरती पर कैसे पड़ेगा असर?

Solar Maximum Explainer: सूर्य धरती पर जीवन चक्र चलाए रखने के लिए अनिवार्य है, लेकिन यही सूर्य धरती के लिए विनाशकारी भी साबित हो सकता है, क्योंकि सूर्य आजकल भयानक तरीके से धधक रहा है। 11 साल में एक बार सूर्य उस चरम स्थिति पर पहुंचता है, जहां सूर्य की सतह पर सनस्पॉट्स बढ़ जाते हैं। इसके चलते सूर्य की सतह पर विस्फोट हो सकते हैं। भयंकर सौर तूफान, भू-चुंबकीय तूफान और सोलर फ्लेयर्स उठ सकते हैं। कोरोनल मास इजेक्शन्स (CMEs) होने लगते हैं। वैज्ञानिक सूर्य की इस स्थिति को सोलर मैक्सिमम कहते हैं। सूर्य पर रिसर्च करने के लिए लॉन्च किया गया NASA का पार्कर सोलर प्रोब सूर्य पर नजर रखे हुए है। NOAA का SWFO-L1 सैटेलाइट भी सोलर मैक्सिमम को ऑब्जर्व कर रहा है। नासा समेत दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां सूर्य की स्थिति की निगरानी कर रही हैं, ताकि किसी भी तरह के खतरे का पहले से पता चल सके।

 

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अक्टूबर 2024 में हुई थी शुरुआत

अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (SWPC) ने अक्टूबर 2024 में सोलर मैक्सिमम शुरू होने की घोषणा की थी और बताया था कि सूर्य का यह चक्र एक साल तक जारी रहेगा। सोलर मैक्सिमम से अंतरिक्ष में एक्टिव स्पेस मिशन, फ्लाइट्स की आवाजाही, सैटेलाइट्स, स्पेस स्टेशन में लगे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस प्रभावित हो सकते हैं। सोलर मैक्सिमम न केवल अंतरिक्ष में बल्कि धरती पर इलेक्ट्रॉनिक और टेक्निकल सिस्टम को तबाह कर सकता है। पॉवर ग्रिड फेल होने से ब्लैक आउट हो सकता है।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक?

नासा की रिपोर्ट के अनुसार, सोलर मैक्सिमम को लेकर वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर सूर्य पर विस्फोट हुए या सौर तूफान आया तो धरती पर असर पड़ेगा। गंभीर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं, लेकिन समय रहते तैयारी करके नुकसान होने की संभावनाओं को कम किया जा सकता है। सोलर मैक्सिमम हर 11 साल में एक बार होता है तो इसकी तीव्रता और रिजल्ट्स को पहले ही भांप लिया गया है। धरतीवासियों के लिए घबराने वाली बात नहीं है, लेकिन सतर्कता और तैयारी अनिवार्य है, जिसमें स्पेस एजेंसियां जुटी हैं।

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सोलर मैक्सिमम का धरती पर क्या असर पड़ेगा?

वैज्ञानिकों के अनुसार, सोलर फ्लेयर्स अंतरिक्ष में लॉन्च सैटेलाइट्स और इसमें लगे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में कुछ सैटेलाइट्स डी-ऑर्बिट हो सकते हैं। सैटेलाइट्स सूर्य को सूर्य की ग्रैविटी से बाहर होना पड़ेगा। सोलर फ्लेयर्स से निकलने वाल एक्सरे और अल्ट्रा वॉयलेट किरणें नुकसानदायक होती हैं। इनसे धरती पर GPS, रेडियो कम्यूनिकेशन, नेविगेशन सिस्टम, रडार ठप हो सकते है। पॉवर ग्रिड फेल होने ब्लैक आउट हो सकता है। ज्यादा ऊंचाई पर उड़ने वाली फ्लाइट्स डगमगा सकती हैं। खासकर लॉन्च किए जाने वाले स्पेस मिशन की लॉन्चिंग प्रभावित हो सकती है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से आने-जाने वाले स्पेस क्रॉफ्ट प्रभावित हो सकते हैं। सूर्य में विस्फोट होने से जियोमैग्नेटिक तूफान उठा तो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे धरती पर कम्यूनिकेशन सिस्टम फेल हो सकते हैं। सोलर मैक्सिसम जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करते धरती का तापमान बढ़ा सकता है।

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