Lord Shiv has most Avatars Know who he is and what is his amazing story

ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि सभी भगवानों में सबसे ज्यादा अवतार श्री विष्णु के हैं, जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है. सभी देवी-देवताओं में सबसे ज्यादा अवतार शिवजी के हैं.

ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि सभी भगवानों में सबसे ज्यादा अवतार श्री विष्णु के हैं, जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है. सभी देवी-देवताओं में सबसे ज्यादा अवतार शिवजी के हैं.

शिवजी के अवतारों में सबसे पहला नाम हनुमान जी का आता है. शिवजी ने हनुमान जी का अवतार त्रेतायुग में श्रीराम की रक्षा करने के लिए लिया था.

शिवजी के अवतारों में सबसे पहला नाम हनुमान जी का आता है. शिवजी ने हनुमान जी का अवतार त्रेतायुग में श्रीराम की रक्षा करने के लिए लिया था.

शिवजी का दूसरा अवतार दुर्वासा ऋषि का था. जब अनुसूइया और अत्रि ऋषि ने पुत्र प्राप्ति के लिए त्रीदेवों की तपस्या की थी, तब त्रीदेवों ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनके यहां अवतार लेने का आशीर्वाद दिया था. ऐसे में जो पुत्र हुआ वो शिवजी का अंश था.

शिवजी का दूसरा अवतार दुर्वासा ऋषि का था. जब अनुसूइया और अत्रि ऋषि ने पुत्र प्राप्ति के लिए त्रीदेवों की तपस्या की थी, तब त्रीदेवों ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनके यहां अवतार लेने का आशीर्वाद दिया था. ऐसे में जो पुत्र हुआ वो शिवजी का अंश था.

शिवजी का तीसरा अवतार वीरभद्र है. जब माता सती ने दक्ष के यहां यज्ञ में कूदकर देह त्याग था, तब भगवान शिव ने अपनी जटाओं से वीरभद्र का अवतार प्रकट किया था. भगवान शिव के इस अवतार को क्रोधावतार भी कहा जाता है.

शिवजी का तीसरा अवतार वीरभद्र है. जब माता सती ने दक्ष के यहां यज्ञ में कूदकर देह त्याग था, तब भगवान शिव ने अपनी जटाओं से वीरभद्र का अवतार प्रकट किया था. भगवान शिव के इस अवतार को क्रोधावतार भी कहा जाता है.

शिवजी का चौथा अवतार अश्वत्थामा है. गुरु द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा को भगवान शिव का अवतार माना जाता है. कहा जाता है कि द्रोणाचार्य ने भगवान शिव को पुत्र रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. जिसके बाद शिवजी ने अश्वत्थामा के रूप में अवतार लिया था.

शिवजी का चौथा अवतार अश्वत्थामा है. गुरु द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा को भगवान शिव का अवतार माना जाता है. कहा जाता है कि द्रोणाचार्य ने भगवान शिव को पुत्र रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. जिसके बाद शिवजी ने अश्वत्थामा के रूप में अवतार लिया था.

शिवजी के पांचवा अवतार भैरव देव है. कहा जाता है कि एक बार श्री विष्णु और ब्रह्म में श्रेष्ठता को लेकर जंग छिड़ गई थी. जिसके बाद शिवजी ने समाधान करने के लिए भैरव रूप में अवतार लिया और ब्रह्म का पांचवा सिर काट दिया था. बता दे कि काशी में भैरव देव निवास करते हैं.

शिवजी के पांचवा अवतार भैरव देव है. कहा जाता है कि एक बार श्री विष्णु और ब्रह्म में श्रेष्ठता को लेकर जंग छिड़ गई थी. जिसके बाद शिवजी ने समाधान करने के लिए भैरव रूप में अवतार लिया और ब्रह्म का पांचवा सिर काट दिया था. बता दे कि काशी में भैरव देव निवास करते हैं.

शिवजी का छठवां अवतार नंदी महराज है. इस अवतार को लेकर पौराणिक कथा ये कहती है कि शिलाद मुनि एक ब्रह्मचारी ऋषि थे. शिलादी मुनि ने संतान प्राप्ति के लिए शिवजी की तपस्या की थी. जिसके बाद शिवजी उनके यहां नंदी के रूप में अवतारित हुए. शिलाद मुनि को नंदी खेत में हल चलाते हुए मिला था.

शिवजी का छठवां अवतार नंदी महराज है. इस अवतार को लेकर पौराणिक कथा ये कहती है कि शिलाद मुनि एक ब्रह्मचारी ऋषि थे. शिलादी मुनि ने संतान प्राप्ति के लिए शिवजी की तपस्या की थी. जिसके बाद शिवजी उनके यहां नंदी के रूप में अवतारित हुए. शिलाद मुनि को नंदी खेत में हल चलाते हुए मिला था.

शिवजी का सातवां अवतार शरभ अवतार है. इस अवतार के अवतारित होने की पौराणिक कहानी ये कहती है कि, हिरण्यकश्यप को मौत की नींद सुलाने के बाद जब भगवान नृसिंह शांत नहीं हुए तो शिव जी ने शरभ अवतार लिया और उनको अपनी पूंछ में बांधकर आकाश में उड़ गए, जिसके बाद नृसिंह शांत हुए थे.

शिवजी का सातवां अवतार शरभ अवतार है. इस अवतार के अवतारित होने की पौराणिक कहानी ये कहती है कि, हिरण्यकश्यप को मौत की नींद सुलाने के बाद जब भगवान नृसिंह शांत नहीं हुए तो शिव जी ने शरभ अवतार लिया और उनको अपनी पूंछ में बांधकर आकाश में उड़ गए, जिसके बाद नृसिंह शांत हुए थे.

शिवजी का आठवां अवतार पिप्लाद मुनि का है. पिप्लाद मुनि दधीचि के पुत्र थे. उन्होंने एक बार शनि देव को श्राप दे दिया था. जिसके बाद सभी देवताओं ने काफी आग्रह किया तो उन्होंने अपना श्राप वापस ले लिया. उनके कहने पर ही शनिदेव जन्म से 16 वर्षों तक किसी भी तरह का कष्ट नहीं देते हैं.

शिवजी का आठवां अवतार पिप्लाद मुनि का है. पिप्लाद मुनि दधीचि के पुत्र थे. उन्होंने एक बार शनि देव को श्राप दे दिया था. जिसके बाद सभी देवताओं ने काफी आग्रह किया तो उन्होंने अपना श्राप वापस ले लिया. उनके कहने पर ही शनिदेव जन्म से 16 वर्षों तक किसी भी तरह का कष्ट नहीं देते हैं.

इसी तरह शिवजी के बाकी अवतारों का नाम गृहपति, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, ब्रह्मचारी, सुनटनतर्क और यक्ष भी शिवजी के अवतार माने जाते हैं.

इसी तरह शिवजी के बाकी अवतारों का नाम गृहपति, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, ब्रह्मचारी, सुनटनतर्क और यक्ष भी शिवजी के अवतार माने जाते हैं.

Published at : 25 Jun 2025 05:00 AM (IST)

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