Pakistan asim Munir offer america donald trump access to Balochistan mineral after taking 60 billion us dollar from China

Asim Munir Donald Trump Meet: चीन का वफादार पाकिस्तान अब पैसों के लिए अमेरिका का गुनगान करने में लग गया है. हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बंद कमरे में बैठक की, जिसमें पाकिस्तान  ने अमेरिका को बलूचिस्तान की महत्वपूर्ण खनिज संपदा की पेशकश कर डाली. चीन इस जगह पर पहले ही करीब 60 बिलियन डॉलर का निवेश कर चुका है.

बलूचिस्तान के खनिजों पर अमेरिका की नजर

चीन का सबसे ज्यादा निवेश चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत बुनियादी ढांचे और माइनिंग पर केंद्रित है. पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों और संसद में नेताओं की ओर से दिए गए बयानों से पता चलता है कि अमेरिका बलूचिस्तान के खनिज क्षेत्रों में कमर्शियल एंट्री चाह रहा है. इस क्षेत्र को लंबे समय से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है और जहां पहले से चीनी हितों का दबदबा रहा है.

बलूचिस्तान पाकिस्तान के कुल भूभाग का करीब 43 फीसदी है. यहां तांबा, लिथियम, सोना, कोयला और क्रोमाइट जैसे प्राकृतिक संपदा का भंडार है. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आसिम मुनीर और डोनाल्ड ट्रंप की बैठक में बलूचिस्तान के खनिजों पर चर्चा की गई.

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में उठा मुद्दा

अगर अमेरिका यहां अपनी पहुंच बना लेता है तो उन देशों पर उसकी निर्भरता कम हो जाएगी, जिसे वह अपना दुश्मन समझता है. पाकिस्तानी सांसद ने भी नेशनल असेंबली में इस मुद्दे को उठाया, जिसमें संकेत दिया कि जनरल मुनीर ने ट्रंप के साथ बलूचिस्तान के खनिजों को लेकर बातचीत की है. हालांकि अमेरिका ने इसे लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है.

दूसरी तरफ अमेरिका यूक्रेन के साथ भी महत्वपूर्ण खनिजों के लिए 500 बिलियन डॉलर की डील पर चर्चा कर रहा है. इस डील का उद्देश्य लिथियम और अन्य संसाधनों को सुरक्षित करना है, जो अमेरिकी रक्षा प्रणालियों और इंडस्ट्रीज के लिए जरूरी है.

चीन ने इन क्षेत्रों में किया है 60 बिलियन डॉलर का निवेश

चीन बलूचिस्तान में CPEC के माध्यम से बंदरगाहों, सड़कों और खनन परियोजनाओं में बड़ा निवेश कर रहा है. चीन ने पाकिस्तान में CPEC गलियारे में लगभग 60 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, जिसका अधिकांश हिस्सा बलूचिस्तान में है.

हालांकि स्थानीय संसाधनों के विदेशी दोहन का विरोध करने वाले बलूच अलगाववादी समूहों के हमलों से चीन को बड़ा झटका भी लगा है. इस क्षेत्र में अमेरिका की एंट्री से चीन के लिए चिंताएं पैदा हो सकती है.

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