शेयर बाजार को इस बड़ी खबर का इंतजार, तब तक सीमित दायरे में रह सकता है कारोबार – markets may trade in a narrow range ahead of rbi mpc meeting says market analysts

Stock Markets: भारतीय शेयर बाजार पिछले कुछ दिनों से एक दायरे में घूमता हुआ दिख रहा है। लगातार तीन दिनों की गिरावट के बाद आज 4 जून को शेयर बाजारों में तेजी लौटी, लेकिन यह तेजी भी सीमित रही। सेंसेक्स 266 अंक बढ़कर बंद हुआ। वहीं उछलकर निफ्टी 24,600 से कुछ ऊपर पहुंच गया। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार में आगे भी एक-दो दिनों तक दायरे में ही कारोबार रहने की उम्मीद है। इसके पीछे वजह यह है कि शेयर बाजार का इस समय पूरा ध्यान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक पर टिकी है, जिसके नतीजे शुक्रवार 6 जून को आने की उम्मीद है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक आज 4 जून से शुरू हो चुकी है। करीब 3 दिन तक चलने वाली इस बैठक के नतीजे शुक्रवार 6 जून को आएंगे। भारतीय रिजर्व बैंक इस बैठक में रेपो रेट में बदलाव को लेकर फैसला करेगा। इसके अलावा बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा, भारत की जीडीपी ग्रोथ और महंगाई दर के अनुमानों को लेकर भी जानकारी देंगे। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार के निवेशक फिलहाल इस बैठक से पहले सतर्क बने हुए हैं, जिसके बाजार में पिछले कुछ कारोबारी दिनों से एक दायरे में घूमता हुआ दिख रहा है।

माना जा रहा है आरबीआई इस बैठक में एक बार फिर रेपो रेट घटाने का फैसला कर सकता है। मनीकंट्रोल के कराए एक पोल में, अर्थशास्त्रियों ने बताया कि उन्हें रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की उम्मीद है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने तो 0.50 फीसदी तक की कटौती का अनुमान जताया है। अगर ऐसा होता है तो यह लगातार तीसरी बार होगा, जब आरबीआई रेपो रेट में कटौती करेगा। इससे पहले आरबीआई ने अप्रैल और फरवरी में भी रेपो रेट में कटौती की थी।

रेपो रेट में कटौती की उम्मीद इसलिए भी की जा रही है क्योंकि खुदरा महंगाई दर इस समय 4% के लक्ष्य से नीचे है। अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 3.16% रही, जो इसका 6-सालों का निचला स्तर है। रेपो रेट में कटौती से न सिर्फ बैंकों के लोन सस्ते होंगे, बल्कि इससे भारत की आर्थिक ग्रोथ को भी बढ़ावा मिलेगा।

मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, शेयर बाजार का स्ट्रक्चर बुलिश बना हुआ है, लेकिन आरबीआई बैठक के नतीजों आने तक कंसॉलिडेशन का दौर जारी रह सकता है। निफ्टी इंडेक्स के इस दौरान 24,000 से 25,000 के दायरे में बने रहने की संभावना है। हालांकि एक्सपर्ट्स ने साथ में यह भी कहा कि अगर कोई बड़ी अप्रत्याशित घटना नहीं आती है, निफ्टी के 24,000 से नीचे गिरने की तुलना में 25,000 से ऊपर जाने की संभावना अधिक है।

बजाज ब्रोकिंग के एक्सपर्ट्स ने बताया कि निफ्टी ने पिछले ट्रेडिंग सेशन की सीमा के भीतर एक नैरो बुल कैंडल बनाई है, जो गुरुवार की एक्सापयरी से पहले चल रहे कंसॉलिडेशन और स्टॉक-स्पेसिफिक एक्शन अधिक दिखने का संकेत देती है।

बजाज ब्रोकिंग ने कहा, “निफ्टी ने पिछले 16 कारोबारी दिनों में 24,400 से लेकर 25,080 के बीच कारोबार किया है। नीचे की ओर इस स्तर पर खरीदारी देखने को मिली है। वहीं ऊपर की ओर से 25,080 का स्तर एक मजबूत रेजिस्टेंस बना हुआ है।” मोतीलाल ओसवाल ने बताया कि आरबीआई के फैसले के बाद रियल एस्टेट और सरकारी बैंकों के शेयरों पर निवेशकों की नजरें रहेंगी क्योंकि ये शेयर ब्यादा दरों के लिहाज से अधिक सेंसिटिव माने जाते हैं।

आरबीआई की बैठक के अलावा शेयर बाजार की चाल को कई और फैक्टर्स भी प्रभावित कर सकते हैं। इसमें सबसे विदेशी निवेशकों का फ्लो और ग्लोबल भू-राजनीतिक घटनाएं है। विदेशी निवेशक अभी तक जून में शुद्ध रूप से सेलर्स बने हुए हैं। पहले 2 दिनों यानी सोमवार और मंगलवार को उन्होंने भारतीय बाजार से 5,443 करोड़ रुपये की निकासी की थी, जिसके चलते बाजार में दबाव देखा गया था। अब देखना होगा कि आगे FIIs की चाल कैसी रहती है।

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