कर्नाटक बैंक के दो टॉप एग्जिक्यूटिव्स ने इस्तीफा दिए हैं। 29 जून को बेंक ने इसका ऐलान किया। बैंक ने कहा कि मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ श्रीकृष्णन हरि हर शर्मा और और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर शेखर राव ने इस्तीफा दिए हैं। शर्मा का इस्तीफा 15 जुलाई से प्रभावी होगा, जबकि राव का 31 जुलाई से होगा। शर्मा ने कहा है कि वह अब मुंबई सेटल होना चाहते हैं, जबकि राव ने कहा है कि उन्हें मेंगलुरु में रहने में दिक्कत आ रही है। उन्होंने कुछ और व्यक्तिगत चीजों का इस्तीफा की वजह बताया है। ऊपर से देखने पर यह सब सामान्य लगता है। लेकिन, खबरें कुछ और इशारा कर रही हैं। क्या इसकी वजह बोर्डरूम में टकराव है?
कर्नाटक बैंक (Karnataka Bank) ने कहा है कि दोनों एग्जिक्यूटिव्स के इस्तीफे मंजूर कर लिए गए हैं। नई भर्तियों के लिए एक सर्च कमेटी बनाई गई है। अनुभवी बैंकर राघवेंद्र श्रीनिवास भट को चीफ ऑपरेटिंग अफसर नियुक्त किया गया है, जो 2 जुलाई से काम शुरू करेंगे। इन इस्तीफों के समय और FY25 के बैंक के ऑडिटेड फाइनेंशियल स्टेटमेंट को देखने पर मामला कुछ और लगता है। इसमें कहा गया है कि कंसल्टेंट्स पर 1.53-1.16 करोड़ और कैपिटल एवं रेवेन्यू पर 0.37 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी होल-टाइम डायरेक्टर्स शर्मा और राव के अधिकारक्षेत्र से बाहर है।
कर्नाटक बैंक के बोर्ड ने इस खर्च को मंजूरी देने के इनका कर दिया। ऑडिटर्स ने कहा है यह पैसा दोनों एग्जिक्यूटिव्स से रिकवर किया जाना चाहिए। खबरों में कहा गया है कि अधिकार से बाहर के खर्च में एक डिप्टी जनरल मैनेजर का अप्वाइंटमेंट भी शामिल है। यह नियुक्ति 9 जनवरी, 2025 को हुई थी। लेकिन, बोर्ड के इस नियुक्ति को मंजूरी नहीं देने पर तीन महीने बाद नियुक्त किए गए व्यक्ति को इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा। मजेदार बात यह है बाद में इस व्यक्ति को असिस्टेंट जनरल मैनेजर नियुक्त कर दिया गया, जिसके लिए बोर्ड की मंजूरी की जरूरत नहीं थी।
बैंकिंग इंडस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि बोर्ड और इन दोनों एग्जिक्यूटिव्स के बीच तनाव बढ़ रहा था। इसकी वजह शर्मा का ग्रोथ का महत्वाकांक्षी प्लान था। वह ग्रोथ के लिए 1,500 करोड़ रुपये का निवेश करना चाहते थे। बैंक का बॉस बनने के बाद उन्होंने यह पूंजी जुटाई थी। बोर्ड इतने बड़े निवेश के लिए तैयार नहीं था। उधर, ऑडिटर्स कि रिपोर्ट के जवाब में बैंक ने कहा था कि मसले को बातचीत से सुलझा लिया गया है।
शर्मा एक अनुभवी बैंकर हैं, जो एचडीएफसी बैंक और Yes Bank में रह चुके हैं। वह पहले सीईओ हैं, जिन्हें कर्नाटक बैंक की स्थिति सुधारने के लिए बाहर से हायर किया गया था। शर्मा ने जून 2023 में यह जिम्मेदारी संभाली थी। राव ने फरवरी 2023 में अपनी जिम्मेदारी संभाली थी। दोनों पर बैंक के कामकाज को मॉडर्न बनाने, रिटेल लोन बढ़ाने और डिजिटल और ऑपरेशनल फ्रेमवर्क को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी थी। लेकिन, इन मामलों में ज्यादा प्रगति नहीं हुई।
इस बीच, कर्नाटक बैंक का प्रॉफिट घट गया। यह FY24 में 1,306.28 करोड़ रुपये से घटकर FY25 में 1,272.37 करोड़ रुपये पर आ गया। टोटल डिपॉजिट में सिर्फ 6.96 फीसदी की मामूली वृद्धि हुई। ग्रॉस एडवान्सेज 6.79 करोड़ रुपये बढ़ा। कर्नाटक बैंक का यह प्रदर्शन इस आकार के दूसरे बैंकों के मुकाबले कमजोर है। इसका मतलब है कि शर्मा की नियुक्ति जिस मकसद के लिए हुई थी, वह पूरा नहीं हो सका। खर्च करने के उनके फैसलों को मंजूरी नहीं मिलने से बोर्ड और उनके बीच टकराव बढ़ता गया।
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बताया जाता है कि कर्नाटक बैंक के ऑडिटर्स की रिपोर्ट RBI की जानकारी में आई है। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा की नजरें गर्वनेंस में लापरवाही और अधिकार से ज्यादा खर्च जैसे मसलों पर है। लेकिन, एक बात तय है कि दोनों एग्जिक्यूटिव्स के इस्तीफे से कर्नाटक बैंक की साख पर असर पड़ा है। 30 जून को बैंक के शेयर 8 फीसदी गिरकर 192 रुपये पर आ गए थे। एमके रिसर्च ने कहा है कि शर्मा ने बैंक के कामकाज के डिजिटाइजेशन और रिटेलाइजेशन पर फोकस किया था। अब ये काम अधूरे रह सकते हैं।
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