फिल्म डायरेक्टर इम्तियाज अली का आज 54वां जन्मदिन, उनकी फिल्मों ने बदल दी रोमांस की तस्वीर, लव स्टोरीज को दिया नया लुक

मुंबई। बॉलीवुड में कई निर्देशक है जो अपनी फिल्मों के बदौलत हमेश सुर्खियों में रहते हैं और अपने काम के वजह से जाने जाते हैं। ऐसे ही बॉलीवुड में एक फिल्मी डायरेक्टर्स है इम्तियाज अली बतादें कि आज इनका 54 वां जन्मदिन है और वे अपना जन्मदिन अपने स्टाइल में मना रहे हैं। बताते चले कि इम्तियाज का जन्म 16 जून 1971 को हुआ था। वे आज अपना 54 वां जन्म दिन मनाने जा रहें हैं। देखा जाये तो अपने फिल्मी करियर में इम्तियाज ने कई शानदार फिल्में दीं।

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बॉलीवुड फिल्मों में रोमांस की करें तो इम्तियाज अली का नाम उन फिल्म डायरेक्टर्स की लिस्ट में शामिल है जो अपनी फिल्मों के करैक्टर में जान फूक देते हैं। उनकी फिल्मों में अदाकारों की अदाकारी ​एकदम रियल लगती है उसमें कोई बनावट नहीं दिखती। इनके​ फिल्मों में कलाकार जब रोल करते हैं तो लगता है वे सच में खुद को जी रहें हों। इम्तियाज के फिल्मों में जो कहानी होती है वो कहानी सिर्फ प्यार और रोमैंस पर आधारित नहीं रहतीं। उनके फिल्मों की कहानी रिश्तों की गहराई को बताती हैं।

‘रॉकस्टार’ ए.आर. रहमान की जादुई धुनों और इम्तियाज की भावनात्मक गहराई ने इस फिल्म को सिर्फ एक म्यूजिकल फिल्म नहीं, बल्कि आत्मा को झकझोर देने वाली फिल्म बनाई है। उनकी फिल्मों में प्यार जबरन लेने का नहीं बल्कि देने का नाम है। यहां हम बात कर रहे हैं। रणबीर कपूर की ‘रॉकस्टार’ फिल्म ये एक ऐसे युवक की कहानी है जो प्यार की वजह से एक कलाकार बनता है, लेकिन उसी प्यार की वजह से वे पूरीतरह से टूट भी जाता है। बतादें कि इस फिल्म को बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत और सवेंदनाशील फिल्मों में शुमार कर दिया गया था।

बताते चले कि इम्तियाज की पहली फिल्म ‘सोचा ना था’ ने फिल्मी जहग और दर्शकों के दिल में खास जगह बना ली थी। अभय देओल और आयशा टाकिया की ये कहानी एक ऐसे कपल की है, जो पहले प्यार को नकारते हैं, लेकिन वक्त के साथ उसे महसूस करते हैं। फिल्म में प्यार की सहजता और उलझनों को बड़े ही खूबसूरती से पेश किया गया।

बतादें कि निर्देशक इम्तियाज अली के निर्देशन में बनी फिल्में सिर्फ आम फिल्मी कहानी नहीं होतीं ये वो कहानी होती है जो जीवन को इस तरह से जीना बताती है जिसमें लवर से पाना ही नहीं कुछ खोना भी होता है प्रेम सिर्फ पाने का नाम नहीं बाटने का भी काम होता है देने का दसरे की खुशी को देख कर अपनी खुशी वार करने का भी है।

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