Ram Shayya in Chitrakoot: रामायण काल में भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण ने 14 वर्षों का वनवास भोगा था. वनवास के दौरान तीनों जंगल-जंगल भटके. वनवास के दौरान उन्होंने सबसे ज्यादा समय चित्रकूट में ही बिताया था. चित्रकूट जहां भगवान श्रीराम ने वनवास के 14 में से 11 वर्ष बिताए थे. चित्रकूट की भूमि न केवल अध्यात्म का केंद्र रही है, बल्कि श्रीराम की सजीव उपस्थिति का प्रमाण भी देती है. इन्हीं में से एक सजीव प्रमाण राम शैय्या है.
चित्रकूट मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा पर बसा है. राम शैय्या चित्रकूट से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जहां एक विशाल चट्टान है, जिसे देखने के बाद भक्त आस्था से सराबोर हो जाता है. इस चट्टान पर आज भी प्रभु श्रीराम और माता सीता के विश्राम चिन्ह साफ तौर पर देखे जा सकते हैं. चट्टान पर प्रभु श्रीराम के शरीर की लंबाई को देख भक्त उस युग को अनुभव कर पाते हैं. भक्त इन पदचिन्हों को देखकर इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि भगवान श्रीराम की लंबाई कितनी रही होगी.
चट्टान पर अंकित है धनुष के चिन्ह
चट्टान पर माता सीता और प्रभु श्रीराम के बीच में उनके धनुष के भी निशान साफ साफ देखे जा सकते हैं. ये जगह स्थल खोही-भरतकूप मार्ग पर स्थित है और कामदगिरि पहाड़ से कुछ ही दूरी पर है. इस जगह को लेकर स्थानीय लोगों एवं पुजारियों में सच्ची आस्था भी है. मंदिर के पुजारी इसे श्रद्धा और धर्म का प्रत्यक्ष प्रमाण मानते हैं. उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण यहां रात को विश्राम करते थे. चट्टान पर आज भी विश्राम चिन्ह सही सलामत है. यहीं कारण है कि देशभर से श्रद्धालु इसके दर्शन करने आते हैं.
श्रद्धालुओं में इस चट्टान को लेकर विश्वास है कि इसके दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को राम लोक की प्राप्ति होती है. चित्रकूट में स्थिति ये स्थल पुरातात्विक धरोहर होने के साथ आस्था और भक्ति का जीवित प्रमाण है. चित्रकूट की ये भूमि हर राम भक्त को अपनी ओर आकर्षित करती है. चट्टान पर राम शैय्या के प्रत्यक्ष प्रमाण देखने के बाद सभी राम भक्तों को दिव्य अनुभूति का एहसास होता है.
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