सरकारी भ्रष्टाचार व अफसरों की द्वेषपूर्ण मनमानी पर सीएम जल्द उठाए सख़्त क़दम: मायावती

Lucknow: स्टांप एवं पंजीयन विभाग में 200 से अधिक उप निबंधक व निबंधक लिपिकों के तबादले में कथित भ्रष्टाचार को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। इस मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने सवाल उठाए हैं। साथ मायावती ने सीएम योगी आदित्यनाथ से सरकारी भ्रष्टाचार व अफसरों की द्वेषपूर्ण मनमानी पर सीएम जल्द उठाए सख़्त क़दम उठाने की मांग की है।

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को एक्स पोस्ट में लिखा, ‘देश के अधिकतर प्रदेशों की तरह यूपी में भी हर स्तर पर सरकारी कार्यकलापों के साथ ही विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार और हिस्सेदारी के आरोपों से घिरे तबादलों की अनवरत आम चर्चा व ख़बरों का मा. मुख्यमंत्री को कड़ा संज्ञान लेकर ना सिर्फ भ्रष्टाचार निरोधक विजिलेन्स विभाग आदि को सक्रिय करना बल्कि समयबद्ध एसआईटी का भी गठन करके व्यवस्था में आवश्यक सुधार करना जन व देशहित में ज़रूरी है। सरकारी भ्रष्टाचार व अफसरों की द्वेषपूर्ण मनमानी पर यूपी सीएम जितना जल्द सख़्त क़दम उठाए उतना बेहतर।’

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इससे पहले गुरुवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बिना किसी के नाम लिए योगी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा था, ‘जिसको ट्रांसफ़र में नहीं मिला हिस्सा वही राज़ खोलके सुना रहा है किस्सा सच तो ये है कि कई मंत्रियों ने ट्रांसफ़र की फ़ाइल की ‘फ़ीस’ नहीं मिलने पर फ़ाइल लौटा दी है। सुना तो ये था कि इंजन ईंधन की माँग करता है पर यहाँ तो डिब्बा तक अपने ईंधन के जुगाड़ में लगा है।’

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क्या है पूरा मामला? 

स्टांप व पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने बुधवार को सीएम योगी से लिखित शिकायत कर महानिरीक्षक निबंधन समीर वर्मा पर तबादलों में लाखों रुपये को लेनदेन करने और ट्रांसफर नीति का उल्लंघन कर दागी अधिकारियों को मनचाही तैनाती देने का आरोप लगाया था। मंत्री ने समीर वर्मा को आईजी के पद से हटाने के साथ ही सीएम से पूरे मामले की एसटीएफ से जांच कराने की भी मांग की थी।

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