Molotov Cocktail: अमेरिका के एक शहर में इजरायल समर्थक प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा ने सभी को चौंका दिया. इस प्रदर्शन पर हुए “लक्षित आतंकी हमले” में हमलावर ने मोलोटोव कॉकटेल और एक अस्थायी फ्लेमथ्रोवर का इस्तेमाल किया. एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में 6 लोग घायल हुए हैं, जिनके शरीर पर जलने जैसे गंभीर घाव हैं.
हमलावर की पहचान 45 वर्षीय मोहम्मद सबरी सोलिमन के रूप में हुई है. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें आरोपी हाथ में मोलोटोव कॉकटेल लिए हुए नजर आ रहा है. बताया जा रहा है कि हमले के दौरान संदिग्ध स्वयं भी घायल हो गया और उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है.
क्या होता है मोलोटोव कॉकटेल?
मोलोटोव कॉकटेल एक देसी हथियार है, जिसे शीशे की बोतल, पेट्रोल जैसे ज्वलनशील तरल और एक कपड़े की बाती से तैयार किया जाता है. इस बाती को आग लगाकर बोतल को लक्ष्य की ओर फेंका जाता है, जिससे वह टकराते ही भड़क उठती है और आग लग जाती है.
मोलोटोव कॉकटेल का इतिहास और नाम का स्रोत
इस हथियार का नाम सोवियत संघ के विदेश मंत्री रहे व्याचेस्लाव मोलोतोव के नाम पर पड़ा. 1939 में फिनलैंड और सोवियत संघ के बीच हुए शीतकालीन युद्ध के दौरान इसका इस्तेमाल हुआ था. उस समय सोवियत बमबारी को मोलोतोव ने “हवाई भोजन वितरण” कहा था. फिनलैंड के लोगों ने इस पर व्यंग्य करते हुए बमों को “मोलोटोव ब्रेड बास्केट” और जवाब में आग लगाने वाली बोतलों को “मोलोटोव कॉकटेल” कहना शुरू किया.
फिनलैंड में बड़े पैमाने पर हुआ निर्माण
फिनलैंड ने कम संसाधनों में मोलोटोव कॉकटेल को एक सशक्त हथियार में बदल दिया. अल्को कॉर्पोरेशन नामक सरकारी शराब कंपनी ने 1939 में करीब 5 लाख मोलोटोव कॉकटेल तैयार किए. इनका इस्तेमाल विशेष रूप से सोवियत टैंकों को जलाने में किया गया क्योंकि वे गैसोलीन से चलते थे.
विद्रोह और दंगों में अक्सर किया गया इस्तेमाल
1930 के दशक में अस्तित्व में आने के बाद से मोलोटोव कॉकटेल दुनियाभर में कई क्रांतियों, विरोध प्रदर्शनों और दंगों में इस्तेमाल होता रहा है. यह हथियार सस्ते, सरल और प्रभावी होने के कारण अक्सर हिंसक आंदोलनों का हिस्सा बना रहा है.
सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
हमले के बाद अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं. इस घटना को संभावित आतंकवादी हमले के रूप में देखा जा रहा है और इसकी गंभीरता से जांच की जा रही है. साथ ही, यह घटना अमेरिका में प्रदर्शन स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था पर नए सिरे से सवाल खड़े कर रही है.
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