भारतीय डेरिवेटिव्स मार्केट में एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा हुई है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपायरी को मंगलवार या गुरुवार तक सीमित करने का निर्णय लिया है। यह कदम मार्केट में स्थिरता लाने, निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और एक्सपायरी डे की अत्यधिक वोलैटिलिटी को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
क्या है मामला?
SEBI ने 27 मार्च 2025 को एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया, जिसमें प्रस्ताव दिया गया कि फिक्स्ड डे एक्सपायरी होनी चाहिए। इस नियम को 26 मई 2025 को जारी एक सर्कुलर के माध्यम से लागू किया गया। इसके तहत, प्रत्येक स्टॉक एक्सचेंज को अपने साप्ताहिक बेंचमार्क इंडेक्स ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट के लिए मंगलवार या गुरुवार में से एक डे चुनना होगा।
इसके अलावा, अन्य सभी इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स, जैसे बेंचमार्क इंडेक्स फ्यूचर्स, नॉन-बेंचमार्क इंडेक्स फ्यूचर्स/ऑप्शंस, और सिंगल स्टॉक फ्यूचर्स/ऑप्शंस, की न्यूनतम अवधि एक महीने होगी, और इनकी एक्सपायरी महीने के अंतिम सप्ताह में चुने गए डे (अंतिम मंगलवार या गुरुवार) को होगी।
डेरिवेटिव्स मार्केट में नुकसान का असर
SEBI का यह निर्णय डेरिवेटिव्स मार्केट में बढ़ती वोलैटिलिटी और निवेशकों के नुकसान को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। SEBI के सितंबर 2024 के विश्लेषण के अनुसार, पिछले तीन वित्तीय वर्षों (FY22 से FY24) में F&O मार्केट में व्यक्तिगत ट्रेडर्स को कुल 1.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। लगभग 93% ट्रेडर्स, यानी 10 में से 9 ट्रेडर्स ने औसतन 2 लाख रुपये का नुकसान उठाया। शीर्ष 3.5% नुकसान उठाने वाले ट्रेडर्स (लगभग 4 लाख ट्रेडर) ने औसतन 28 लाख रुपये का नुकसान दर्ज किया। केवल 1% ट्रेडर्स ने ही 1 लाख रुपये से अधिक का लाभ कमाया।
FY24 में NSE पर इंडेक्स डेरिवेटिव्स में 92.5 लाख व्यक्तियों और प्रोप्राइटरशिप फर्म ने ट्रेडिंग की और कुल 51,689 करोड़ रुपये का नुकसान उठाया। यह डेटा दर्शाता है कि F&O मार्केट ने निवेशकों के लिए जोखिम को बढ़ाया है, जिसे SEBI अपने नए नियमों के माध्यम से कम करने का प्रयास कर रही है।
एक्सपायरी डे का इतिहास
SEBI के नियमों से पहले, स्टॉक एक्सचेंज ने अपने डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स के एक्सपायरी डे में कई बार बदलाव किए थे। उदाहरण के लिए, BSE ने अपनी साप्ताहिक सेंसेक्स एक्सपायरी को शुक्रवार से मंगलवार में बदला था, जबकि NSE ने बैंक निफ्टी की एक्सपायरी को गुरुवार से शुक्रवार और फिर बुधवार में स्थानांतरित किया। पहले NSE पर चार इंडेक्स और BSE पर दो इंडेक्स के लिए साप्ताहिक एक्सपायरीयाँ थीं, लेकिन अब प्रत्येक एक्सचेंज केवल एक बेंचमार्क इंडेक्स के लिए साप्ताहिक एक्सपायरी की पेशकश कर सकता है।
निवेशकों के लिए इसमें क्या है?
निवेशकों के लिए, यह नया नियम कई लाभ ला सकता है। पहला, मंगलवार और गुरुवार को एक्सपायरी डे को सीमित करने से मार्केट में वोलैटिलिटी कम होगी, जिससे ट्रेडर्स को अधिक अनुमानित और स्थिर ट्रेडिंग पैटर्न मिलेंगे। इससे विशेष रूप से रिटेल निवेशकों को लाभ होगा, जो अक्सर एक्सपायरी डे की वोलैटिलिटी में नुकसान उठाते हैं। SEBI के अनुसार, साप्ताहिक एक्सपायरी को एक इंडेक्स तक सीमित करने से स्पेक्युलेटिव ट्रेडिंग में कमी आएगी, जो रिटेल निवेशकों के लिए जोखिम को कम करेगा।
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आगे क्या होगा?
27 मार्च को जारी कंसल्टेशन पेपर में SEBI ने फिक्स्ड एक्सपायरी डेट्स का प्रस्ताव रखा था। इसका उद्देश्य एक्सपायरी के बीच उचित अंतर रखना और एक्सचेंजों को फाइनल सर्कुलर आने तक इंतजार करने के लिए कहा गया था। अब SEBI ने एक्सचेंज को अपने कॉन्ट्रैक्ट्स के एक्सपायरी या सेटलमेंट डे में बदलाव करने से पहले लेने का निर्देश दिया है। साथ ही, स्टॉक एक्सचेंज को इस नए नियम के अनुपालन के लिए अपनी योजनाएँ 15 जून 2025 तक SEBI को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
राज व्यास
(लेखक तेजी मंदी के वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) हैं। यहां व्यक्त विचार उनके निजी विचार है। इसका इस पब्लिकेशन से कोई संबंध नहीं है।)
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