‘उच्च शिक्षारत विद्यार्थियों की राजनीतिक चेतना पर फेसबुक के प्रभाव का अध्ययन’ विषय पर शोधार्थी नीरज कुमार सिंह ने अपना शोध कार्य किया पूरा

लखनऊ। सोशल मीडिया साइट फेसबुक में भारत के 200 करोड़ यूजर एक्टिव है ,जिसमें युवाओं का प्रतिशत 83 फीसदी है, लेकिन जब मतदान करने की बारी आती है। तो यह प्रतिशत 48 पर आकर ठहर जाता है। यानि सोशल मीडिया पर तो लोग ‘एक्टिव यूजर’ बने रहते हैं लेकिन वोटर बनने में पिछड़ जाते हैं।

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आंकड़ों का यह निष्कर्ष भाषा विश्वविद्यालय के शोधार्थी नीरज कुमार सिंह ने अपना शोध कार्य पूरा करने पर प्राप्त किया है। विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की प्रमुख डाॅ. रुचिता सुजय चौधरी के निर्देशन में अपना शोध कार्य पूरा करने वाले नीरज ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान सर्वे करके यह निष्कर्ष निकाला है। ‘उच्च शिक्षारत विद्यार्थियों की राजनीतिक चेतना पर फेसबुक के प्रभाव का अध्ययन’ विषयक शोध कार्य में उन्होंने लखनऊ शहर के युवा वोटरों के साथ संवाद कर उनकी राजनीतिक समझ को जांचने, परखने और समझने का कार्य किया। साथ ही प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों, भारतीय जनता पार्टी, अखिल भारतीय कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की युवा इकाईयों के फेसबुक पेज पर गहन विश्लेषण किया। शोधार्थी ने पाया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सोशल मीडिया पर काफी सक्रियता के साथ मौजूद है।

सोशल मीडिया के नवाचारों की बात करें तो शोधार्थी ने पाया कि फोटो शेयरिंग ऐप इंस्टाग्राम बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। युवाओं खासतौर पर 17 से 26 वर्ग की आयु के बीच 88 प्रतिशत उत्तरदाताओं की पहली पसंद इंस्टाग्राम है। विश्लेषण में यह बात सामने आई कि फेसबुक मिलेनियरर्स (90 के दशक में जन्में) की पहली पसंद है।

हालांकि शोध में इस बात पर बल दिया गया है कि युवाओं की पसंद-नापसंद से लेकर खान-पान तक को निर्धारित करने वाला सोशल मीडिया एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर उन्हें वोटर नहीं बना पा रहा है। शोध सर्वे में शामिल 48 फीसदी युवाओं ने ही हाल के चुनाव में मतदान किया था।

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