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केंद्रीय रेल अश्विनी वैष्णव के पिता दाऊलाल वैष्णव का निधन मंगलवार (08 जुलाई) सुबह 11:52 बजे जोधपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में हो गया. वह 81 साल के थे और काफी समय से फेफड़ों की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे. इसके अलावा उम्र से संबंधित अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स ने भी उन्हें घेर रखा था. आइए जानते हैं कि दाऊलाल वैष्णव कितनी खतरनाक बीमारियों से जूझ रहे थे? 

दाऊलाल वैष्णव को थीं ये बीमारियां

AIIMS जोधपुर के डॉक्टरों ने मीडिया को बताया कि दाऊलाल वैष्णव कई महीनों से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और  पल्मोनरी फाइब्रोसिस जैसी फेफड़ों की गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे. उनके फेफड़े गंभीर रूप से डैमेज हो चुके थे, जिसकी वजह से ऑक्सीजन का लेवल लगातार कम हो रहा था. उन्हें ऑक्सीजन थेरेपी, स्टेरॉयड समेत कई एडवांस्ड दवाएं दी गईं, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ.

कितनी खतरनाक हैं ये बीमारियां?

COPD फेफड़ों की खतरनाक बीमारी है, जिसमें वायु मार्ग में रुकावट होने लगती है और सांस लेने में दिक्कत होती है. वहीं, पल्मोनरी फाइब्रोसिस ऐसी कंडीशन है, जिसमें फेफड़ों के टिशूज कठोर और जख्मी हो जाते हैं, जिससे ऑक्सीजन का रक्त में अवशोषण मुश्किल हो जाता है. दोनों बीमारियां अपने आप में गंभीर हैं. जब ये एक साथ होती हैं तो मरीज की हालत बेहद सीरियस हो जाती है. 

निमोनिया ने बिगाड़ी तबीयत

बता दें कि दाऊलाल वैष्णव को हाल ही में निमोनिया भी हो गया था, जिससे उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई. दरअसल, निमोनिया ने उनके फेफड़ों पर एक्स्ट्रा प्रेशर डाला, जिससे उनकी सांस लेने की क्षमता और कम हो गई. एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि दाऊलाल वैष्णव की हालत पिछले कुछ दिनों से काफी गंभीर थी. सोमवार को उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. 24 घंटे उनकी देखभाल की गई, लेकिन बीमारियों की गंभीरता और उम्र के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका.

COPD पर क्या कहता है WHO?

फेफड़ों की गंभीर बीमारियां जैसे COPD और पल्मोनरी फाइब्रोसिस ग्लोबल लेवल पर मौत के प्रमुख कारणों में से हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक, COPD दुनिया भर में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण है. एयर पॉल्यूशन, धूल और स्मोकिंग आदि की वजह से इस बीमारी का खतरा बढ़ता है. वहीं, पल्मोनरी फाइब्रोसिस बीमारी कॉमन नहीं है, लेकिन इसका सटीक इलाज फिलहाल मौजूद नहीं है. यह बीमारी धीरे-धीरे मरीज की सांस लेने की क्षमता को नष्ट कर देती है. वहीं, लास्ट स्टेज में मरीज पूरी तरह ऑक्सीजन पर निर्भर हो जाता है.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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