Castrol India Stocks: बीते एक साल में सिर्फ 3% चढ़ा है स्टॉक, सस्ते क्रूड के बावजूद कमजोर प्रदर्शन की क्या है वजह? – castrol india stocks has surged only 3 percent in last one year why has company not performed despite low price of crude oil

कैस्ट्रॉल इंडिया का प्रॉफिट चौथी तिमाही में साल दर साल आधार पर 8 फीसदी बढ़ा, जबकि रेवेन्यू ग्रोथ 7 फीसदी रही। हालांकि, कंपनी के एबिड्टा में गिरावट आई। क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट के बावजूद कंपनी का प्रदर्शन अच्छा नही रहा। इसमें व्हीकल्स की कमजोर डिमांड का बड़ा हाथ हो सकता है। ल्यूब्रिकेंट की अच्छी डिमांड के लिए ऑटो इंडस्ट्री की स्ट्रॉन्ग ग्रोथ जरूरी है। दूसरा, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में लोगों की दिलचस्पी का असर भी कैस्ट्रॉल की बिक्री पर पड़ने के आसार हैं।

क्रूड और बेस ऑयल के प्राइसेज में ज्यादा संबंध नहीं

एसबीआई सिक्योरिटीज के डीवीपी सन्नी अग्रवाल का कहना है कि क्रूड और बेस ऑयल प्राइसेज में काफी कम संबंध है। क्रूड में गिरावट के बावजूद ऑयल की कीमतों में गिरावट आए यह जरूरी नहीं है। ग्लोबल सप्लाई पर प्रेशर इसकी वजह हो सकता है। बेस ऑयल का स्रोत क्रूड है। बेस ऑयल का ल्यूब्रिकेंट बनाने में काफी ज्यादा इस्तेमाल होता है। लेकिन इसकी प्राइसिंग और सप्लाई पर दुनिया में रिफाइनरी की क्षमता और इंपोर्ट लॉजिस्टिक्स पर निर्भर करती है।

ब्रोकरेज फर्मों को शेयरों में सिर्फ 7% तेजी की उम्मीद

कैस्ट्रॉल इंडिया की पेरेंट कंपनी ब्रिटिश पेट्रोलियम के अपनी हिस्सेदारी बेचने की चर्चा रही है। इसका असर भी सेंटीमेंट पर पड़ा है। अग्रवाल ने कहा कि इस बात की चर्चा रही है कि ब्रिटिश पेट्रोलियम कैस्ट्रॉल इंडिया में कुछ हिस्सेदारी बेच सकती है। शेयरों की कीमतें नहीं चढ़ने की यह भी एक वजह रही है। उधर, कैस्ट्रॉल इंडिया की प्रतिद्वंद्वी कंपनी गल्फ ऑयल के लिए अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं। ब्रोकरेज फर्मों ने कैस्ट्रॉल इंडिया के शेयरों में 7 फीसदी तेजी का अनुमान जताया है। इसके मुकाबले गल्फ ऑयल ल्यूब्रिकेंट्स की कीमत 40 फीसदी तक बढ़ सकती है। यह हिंदूजा ग्रुप की कंपनी है।

कैस्ट्रॉल के मुकाबले गल्फ ऑयल का प्रदर्शन बेहतर

चौथी तिमाही में जहां कैस्ट्रॉल के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में तिमाही दर तिमाही आधार पर गिरावट देखने को मिली है वहीं गल्फ ऑयल का वॉल्यूम इस दौरान 39,500 किलोलीटर रहा है जो किसी एक तिमाही में सबसे ज्यााद है। कंपनी के रेवेन्यू और प्रॉफिट के आंकड़े भी स्ट्रॉन्ग रहे हैं। हालांकि, यह वॉल्यूम कैस्ट्रॉल के मुकाबले कम है। चौथी तिमाही में कैस्ट्रॉल का वॉल्यूम 59,000 किलोलीटर रहा, जो साल दर साल आधार पर 8 फीसदी ज्यादा है।

ब्रोकरेज फर्म गल्फ ऑयल पर बुलिश

अगर मार्केट की बात की जाए तो वह कैस्ट्रॉल इंडिया के मुकाबले गल्फ ऑयल के स्टॉक को लेकर ज्यादा बुलिश है। इसकी वजह गल्फ ऑयल की स्ट्रेटेजी है। कंपनी ने ईवी फ्लूड्स और फ्लीट सर्विसेज में विस्तार किया है। कंपनी नई पार्टनरशिप भी की है, जिससे डबल डिजिट ग्रोथ हासिल करने में मदद मिली है। उधर, कैस्ट्रॉल ने मार्केट डायवर्सिफिकेशन के मुकाबले मार्जिन बढ़ाने पर ज्यादा फोकस किया है। इसका असर दोनों कंपनियों के शेयरों पर दिखा है। बीते एक साल में कैस्ट्रॉल के शेयरों में 4 फीसदी से कम तेजी आई है। उधर, गल्फ ऑयल का शेयर इस दौरान 19 फीसदी चढ़ा है।

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सिर्फ एक ब्रोकरेज फर्म ने दी खरीदने की सलाह

चार ब्रोकरेज फर्मों में से सिर्फ एक ने कैस्ट्रॉल के शेयरों को खरीदने की सलाह दी है। मोतीलाल ओसवाल ने शेयरों को खरीदने की सलाह देते हुए इसका प्राइस टारगेट 250 रुपये दिया है। कोटक सिक्योरिटीज ने इस शेयर में निवेश बढ़ाने की सलाह दी है। इसका टारगेट प्राइस 225 रुपये बताया है। आईडीबीआई कैपिटल ने इस शेयर को अपने पास बनाए रखने की सलाह दी है। शेयरों के लिए 223 रुपये का टारगेट प्राइस दिया है।

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