‘भाजपा पड़ोसी राज्यों से लोगों को लाकर, समाज को बांटने वाली ‘घुसपैठिया राजनीति’ कर रही…’ अखिलेश यादव का बड़ा आरोप

Etawah Yadav Kathavachak Misbehaveiour Case: यूपी के इटावा में ‘यादव कथावाचक’ व्यास मुकुट मणि, संत यादव के साथ हुए दुर्व्यवहार को प्रदेश की राजनीति गरमाई हुई है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस घटना को लेकर भाजपा सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं। इसी कड़ी में अखिलेश ने शुक्रवार को दावा किया कि भाजपा पड़ोसी राज्यों से लोगों को लाकर, समाज को बांटने वाली ‘घुसपैठिया राजनीति’ प्रदेश में कर रही है।

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पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा अपने सेट किये हुए ‘प्लांटेड लोगों’ के उपनाम का दुरुपयोग करके उप्र के पड़ोसी राज्यों से लोगों को लाकर, समाज को बाँटनेवाली जो ‘घुसपैठिया राजनीति’ प्रदेश में कर रही है, उसका सच बच्चा-बच्चा जानता है। उप्र का समाज कुछ नकारात्मक लोगों की गलतियों से बँटेगा नहीं बल्कि और भी मजबूत होगा। आज क्या उप्र में एक भी ऐसा भाजपाई नहीं है जिस पर दिल्लीवाले भरोसा कर सकें? शायद ऐसा ही है तभी तो वो बाहर से लोगों को लाकर षडयंत्र की नई बिसात बिछा रहे हैं। सच तो ये है कि ये लखनऊवालों के लिए एक ‘ताल ठोंकती चुनौती’ है कि उप्र को अस्थिर करने के लिए उप्र की सीमा पार से लोग बार बार अंदर आ रहे हैं और प्रदेश का अमन-चैन बिगाड़ कर आराम से वापस चले जा रहे हैं।”

सपा अध्यक्ष ने लिखा, “उप्र की भाजपा सरकार क्या अब अपने प्रदेश की सीमाएं किसी भी अराजक तत्व के लिए खोल देगी। अगर ऐसा है तो उप्र की भाजपा सरकार खुलकर घोषणा कर दे या फिर उन अराजकतावादी तत्वों के ख़िलाफ़ FIR करके तुरंत अपनी पुलिस भेजकर गिरफ़्तार करवाए। अगर ये नहीं हुआ तो कल को उप्र की भाजपा सरकार को ठेंगा दिखाते हुए ऐसे और लोग भी आएंगे और उप्र की जनता मान लेगी कि भाजपा सरकार उप्र में काग़ज़ी सरकार बनकर रह गयी है, न उसके पास कोई नेतृत्व है और न ही उप्र की क़ानून -व्यवस्था और यहाँ कि शांति के लिए कोई प्रतिबद्धता।”

अखिलेश ने एक्स पोस्ट में लिखा, “कुछ गिनती के प्रभुत्ववादी और वर्चस्ववादी लोगों ने तो उस कलाकार को भी नहीं छोड़ा जो अपनी थाप से दुनिया देखता है। उसकी ढोलक छीनकर और उस पर आरोप लगाकर ऐसे नकारात्मक लोगों ने अपने ही समाज की सहानुभूति खो दी है। हमारे देश की संस्कृति के सच्चे उपासक सदैव सहृदय और करुणा से भरे होते हैं, जो लोग ऐसा करते हैं, वो मानवीय मानकों पर ख़ारिज कर दिये जाने वाले अभारतीय और अमानवीय लोग होते हैं। आज संपूर्ण पीडीए समाज ‘इटावा कथावाचन पीडीए अपमान कांड’ के हर पीड़ित के साथ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहा है। ’पीडीए’ उत्पीड़न के ख़िलाफ़ नई ढोलक की नई गूँज है।”

उन्होंने आगे लिखा, “पीडीए ’पीड़ा, दुख और अपमान’ का त्रिदंश झेलने वाले परंपरागत रूप से उपेक्षित और उत्पीड़ित लोगों के बीच आई नई चेतना और एकजुटता का सामूहिक, सामाजिक, सामुदायिक ऐलान है। पीडीए प्रतिशोध की नहीं सोच के परिवर्तन की पुकार है। पीडीए ग़ैर बराबरी को दूर करके समता, समानता, गरिमा, प्रतिष्ठा को सुनिश्चित करनेवाले सकारात्मक -प्रगतिशील ‘सामाजिक न्याय के राज’ का संकल्पित उद्घोष है।”

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