शेयर बाजार को खतरा? FIIs ने 3 दिन में बेच दिए ₹15,000 करोड़ के शेयर, जानिए क्या हैं कारण – fiis pull out rs 15000 crore in 3 days from share market what is driving selloff and what it means for you

FIIs Selling: शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों यानी FIIs ने एक बार फिर से अपनी चाल बदल दी है। पिछले 3 दिनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से करीब 15,000 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। शेयर बाजार में जो हालिया उतार-चढ़ाव देखा गया है, उसके पीछे FIIs की बिकवाली को सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है। सवाल है कि आखिर विदेशी निवेशक ऐसा क्यों कर रहे हैं और क्या इससे भारतीय शेयर बाजार को कोई खतरा है?

विदेशी निवेशकों (FIIs) ने कई महीनों तक लगातार पैसा निकालने के बाद अप्रैल महीने से भारतीय शेयर बाजार में खरीदारी शुरू की थी। विदेशी निवेशकों के आते ही सेंसेक्स और निफ्टी ने एक बार से रफ्तार पकड़ ली। 7 अप्रैल के बाद से अब तक सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 12 फीसदी की तेजी आ चुकी है। लेकिन अब अचानक विदेशी निवेशकों ने एक बार फिर से बिकवाली शुरू कर दी है। पिछले 4 कारोबारी दिनों, यानी 19 से 22 मई के बीच उन्होंने कुल 15,587 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। खासकर मंगलवार 20 मई को उन्होंने एक दिन में 10,000 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली की थी। यह पिछले दो महीनों में उनकी ओर से की गई सबसे बड़ी बिकवाली है। इसके बाद गुरुवार 22 मई को भी विदेशी निवेशकों 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचे, जिसने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है।

तो सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसके पीछे कई ग्लोबल और घरेलू फैक्टर्स काम कर रहें हैं। सबसे बड़ी वजह है अमेरिका और जापान में बॉन्ड यील्ड्स का तेजी से बढ़ना। अमेरिका के 10 सालों वाले ट्रेजरी बॉन्ड की यील्ड हाल ही में बढ़कर 4.52 प्रतिशत तक पहुंच गई । वहीं पर उसकी 30 साल की अवधि वाले बॉन्ड की यील्ड 5.14 प्रतिशत तक जा पहुंची। इसका मतलब है कि अमेरिका की बढ़ती फिस्कल डिफिसिट से फाइनेंशियल मार्केट्स में अस्थिरता बनी हुई है। इसके चलते निवेशक अपनी पूंजी को सुरक्षित विकल्प जैसे अमेरिकी बॉन्ड में ट्रांसफर कर रहे हैं और जोखिम भरे मार्केट जैसे भारत के शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं।

जापान में भी 30 साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड बढ़कर 3.14 प्रतिशत हो गई है, जो ग्लोबल फाइनेंशियल कंडिशन के कड़े होने का संकेत है। इसके अलावा, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज की तरफ से अमेरिका के क्रेडिट रेटिंग में कटौती ने भी ग्लोबल निवेशकों को डरा दिया है।

साथ ही, पश्चिम एशिया से ऐसी खबरें आ रही हैं कि इजराइल, ईरान पर हमले की योजना बना रहा है। इस खबर ने क्रूड ऑयल के दाम को बढ़ा दिया है, जिसके चलते ग्लोबल निवेशकों में ‘रिस्क-ऑफ’ मूड बढ़ा है। अभी क्रूड ऑयल के दाम लगभग 64 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहे हैं। भारत में भी कोविड मामलों में हल्की बढ़ोतरी ने निवेशकों के मन में अनिश्चितता पैदा की है, हालांकि फिलहाल इसे कोई बड़ी चिंता नहीं माना जा रहा।

अब सवाल ये है कि आम निवेशकों को क्या करना चाहिए? क्या उन्हें डरना चाहिए?

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि फिलहाल यह बिकवाली ज्यादा रणनीतिक और अस्थायी है, न कि बाजार के स्ट्रक्चर में कोई बड़ी समस्या। SBI सिक्योरिटीज के सनी अग्रवाल कहते हैं, “घरेलू स्तर पर कोई ऐसा नकारात्मक कारण नहीं है जो इतनी भारी बिकवाली को सही ठहराए। यह एक शॉर्ट-टर्म पुलबैक है, जो कि ग्लोबल घटनाओं के चलते देखने को मिली है।”

वहीं फिडेंट एसेट मैनेजमेंट के फाउंडर ऐश्वर्या दधिच का भी यही कहना है कि “विदेशी निवेशकों ने अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में उछाल आने पर तत्काल प्रतिक्रिया दी है, जिसके चलते यह शॉर्ट-टर्म गिरावट देखने को मिली है।” ऐश्वर्या दधिच का कहना है कि विदेशी निवेशकों का नजरिया अभी भी भारत को लेकर सकारात्मक बना हुआ है।

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