India overtaken world data consumption average user country wasting 32GB data every month

आजकल हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन है और हर कोई दिनभर इंटरनेट पर बिज़ी रहता है. कभी सोशल मीडिया, कभी वीडियो देखना तो कभी गेम खेलना. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में एक आम आदमी हर महीने कितना मोबाइल डेटा खर्च करता है? इस सवाल का जवाब हाल ही में Ericsson Mobility Report में मिला है, जिसने पूरे देश को चौंका दिया.

हर महीने खर्च हो रहे हैं 32GB डेटा

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में एक स्मार्टफोन यूज़र हर महीने औसतन 32GB डेटा का इस्तेमाल कर रहा है. ये आंकड़ा दिखाता है कि देश में इंटरनेट का इस्तेमाल कितनी तेजी से बढ़ा है. दिलचस्प बात ये है कि भारत इस मामले में दुनिया में सबसे आगे निकल चुका है.

आने वाले सालों में खर्च होगा दोगुना डेटा

अगर आप सोच रहे हैं कि 32GB ही बहुत ज्यादा है, तो रुकिए! रिपोर्ट में बताया गया है कि 2030 तक यह आंकड़ा बढ़कर 62GB प्रति व्यक्ति प्रति माह तक पहुंच सकता है. पहले यह अनुमान 66GB तक का था, लेकिन हालिया रिपोर्ट में इसमें थोड़ा बदलाव करते हुए इसे 4% घटाया गया है.

5G की बढ़ती रफ्तार बनी बड़ी वजह

भारत में 5G नेटवर्क बहुत तेज़ी से फैल रहा है. रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक देश में लगभग 98 करोड़ लोग 5G का इस्तेमाल करेंगे, जो कि मौजूदा 5G यूज़र्स से तीन गुना ज्यादा है. इसकी बड़ी वजहें हैं—तेज़ स्पीड, सस्ते डेटा प्लान और गांवों तक नेटवर्क का फैलना.

4G यूज़र्स होंगे कम

जहां एक तरफ 5G यूज़र्स की संख्या में जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है, वहीं 4G यूज़र्स की संख्या में लगभग 60% की गिरावट आने का भी अनुमान है. यानी 2030 तक सिर्फ 23 करोड़ लोग ही 4G का इस्तेमाल करेंगे.

क्यों बढ़ रही है डेटा की खपत?

  • स्मार्टफोन का हर काम इंटरनेट से जुड़ा है
  • OTT प्लेटफॉर्म्स पर वीडियो देखना आम हो गया है
  • ऑनलाइन गेम्स और ऐप्स की संख्या बढ़ी है
  • वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन क्लासेज़ ने डेटा जरूरत को बढ़ा दिया है
  • 5G आने से इंटरनेट और भी तेज़ हुआ है, जिससे हाई-क्वालिटी वीडियो वगैरह ज्यादा चलाए जा रहे हैं

ये साफ है कि भारत में मोबाइल डेटा की मांग तेजी से बढ़ रही है और आने वाले सालों में यह और भी तेज़ी से बढ़ेगी. स्मार्टफोन और इंटरनेट आज केवल शौक नहीं, बल्कि ज़रूरत बन चुके हैं. ऐसे में डेटा खर्च में इज़ाफा होना बिल्कुल स्वाभाविक है. अब देखना ये होगा कि क्या भारत आने वाले समय में भी मोबाइल इंटरनेट इस्तेमाल के मामले में नंबर-1 बना रहता है या कोई दूसरा देश इस दौड़ में आगे निकलता है.

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