CSS अधिकारियों के समर्थन में उतरे सांसद-विधायक, पिटारे में बंद है ‘कैडर रिपोर्ट, 8 साल का नियम, मगर 10 वर्ष में नहीं मिली SO पद पर पदोन्नति

नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) की रीढ़ कही जाने वाली केंद्रीय सचिवालय सेवा (CSS) के 2014 बैच के एएसओ पदोन्नति के लिए इंतजार कर रहे हैं। तय समय सीमा के बाद भी अभी तक उनको पदोन्नति नहीं मिल पा रही है। मोदी सरकार (Modi Government) की बेरुखी के चलते ये अधिकारी पदोन्नति के मोर्चे पर लगातार पिछड़ते जा रहे हैं।

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DoPT की फाइलों में सीएसएस का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है

बताते चलें कि इससे पहले 2013 बैच के सहायक सेक्शन अफसरों (ASO) को लंबे संघर्ष के बाद पदोन्नति मिली थी। अब 2014 बैच के एएसओ पदोन्नति के लिए संघर्षरत हैं। अब इनको यूपी के सांसद और विधायकों का खुला समर्थन मिला है, ये जनप्रतिनिधि अब सीएसएस अधिकारियों के समर्थन में आए हैं।

सत्ताधारी दल व विपक्षी दलों के जनप्रतिनिधियों ने डीओपीटी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह (DoPT Minister Dr. Jitendra Singh) को पत्र लिखकर अविलंब एएसओ को पदोन्नत करने का आग्रह किया है। तो वहीं दूसरी तरफ डीओपीटी मंत्री ने बुधवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि इन अधिकारियों की पदोन्नति की फाइल आगे बढ़ चुकी है। जबकि ‘सीएसएस’ फोरम’ के पदाधिकारियों का कहना है कि पहले भी मंत्री की तरफ से आश्वासन मिलता रहा है, लेकिन पदोन्नति के आदेश आजतक जारी नहीं हुए हैं।

‘कैडर पुनर्गठन समिति’ रिपोर्ट 1000 से भी अधिक दिनों से पड़ी है ठंडे बस्ते में

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सीएसएस फोरम के मुताबिक, दूसरा बड़ा मुद्दा सीएसएस ‘कैडर पुनर्गठन समिति’ (Cadre Restructuring Committee) की रिपोर्ट का है। यह कैडर रिपोर्ट 1000 से भी अधिक दिनों से ठंडे बस्ते में पड़ी है। अगर इस रिपोर्ट को डीओपीटी/पीएमओ से हरी झंडी मिल जाए तो सीएसएस कैडर में पदोन्नति की समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है। तुरंत प्रभाव से सेक्शन अफसर ‘एसओ’ के लगभग आठ सौ पद सृजित हो सकते हैं। दूसरे पदों पर भी पदोन्नति की राह खुल जाएगी। 2013 बैच के एएसओ को भी आसानी से पदोन्नति नहीं मिली थी। इसके लिए नॉर्थ ब्लॉक, विजय चौक और विभिन्न मंत्रालयों में विरोध प्रदर्शन किया गया था। तब जाकर पदोन्नति दी गई। अब 2014 बैच के एएसओ को परमोशन देने का मामला अटक गया है।

एएसओ के पद पर सेवा के 10 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन अभी तक पदोन्नति आदेश जारी नहीं हुआ

इन अधिकारियों की एएसओ के पद पर सेवा के 10 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन अभी तक पदोन्नति आदेश जारी नहीं हुआ। ये अधिकारी ‘एएसओ’, पदोन्नति की सभी योग्यताएं पूरी करते हैं। नियम यह कहता है कि इन्हें आठ साल के सेवाकाल के बाद ही पदोन्नति मिलनी चाहिए थी। लगभग सात-आठ सौ एएसओ, दो वर्ष पहले पदोन्नति के हकदार थे। अब 2015 बैच के ‘एएसओ’ भी ‘एसओ’ बनने के लिए पदोन्नति की कतार में हैं। 2014 बैच के कुछ एएसओ को पदोन्नति मिली है, लेकिन वह यूपीएससी के माध्यम से विभागीय परीक्षा पास करने के बाद। पांच साल के बाद इस परीक्षा में बैठने का अवसर मिलता है। अधिकांश एएसओ, वरिष्ठता के आधार पर एसओ की पदोन्नति की लाइन में हैं।

कैडर रिव्यू रिपोर्ट तीन साल पहले तैयार की गई थी, अब वह फाइल डीओपीटी/पीएमओ के है पास 

