नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2014 (Loksabha Elections 2014) में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने स्विस बैंकों (Swiss Banks) से काला धन लाकर हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये जमा करने का वादा कर केंद्र की सत्ता पर काबिज हो गए, लेकिन 2024 में स्विस बैंकों ने जो आंकड़ा जारी किया है। वह हकीकत चौंकाने वाली है। स्विस बैंकों (Swiss Banks) में भारतीयों का पैसा तीन गुना बढ़कर 37,600 करोड़ रुपये हो गया है। अब इन आंकड़ों के माध्यम से कांग्रेस पार्टी ने कहा कि आखिर पीएम मोदी (PM Modi) के वादों का क्या हुआ? उनका दावा क्यों हवा-हवाई साबित हुआ?
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स्विस नेशनल बैंक (SNB) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ 2024 में स्विस बैंकों (Swiss Banks) में भारतीयों का जमा धन तीन गुना से अधिक बढ़कर 3.5 अरब स्विस फ्रैंक यानी क़रीब 37,600 करोड़ रुपये हो गया है। यह आँकड़ा 2014 के 1.22 अरब स्विस फ्रैंक यानी क़रीब 12,000 करोड़ रुपये की तुलना में कहीं अधिक है। इस खुलासे ने प्रधानमंत्री मोदी के उन वादों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, जिन्हें लेकर वह सत्ता में आए थे। कांग्रेस ने पीएम मोदी (PM Modi) के वादों को जुमला करते हुए हमला किया है, ‘स्विस बैंक (Swiss Banks) में भारत का पैसा तीन गुना बढ़कर 37,600 करोड़ रुपए हो गया है। नरेंदी मोदी (Narendra Modi) ने 2014 में कहा था, विदेशी बैंकों में जमा काला धन लाऊंगा, सबको 15-15 लाख रुपए दूँगा। न काला धन आया, न 15-15 लाख मिले।’
स्विस बैंक में भारत का पैसा तीन गुना बढ़कर 37,600 करोड़ रुपए हो गया है.
नरेंदी मोदी ने 2014 में कहा था, विदेशी बैंकों में जमा काला धन लाऊंगा, सबको 15-15 लाख रुपए दूंगा. न काला धन आया, न 15-15 लाख मिले.
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— Congress (@INCIndia) June 20, 2025
2014 के चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने स्विस बैंकों (Swiss Banks) में जमा भारतीयों के काले धन को एक बड़ा मुद्दा बनाया था। उन्होंने दावा किया था कि विदेशी बैंकों में जमा काला धन इतना है कि अगर इसे वापस लाया जाए तो हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं। एक रैली में मोदी ने कहा था, ‘स्विस बैंकों (Swiss Banks) में इतना काला धन जमा है कि अगर हम इसे वापस लाएंगे तो देश की गरीबी मिट सकती है। उन्होंने यह भी वादा किया था कि उनकी सरकार सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर काले धन को वापस लाने की दिशा में ठोस क़दम उठाएगी।
इसके अलावा मोदी ने काले धन के ख़लाफ़ सख़्त कार्रवाई का वादा करते हुए कहा था कि उनकी सरकार विदेशी बैंकों के साथ सूचना साझा करने के लिए समझौते करेगी और टैक्स हेवन देशों पर दबाव बनाएगी। इन वादों ने जनता में भारी उत्साह पैदा किया था और यह मुद्दा बीजेपी की जीत में एक प्रमुख फ़ैक्टर बना।
स्विस नेशनल बैंक की हालिया रिपोर्ट ने मोदी सरकार (Modi Government) के दावों की पोल खोल दी है। 2014 में स्विस बैंकों (Swiss Banks) में भारतीयों की जमा राशि 1.22 अरब स्विस फ्रैंक थी, जो 2024 में बढ़कर 3.53 अरब स्विस फ्रैंक यानी क़रीब 37,600 करोड़ रुपये हो गई। यह वृद्धि तीन गुना से अधिक है और इसमें व्यक्तिगत जमा, बैंकों, वित्तीय संस्थानों और कंपनियों द्वारा जमा राशि शामिल है।
