Dividend Stocks: घाटे में हैं ये 22 कंपनियां, फिर भी डिविडेंड बांटने का किया ऐलान, समझें ये पूरा मामला – dividend dilemma 22 loss-making firms announce payouts despite red ink here is whats behind it

Dividend Stocks: डिविडेंड का अर्थ होता है लाभांश यानी लाभ का अंश। कंपनियां पूरे वित्त वर्ष के दौरान जो लाभ कमाती है, उसी का एक हिस्सा अपने शेयरधारकों को डिविडेंड के रूप में बांटती है। लेकिन वित्त वर्ष 2025 के दौरान 20 से भी अधिक ऐसी कंपनियां सामने आई है, जिन्होंने स्टैंडअलोन आधार पर घाटा झेलने के बावजूद अपने शेयरधारकों को डिविडेंड (लाभांश) देने का ऐलान किया है। दिलचस्प बात यह है कि इन कंपनियों में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 33 से 75 प्रतिशत तक है। यानी कंपनी घाटे में रहने के बावजूद इन कंपनियों को प्रमोटरों को करोड़ों रुपये का डिविडेंड मिलने वाला है।

भारत का कंपनी लॉ कहते हैं कि डिविडेंड केवल चालू वर्ष के मुनाफे से दिया जा सकता है, लेकिन कुछ शर्तों में पिछले सालों के रिजर्व (जमा पूंजी) से भी डिविडेंड बांटा जा सकता है।

मनीकंट्रोल की एक एनालिसिस के मुताबिक, ऐसी कम से कम 22 कंपनियां हैं जिन्होंने स्टैंडअलोन नेट लॉस के बावजूद डिविडेंड घोषित किया है। इनमें से कई कंपनियों ने कंसोलिडेटेड स्तर पर मुनाफा दर्ज किया था क्योंकि उनकी सब्सिडियरी कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा रहा था।

हालांकि कानून के मुताबिक डिविडेंड सिर्फ स्टैंडअलोन नतीजों के आधार पर ही घोषित किया जा सकता है। लेकिन चूंकि कुछ विशेष शर्तों में पिछले सालों के रिजर्व (जमा पूंजी) से भी डिविडेंड बांटा जा सकता है। ऐसे में कंपनियां इस नियम का लाभ उठाते हुए डिविडेंड बांट रही है।

सबसे बड़ा डिविडेंड, सबसे बड़ा घाटा!

सबसे अधिक चर्चा में रही है EID Parry India (ईआईडी पैरी इंडिया), जिसने 1 रुपये के फेस वैल्यू वाले शेयर पर 900% यानी ₹9 प्रति शेयर का डिविडेंड घोषित किया है। कंपनी का स्टैंडअलोन घाटा ₹428 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा, लेकिन फिर भी कुल 160 करोड़ रुपये का डिविडेंड बांटा जा रहा है। कंपनी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 41.6% हिस्सेदारी है और उन्हें इससे 66.6 करोड़ रुपये मिलने वाले हैं।

वहीं, इडलवाइज फाइनेंशियल सर्विसेज (Edelweiss Financial Services) ने 52 करोड़ रुपये के घाटे के बावजूद ₹1.50 प्रति शेयर यानी कुल 138 करोड़ रुपये का डिविडेंड घोषित किया है। प्रमोटर्स को इसमें से करीब ₹45 करोड़ मिलेंगे।

यही नहीं, आदित्य बिड़ला रियल एस्टेट (Aditya Birla Real Estate) और एस एच केलकर एंड कंपनी (SH Kelkar and Co) जैसी कंपनियों ने भी नुकसान झेलने के बावजूद क्रमश: 22.4 करोड़ रुपये और 13.8 करोड़ रुपये के डिविडेंड घोषित किए हैं। इनके घाटे क्रमशः ₹15 करोड़ और ₹13.5 करोड़ रहे। कई दूसरे कंपनियों ने भी 2 लाख रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक के भुगतान का ऐलान किया है।

दिलचस्प बात यह है कि कई कंपनियों ने अपने सालाना घाटे से भी अधिक का डिविडेंड घोषित किया है। मैजेस्टिक ऑटो (Majestic Aut) को वित्त वर्ष 25 में 3.4 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इसने 10.4 करोड़ रुपये के लाभांश की घोषणा की। इसमें से 7.8 करोड़ रुपये प्रमोटरों को मिलेंगे।

इसी तरह IL&FS इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स, ओरिकॉन एंटरप्राइजेज और 63 मून्स टेक्नोलॉजीज ने क्रमशः 2.2 करोड़ रुपये, 4.9 करोड़ रुपये और 1.8 करोड़ रुपये के घाटे की सूचना दी, फिर भी इन्होंने क्रमश: 8.79 करोड़ रुपये, 7.85 करोड़ रुपये और 5.53 करोड़ रुपये के डिविडेंड का ऐलान किया है। इनमें से प्रत्येक कंपनी के प्रमोटरों को क्रमशः 4.43 करोड़ रुपये, 5.16 करोड़ रुपये और 2.52 करोड़ रुपये मिलने वाले हैं।

इन कंपनियों ने घाटे के बावजूद डिविडेंट बांटने का किया ऐलान-

No profits to show but still

एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले सालों के जमा मुनाफे से डिविडेंड देने पर कोई सीधा प्रतिबंध नहीं है। हालांकि ऐसी कंपनियों को डिविडेंड प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले अपने लेनदारों (lenders) से अनिवार्य रूप से सहमति लेनी चाहिए। ताकि वित्तीय अनुशासन बनाए रखने और गैर-जिम्मेदाराना वितरण को रोकने में मदद मिले। इसके अलावा कंपनी चाहे कंपनी लाभ में हो या घाटे में, उसे डिविडेंड घोषित करते समय कानूनी शर्तों, भविष्य की विकास योजनाओं, शेयर का मूल्यांकन और लागत को प्रभावित करने वाले भू-राजनीतिक जोखिमों पर जरूर विचार करना चाहिए।

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