फोरम के सदस्यों का कहना है कि कैडर रिव्यू रिपोर्ट तीन साल पहले तैयार की गई थी। अब वह फाइल डीओपीटी/पीएमओ के पास है। अगर यह रिपोर्ट लागू हो जाए तो करीब 800 पद, एसओ के मिल जाएंगे। इससे सभी स्तरों पर पदोन्नति का रास्ता खुल जाएगा। सीएसएस कैडर में कुल 13500 अधिकारी कार्यरत हैं। सीएसएस फोरम की मांग है कि सीआरसी की रिपोर्ट को जल्द से जल्द लागू किया जाए। सीआरसी की रिपोर्ट प्रस्तुत करने और उसके कार्यान्वयन में हो रही देरी से सीएसएस अधिकारी, पदोन्नति की राह पर पिछड़ गए हैं। सीएसएस कैडर, अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्हें समय पर पदोन्नति नहीं दी जा रही। केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में करीब 2600 अतिरिक्त पदों की आवश्यकता है। इस बाबत सभी विभागों ने डीओपीटी को यह सूची मुहैया कराई थी। इसमें एएसओ, एसओ, अंडर सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के पद शामिल हैं। एक तरफ सीएसएस अधिकारियों को तय समय पर पदोन्नति नहीं मिल पा रही है तो दूसरी ओर रिक्त पदों को नहीं भरा जा रहा। सीएसएस फोरम, ‘कैडर पुनर्गठन समिति’ (CRC) की रिपोर्ट को अविलंब लागू करने की मांग कर रही है।

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पीएम मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करने में एक बड़ी बाधा

केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में जनशक्ति की आवश्यकता का आकलन करने के लिए अक्टूबर, 2022 में एक कैडर पुनर्गठन समिति बनाई गई थी। गहन विचार-विमर्श के बाद सभी विभागों ने तीन वर्ष पहले ही अपनी आवश्यकताएं समिति को भेज दी थीं। आरटीआई से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, तीन साल पहले केवल बीस विभागों के लिए ही 2500 से अधिक जनशक्ति की आवश्यकता थी। यदि सभी विभागों के आंकड़ों पर विचार किया जाए तो यह संख्या बहुत बड़ी होगी। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों ने सीएसएस कैडर के तहत अतिरिक्त पदों की जरुरत बताई है। ऐसे पदों की संख्या 2600 से अधिक है। इनमें सहायक सेक्शन अफसर, सेक्शन अफसर, अंडर सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी, डायरेक्टर और संयुक्त सचिव के पद शामिल हैं। जनशक्ति की कमी से विभागों में दक्षता प्रभावित हो रही है। सीएसएस फोरम का कहना है कि दक्षता में कमी, पीएम मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करने में एक बड़ी बाधा है।

अंडर सेक्रेटरी को डिप्टी सेक्रेटरी के पद तक पहुंचने में लग रहे हैं 13 साल 

अंडर सेक्रेटरी को डिप्टी सेक्रेटरी के पद तक पहुंचने में 13 साल लग रहे हैं। मौजूदा समय में लगभग 1000 अंडर सेक्रेटरी ऐसे हैं, जो डिप्टी सेक्रेटरी बनने की सभी योग्यताएं पूरी करते हैं। लंबे समय से इन्हें पदोन्नति का इंतजार है। लगभग 100 डिप्टी सेक्रेटरी ऐसे हैं, जिन्होंने डायरेक्टर बनने के सभी पड़ाव पार कर लिए हैं, मगर ये सभी अधिकारी एक ही पद पर काम करने को मजबूर हैं। डेढ़ वर्ष से कैडर समीक्षा रिपोर्ट लंबित है। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों ने केंद्रीय सचिवालय सेवा के तहत अतिरिक्त पदों की आवश्यकता बताई है।

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उत्तर प्रदेश के कस्ता विधानसभा क्षेत्र से विधायक सौरभ सिंह, ‘सोनू’, धौरहरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक विनोद शंकर अवस्थी और निघासन विधानसभा क्षेत्र के विधायक शशांक वर्मा ने एएसओ की पदोन्नति के लिए डीओपीटी मंत्री को पत्र लिखा है। इनके अलावा खीरी लोकसभा क्षेत्र के सांसद उत्कर्ष वर्मा ‘मधुर’, उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद गीता शाक्य ‘चंद्रप्रभा’ और प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से सांसद डॉ. एसपी सिंह पटेल ने भी सीएसएस कैडर के अधिकारियों को तुरंत पदोन्नति देने का आग्रह किया है।

इन सांसदों और विधायकों ने अपने पत्र में लिखा है, दस साल की सेवा के निर्धारित कार्यकाल के बाद भी ‘एएसओ’ को ‘एसओ’ के पद पर पदोन्नति नहीं मिल सकी। नियमानुसार, इन ‘एएसओ’ को आठ साल में पदोन्नति मिलनी चाहिए थी। यानी ये 2023 से पदोन्नति के हकदार थे।

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