प्लेन हादस अधिकतर भयावह ही होता है। ऐसे हादसों में किसी के बचने की उम्मीद न के बराबर होती है। जब भी कोई व्यक्ति ऐसे हादसों में बचता है तो उसे एक चमत्कार ही माना जाता है। बीते 12 जून 2025 को भारत के अहमादाबाद में हुए प्लेन क्रैश में भी एक व्यक्ति की जान बच गई थी। कुछ ऐसा ही आज के 27 पहले हुए प्लेन हादसे में हुआ था। संयोग इतना है कि दोनों पैसेंजर प्लेन की 11A नंबर सीट पर बैठे हुए थे।
12 जून 2025 को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद क्रैश हो गई। इस भयावह हादसे में विमान बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में जा टकराया। इस विमान में दो पायलट और 10 क्रू मेंबर समेत करीब 230 यात्री सवार थे। इस भंयकर हादसे में प्लेन की 11A नंबर सीट पर यात्रा कर रहे 40 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक विश्वास कुमार रमेश जिंदा बच गए। वे अपने भाई अजय कुमार रमेश के साथ अपने परिवार से मिलने भारत आए थे।
इमरजेंसी एग्जिट खोलकर बचाई जान
विश्वास ने मीडिया को बताया कि ‘टेकऑफ के 30 सेकंड बाद एक जोरदार आवाज हुई और फिर विमान क्रैश हो गया। सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि मैं खड़ा हुआ और भागा। मेरे चारों तरफ लाशें थीं।’ विश्वास ने बताया कि उन्होंने इमरजेंसी एग्जिट डोर खोलकर विमान से कूदकर अपनी जान बचाई। उनकी यह कहानी न केवल उनकी हिम्मत को दर्शाती है, बल्कि सीट 11A की स्थिति को भी खास बनाती है, जो इमरजेंसी एग्जिट के पास थी।
27 साल पहले भी हुआ था हादसा
27 साल पहले, 11 दिसंबर 1998 को, थाई एयरवेज की फ्लाइट TG261, एक एयरबस A310, बैंकॉक से सूरत थानी के लिए उड़ान भर रही थी। लैंडिंग के दौरान विमान हवा में रुक गया और एक दलदल में क्रैश हो गया, जिसमें 146 के करीब लोग सवार थे, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई। इस हादसे में भी 20 वर्षीय थाई अभिनेता और गायक जेम्स रुआंगसाक लोयचुसाक बच निकले। जो प्लेन की सीट 11A पर बैठे थे।
रुआंगसाक, जो अब 47 वर्ष के हैं उन्होने अहमदाबाद हादसे की खबर सुनकर फेसबुक पर लिखा कि भारत में विमान हादसे का एकमात्र बचा व्यक्ति मेरी ही सीट 11A पर बैठा था।’ उन्होंने इस संयोग पर हैरानी जताई और विश्वास कुमार रमेश के लिए प्रार्थना की। रुआंगसाक ने बताया कि 1998 के हादसे के बाद उन्हें सालों तक सर्वाइवर गिल्ट का सामना करना पड़ा, लेकिन इस संयोग ने उन्हें फिर से उस दिन की याद दिला दी।
क्या यह है महज संयोग?
दोनों हादसों में सीट 11A के पैसेंजर का बचना एक असाधारण संयोग है। विशेषज्ञ इसे महज एक कोइंसिडेंस मानते हैं, क्योंकि दोनों विमानों की बनावट, हादसे की परिस्थितियां और सीट की स्थिति अलग थीं। अहमदाबाद हादसे में प्लेन की सीट 11A बोइंग 787-8 के इकॉनमी क्लास की पहली पंक्ति में थी, जो इमरजेंसी एग्जिट के पास थी, जिसने विश्वास को भागने का मौका दिया। वहीं, थाई एयरवेज के एयरबस A310 में सीट 11A की स्थिति अलग थी लेकिन यह भी इमरजेंसी एग्जिट के पास थी।
एविएशन सेफ्टी एनालिस्ट डेविड सौसी ने मीडिया को बताया कि सीट 11A बोइंग 787-8 में विंग के पास थी और यहां विमान का ढांचा सबसे मजबूत होता है। यही कारण विश्वास के बचने में मददगार हो सकता है। हालांकि यह अविश्वसनीय रूप से आश्चर्यजनक है कि ऐसी जगह पर बैठा व्यक्ति इतने भयानक हादसे में बच गया। दूसरी ओर, रुआंगसाक का बचना भी लैंडिंग के दौरान विमान के दलदल में क्रैश होने की वजह से संभव हुआ, जहां कई लोग जिंदा बचे थे।
सोशल मीडिया पर क्या बोले लोग?
इस संयोग ने सोशल मीडिया पर एक नई चर्चा छेड़ दी है। कई यूजर्स ने इसे ’11A का रहस्य’ करार दिया। एक यूजर ने लिखा कि वक्त सभी मिथकों को बदल देता है। लोग कहते थे कि सीट 11A लेना सही नहीं, लेकिन इसने दो बार जिंदगी दी। एक अन्य पोस्ट में कहा गया कि ‘दो विमान हादसे, दो जिंदगियां, एक सीट 11A… यह संयोग नहीं, चमत्कार है।’ लोग इसे उम्मीद की किरण मान रहे हैं, जो बताती है कि सबसे अंधेरी परिस्थितियों में भी जिंदगी की राह निकल सकती है।
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