लखनऊ। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ (Sardar Vallabhbhai Patel University of Agriculture and Technology, Meerut) की नैक टीम ने बुधवार को राजभवन में प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल (State Governor and Chancellor of State Universities Anandiben Patel) से भेंट की। यह भेंट विश्वविद्यालय को पहले प्रयास में ही राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) से ग्रेड ‘ए’ प्राप्त होने के उपलक्ष्य में की गई। टीम ने इस उपलब्धि के लिए राज्यपाल द्वारा समय-समय पर दिए गए मार्गदर्शन और प्रेरणा के लिए आभार जताया।
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राज्यपाल ने विश्वविद्यालय को मिली ग्रेड ‘ए’ उपलब्धि पर संतोष जताते हुए कहा कि इस सफलता के बाद विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित कंपनियों में प्लेसमेंट और विदेशी छात्रों के नामांकन में वृद्धि हुई है, जो विश्वविद्यालय की गुणवत्ता और विश्वसनीयता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि अगली मूल्यांकन प्रक्रिया में इससे बेहतर ग्रेड के लिए भी संस्थान को अभी से कार्ययोजना बनानी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों के बीच उत्कृष्ट गतिविधियों की जानकारी साझा की जाए। इस उद्देश्य से एक पुस्तक तैयार की जाए जिसमें सभी विश्वविद्यालयों की बेहतरीन पहलों को संकलित किया जाए, ताकि वे एक-दूसरे के लिए प्रेरणा बन सकें। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी अब कृषि और पशुपालन जैसे क्षेत्रों में बढ़ रही है, जो एक सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन का संकेत है। विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे महिला विद्यार्थियों को नवाचार की दिशा में प्रोत्साहित करें और उनके लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करें।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों को जैविक उत्पादन, ड्रिप इरीगेशन तकनीक, और स्वस्थ आहार के प्रति जागरूक करने की बात कही। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के शोध कार्य केवल पुस्तकों में सीमित न रहें, बल्कि किसानों तक पहुंचें और उनके लिए उपयोगी सिद्ध हों। उन्होंने मौसमी प्रभावों से सुरक्षित बीज विकसित करने और उत्पादन-मांग के संतुलन पर बल दिया।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के कौशल की पहचान करें और उन्हें उनकी रुचि के अनुसार कार्यक्रमों का नेतृत्व, संचालन व आयोजन का अवसर दें। उन्होंने शिक्षक समुदाय को प्रेरित करते हुए कहा कि वे स्वयं आदर्श बनें, क्योंकि विद्यार्थी उन्हें देखकर सीखते हैं।उन्होंने ‘लैब टू लैंड’ मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा कि गुजरात में यह प्रयोग सफल रहा है। वहां किसानों को कृषि यात्राओं और गामा किरणों जैसी तकनीकों से प्रशिक्षण व सुरक्षा उपाय मिले। इसी तरह उत्तर प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय भी मिशन मोड में कार्य करें और शोध कार्यों को धरातल पर लाएं।
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राज्यपाल ने छात्रावासों में सुविधाओं की समीक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि छात्राओं के लिए सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन, प्रार्थना की व्यवस्था, रसोई की स्वच्छता जैसे विषयों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। साथ ही सप्ताह में एक दिन विद्यार्थियों को स्वयं खाना पकाने की व्यवस्था हो, जिससे उनमें जीवन के व्यावहारिक अनुभव विकसित हों।
उन्होंने विश्वविद्यालयों में बीएमआई जांच की व्यवस्था, योग और सह-शैक्षणिक गतिविधियों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की आवश्यकता बताई और कहा कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, दोनों का समन्वय जरूरी है। राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों को अच्छा नागरिक बनाना विश्वविद्यालयों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। उन्होंने प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत’ संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश को देश का सबसे बड़ा राज्य होने के नाते सर्वश्रेष्ठ योगदान देना होगा।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय, देश के पहले ऐसे विश्वविद्यालय हैं जिन्हें राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद द्वारा ‘ए प्लस प्लस’ ग्रेड प्राप्त हुआ है। यह राज्य की उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। राज्यपाल के साथ भेंट के अवसर पर अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ. पंकज एल. जानी, कुलपति डॉ. के.के. सिंह, विश्वविद्यालय की नैक टीम, राजभवन के अधिकारी व अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।
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