मुझे नहीं लगता कि इक्विटी बाजारों ने अधिकांश बुरी खबरों के असर को पचा लिया है। अगर मध्यम अवधि के नजरिए से देखे तो आईटी कंपनियों के वैल्यूएशन में काफी सेफ्टी मार्जिन है। ये बातें एमके इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के निदेशक और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफीसर मनीष सोंथालिया ने मनीकंट्रोल के साथ एक साक्षात्कार में कही हैं। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं साथ बाज़ारों के सामने तीन बड़ी चुनौतियां हैं। यूक्रेन-रूस या इज़राइल-हमास जैसे संघर्षों में आगे क्या हो सकता है, कुछ नहीं कहा जा सकता। इसके अलावा महंगाई और कमोडिटी की कीमतों पर इसका असर भी बाजार के लिए एक बड़ा जोखिम है। इसके अलावा, इस समय भारत के लिए बाकी सब कुछ काफी अनुकूल है।
आईटी कंपनियों के वैल्यूएशन अच्छे
सोंथालिया आईटी सेक्टर में सबके विपरीत नजरिया रखते हैं और इस सेक्टर में खरीदारी के पक्ष में है। उनका कहना है कि आईटी कंपनियों के वैल्यूएशन वर्तमान में मध्यम अवधि के नजरिए वाले निवेशकों के लिए काफी सेफ्टी मार्जिन प्रदान करते हैं।
बैंकिंग और एनबीएफसी सेक्टर के क्रेडिट ग्रोथ में मजबूती की उम्मीद
क्या आपको लगता है कि बैंकिंग सेक्टर में रिस्क-रिवॉर्ड मजबूत है? क्या आपको लगता है कि पीएसयू बैंक और पावर स्टॉक अभी भी पोर्टफोलियो में रखने के लिए बेहतरीन सेगमेंट हैं? इसके जवाब में मनीष ने कहा कि उन्हें लगता है कि बैंकिंग सेक्टर काफी अच्छा प्रदर्शन करेगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने बहुत मजबूत फ्रंट लोडेड रेट कट की है। 50 बेसिस प्वाइंट कटौती की अपेक्षा नहीं थी। साथ ही CRR में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती के जरिए सिस्टम में काफी ज्यादा नकदी डाली गई है। इससे बैंकिंग और एनबीएफसी सेक्टर के क्रेडिट ग्रोथ में मजबूती की उम्मीद है। साथ ही सीआरआर में कटौती से बैंकों के मार्जिन में सुधार होगा।
बैंकिंग और NBFC सेक्टर का रिस्क रिवॉर्ड काफी अच्छा
पीएसयू बैंक भी आगे काफी अच्छा प्रदर्शन करेंगे क्योंकि उनके पास एक बड़ा बॉन्ड पोर्टफोलियो है। इनके मार्क टू मार्केट प्रॉफिट और ग्रोथ रेट में तेजी देखने को मिलेगी। इसके साथ ही इनको सस्ते वैल्यूएशन का भी फायदा मिलेगा। कुल मिलाकर कहें तो इस समय बैंकिंग और NBFC सेक्टर का रिस्क रिवॉर्ड काफी अच्छा नजर रहा है।
ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े पावर शेयर लग रहे अच्छे
पावर सेक्टर में मनीष के ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े शेयर अच्छे लग रहे हैं। उनको मॉड्यूल मैन्यूफैक्चरर या विंड टर्बाइन कंपनियां उतनी अच्छी नहीं लग रही है। उनका मानना है पावर सेक्टर की मुख्य चिंता कंपनियों के वैल्यूएशन को लेकर है। ऐसे में अच्छे भाव में मिलने पर ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ी कंपनियों पर दांव लगाया जा सकता है।
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मुश्किल में है ऑटो सेक्टर
मनीष सोंथालिया को लगता है कि ऑटो सेक्टर में कुछ और महीनों तक सुस्ती देखने को मिल सकती है। उनकी राय है कि रेयर अर्थ मटेरियल और मैग्नेट की कमी के कारण ऑटो सेक्टर कुछ हद तक मुश्किल में है। हम सभी जानते हैं कि मैग्नेट पर चीन का लगभग एकाधिकार है। अगर हमें चीन से मैग्नेट नहीं मिलते तो हमें इसकी सप्लाई के लिए दूसरे विकल्प तलाशने होंगे। इसमें समय लग सकता है। इससे मई में ऑटो कंपनियों के प्रोडक्शन पर इसका असर देखने को मिल सकता है। ऑटो कंपोनेंट कंपनियों के लिए कुछ अच्छी चीजें हैं लेकिन कुल मिलाकर यह सेक्टर मुश्किल में है।
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