सेबी ने दिव्यांगों के लिये बड़ा फैसला लिया है। उसने सभी रेगुलेटेड एनटिटीज को दिव्यांग लोगों को डिजिटल केवायसी (नो योर कस्टमर्स) की सुविधा देने को कहा है। मार्केट रेगुलेटर ने ऐसे सभी अकाउंट्स के लिए एफएक्यू भी इश्यू किया है। इस एफएक्यू में इस सुविधा के बारे में विस्तार से बताया गया है।
गार्जियन के हस्ताक्षर से अकाउंट ओपन हो सकता है
SEBI के इस FAQ में कहा गया है कि अगर कोई दिव्यांग व्यक्ति खुद हस्ताक्षर नहीं कर सकता है तो उसके गार्जियन के हस्ताक्षर से अकाउंट ओपन किया जा सकता है। हालांकि, गार्जियन और दिव्यांग को अप्लिकेबल KYC नियमों का पालन करना होगा। ऐसे व्यक्ति को ऑनलाइन या डिजिटल केवायसी की सुविधा दी जा सकती है। इसका मतलब है कि अगर कोई दिव्यांग क्लाइंट ऑनलाइन या डिजिटल केवायसी का अनुरोध करता है तो इंटरमीडियरी को लाइव इनवायरमेंट में वीडियो कैप्चरिंग सुविधा देनी होगी।
केवायसी के दौरान आंखें झपकाने का विकल्प देना होगा
एफएक्यू में यह भी कहा गया है कि अगर दिव्यांग व्यक्ति वीडियो केवायसी के दौरान खुद के सजीव होने के वेरिफिकेशन के लिए आंखें नहीं झपका पाता है तो इंटरमीडियरी दूसरे पैरामीटर्स का भी इस्तेमाल कर सकता है। इसमें पलकें झपकाने की जगह फेशियल एक्सप्रेशंस, सिर हिलाने, स्क्रीन पर साफ तौर पर क्लाइंट के ओटीपी दिखाने, रियल टाइम वीडियो रिकॉर्डिंग और स्क्रीन पर डॉक्युमेंट्स की कॉपी दिखाने जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
डॉक्युमेंट्स पर ई-सिग्नेचर को अंगूठे के निशान को स्वीकार किया जाएगा
सेबी ने यह भी कहा है कि Know Your Client (KYC) वेरिफिकेशन अकाउंट आधारित रिलेशनशिप के दौरान इंटरमीडियरीज की तरफ से किया जाएगा। मार्केट रेगुलेटर का यह सर्कुलर सिर्फ दिव्यांग लोगों के मामलों पर लागू होगा। इंटरमीडियरीज को सेंट्रल केवायसी रजिस्ट्री से डाउनलोड किए गए केवायसी इंफॉर्मेशन पर निर्भर होना पड़ेगा। इसके लिए दिव्यांग व्यक्ति की सहमति जरूरी है। अगर पेज पर सभी डॉक्युमेंट्स के साथ ई-सिग्नेचर किया गया है तो इनवेस्टर के अंगूठे के निशान को भी स्वीकर किया जा सकता है।
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सेबी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इश्यू किया FAQ
SEBI ने यह FAQ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इश्यू किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 30 अप्रैल, 2025 को दिया था। इसमें दिव्यांग व्यक्ति की पहुंच फाइनेंशियल सर्विसेज तक सुनिश्चित करने के लिए जरूरी उपाय करने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतलब यह था कि दिव्यांग लोगों को डिजिटल केवायसी की सुविधा मिलनी चाहिए।
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