Bhadli Navami 2025: 4 जुलाई 2025 को आषाढ़ शुक्ल नवमी तिथि पर मनाई जाएगी भड़ल्या नवमी, सनातन परंपरा में एक ऐसा दिन जिसे अबूझ या स्वयंसिद्ध मुहूर्त कहा जाता है. इस दिन बिना किसी ज्योतिषीय गणना या विशेष मुहूर्त के विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नई दुकान या व्यवसाय की शुरुआत जैसे मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं.
क्यों खास है भड़ल्या नवमी?
मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार अद्ये कस्यापि मूढत्वे शुभकर्म न दोषकृत्. द्वयो मूढत्व मे प्रोक्तं दोषदं गुरुशुक्रयो:.. इस शास्त्रीय श्लोक के अनुसार, अबूझ मुहूर्त में गुरु-शुक्र तारा अस्त या अन्य दोष भी शुभ कार्यों को प्रभावित नहीं करते. यानी इस दिन कोई दोष बाधक नहीं होता.
गुरु अस्त होने के बावजूद क्यों होंगे विवाह?
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान (जयपुर-जोधपुर) के निदेशक और प्रसिद्ध भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास बताते हैं कि वर्तमान में गुरु ग्रह मिथुन राशि में अस्त हैं, और आमतौर पर इस स्थिति में विवाह जैसे कार्य वर्जित होते हैं.
लेकिन भड़ल्या नवमी की तिथि अबूझ और स्वयंसिद्ध मानी जाती है, इसलिए गुरु अस्त होने पर भी विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों को पूर्ण मान्यता प्राप्त है.
भड़ल्या नवमी 2025: तिथि और समय
तिथि | शुरू | समाप्त |
नवमी तिथि प्रारंभ | 3 जुलाई, 2:07 PM | 4 जुलाई, 4:33 PM |
उदया तिथि अनुसार पर्व | 4 जुलाई 2025 (शुक्रवार) |
कौन-कौन से शुभ कार्य किए जा सकते हैं?
- विवाह (Gandharva Vivah से लेकर वैदिक विधि तक)
- मुंडन संस्कार
- गृह प्रवेश
- व्यवसाय,दुकान की शुरुआत
- भूमि पूजन, वाहन खरीद
- नामकरण, उपनयन
इसके बाद क्यों रुकेंगे सभी मांगलिक कार्य?
6 जुलाई को है देवशयनी एकादशी, जिससे चातुर्मास की शुरुआत होती है. चातुर्मास (4 महीने) तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं, इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ आदि मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं.
अगले शुभ मुहूर्त मिलेंगे 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी के बाद.
भड़ल्या नवमी के दिन क्या करें? विशेष पूजा और दान
1- पूजा करें
- श्रीगणेश, शिव, और मां दुर्गा की विशेष आराधना करें
- गुप्त नवरात्रि की समापन पूजा भी इसी दिन करें
2- दान करें
- छाता, जूते, वस्त्र, अनाज, जल पात्र
- गाय, ब्राह्मण, कन्या और जरूरतमंदों को अन्नदान
आगे कब तक नहीं होंगे विवाह?
अवरोध कारण | अवधि | विवरण |
चातुर्मास | 6 जुलाई – 1 नवंबर | सभी मांगलिक कार्य वर्जित |
खरमास | 15 दिसंबर – 14 जनवरी | सूर्य धनु राशि में |
शुक्र अस्त | दिसंबर-जनवरी में भी सीमित मुहूर्त |
5 फरवरी 2026 से फिर से नियमित मुहूर्तों की शुरुआत होगी.
भड़ल्या नवमी का महत्व, अक्षय तृतीया के समतुल्य
इस तिथि पर किए गए शुभ कार्यों का फल कभी क्षीण नहीं होता, ऐसा शास्त्रों में वर्णन है. इसलिए अगर आप इस वर्ष विवाह, गृह प्रवेश या कोई बड़ा शुभ कार्य करना चाहते हैं, तो 4 जुलाई 2025 का दिन न छोड़ें. यह सीजन का अंतिम स्वयंसिद्ध मुहूर्त है.
FAQ
प्र.1. क्या भड़ल्या नवमी पर गुरु अस्त होने के बावजूद विवाह संभव है?
हां, क्योंकि यह तिथि अबूझ मुहूर्त मानी जाती है, और इस दिन गुरु या शुक्र अस्त का विचार नहीं किया जाता.
प्र.2. क्या भड़ल्या नवमी पर गृह प्रवेश कर सकते हैं?
बिलकुल, यह दिन सभी शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ है.
प्र.3. भड़ल्या नवमी और अक्षय तृतीया में क्या समानता है?
दोनों तिथियां स्वयंसिद्ध होती हैं और बिना मुहूर्त देखें शुभ कार्य किए जा सकते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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