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रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारतीय ग्राहकों की जमा राशि में 11% की वृद्धि दर्ज की गई। इसमें से अधिकांश राशि बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से जमा की गई है, न कि व्यक्तिगत खातों में। स्विट्ज़रलैंड ने साफ़ किया है कि इस राशि को ‘काला धन’ कहना ग़लत होगा, क्योंकि इसमें वैध व्यापारिक लेनदेन और निवेश भी शामिल हैं। फिर भी, इस वृद्धि ने विपक्षी दलों और लोगों को सरकार पर हमला करने का मौक़ा दे दिया है।
मोदी सरकार (Modi Government) ने स्विस बैंकों में बढ़ती जमा राशि पर लगातार सफ़ाई दी है कि यह राशि मुख्य रूप से वैध व्यापारिक गतिविधियों का नतीजा है। सरकार का दावा है कि स्विट्ज़रलैंड के साथ सूचना साझा करने के समझौते के कारण पारदर्शिता बढ़ी है और अब जमा राशि का सही आंकड़ा सामने आ रहा है। वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, ‘यह बढ़ोतरी भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण और निवेश में वृद्धि को दिखाती है, न कि काले धन का संकेत है।’
हालाँकि, विपक्ष ने इस तर्क को खारिज कर दिया है। कांग्रेस, आप और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस ने एक बयान में कहा, ‘मोदी जी ने 15 लाख रुपये का वादा किया था, लेकिन 11 साल बाद स्विस बैंकों (Swiss Banks) में भारतीयों का पैसा तीन गुना हो गया। यह जनता के साथ विश्वासघात है।’ आप ने इसे हवा-हवाई दावा करार देते हुए कहा कि सरकार ने काले धन को वापस लाने में पूरी तरह विफल रही है। एक्स पर इस मुद्दे को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिली हैं। एक यूजर ने लिखा, ‘2014 में बोले 15 लाख देंगे, 2025 में स्विस बैंकों (Swiss Banks) में 37,600 करोड़ पहुंच गया। भक्तों, अब भी जागो!’ एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, ‘मोदी जी अब स्विस बैंकों (Swiss Banks) का जिक्र तक नहीं करते। काला धन लाने का वादा कहां गया?’
मोदी सरकार (Modi Government) ने काले धन को वापस लाने के लिए कई क़दम उठाए हैं, जिनमें स्विट्जरलैंड के साथ डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट और ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ इन्फॉर्मेशन समझौते शामिल हैं। इसके अलावा, ब्लैक मनी (अनडिस्क्लोज्ड फॉरेन इनकम एंड एसेट्स) एंड इम्पोजिशन ऑफ टैक्स एक्ट, 2015 लागू किया गया। इसके तहत विदेशी संपत्ति को घोषित करने की समय-सीमा दी गई थी। सरकार ने यह भी दावा किया कि विशेष जांच दल के गठन से काले धन पर नकेल कसी गई है। हालाँकि, आलोचकों का कहना है कि ये क़दम अपर्याप्त साबित हुए हैं।
2021 में सरकार ने संसद में कहा था कि उसके पास स्विस बैंकों (Swiss Banks) में जमा काले धन का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। यह बयान उस समय विवाद का कारण बना था जब स्विस बैंकों (Swiss Banks) में भारतीयों की जमा राशि में वृद्धि की ख़बरें सामने आई थीं।
मोदी के 2014 के वादों को अब जुमला कहकर खारिज करने वाले विपक्षी नेताओं का तर्क है कि सरकार ने काले धन को वापस लाने में कोई ठोस प्रगति नहीं की। विशेषज्ञों का कहना है कि स्विस बैंकों में जमा राशि की वृद्धि जरूरी नहीं कि काला धन हो, क्योंकि इसमें वैध निवेश और व्यापारिक लेनदेन भी शामिल हो सकते हैं। लेकिन सरकार की यह विफलता कि वह इस राशि को साफ़ तौर पर काले धन से अलग नहीं कर पाई, उसके दावों को कमजोर करती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का 2014 का वादा कि वे स्विस बैंकों से पैसे वापस लाएंगे, 2024 में एक कड़वी सच्चाई के सामने खड़ा है। स्विस बैंकों (Swiss Banks) में भारतीयों की जमा राशि तीन गुना बढ़ने की ख़बर ने सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं। कभी 15 लाख रुपये के सपने देख रही जनता अब जवाब मांग रही है कि आखिर काले धन पर कार्रवाई का क्या हुआ?
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