Om Dar-B-Dar film very difficult to explained without knowing astrology science and philosophy

ओम दर-ब-दर (Om Dar-B-Dar), कमल स्वरूप द्वारा निर्देशित ये फिल्म अनूठी शैली, बेतुके कथानक और सामाजिक-राजनीतिक व्यंग्य के लिए भारतीय सिनेमा की सबसे प्रभावशाली और रहस्यमय कल्ट फिल्मों में से एक.

इस फिल्म की खास बात है इसका शिल्प और पर्दे पर कहानी कहने का तरीका, जो इतना अनूठा है कि सिनेमा के जानकार भारत की सबसे प्रभावशाली और रहस्यमय कल्ट फिल्मों में से इसे एक मानते हैं.

ओम दरबदर क्या है और इसे क्यों देखना चाहिए?
फिल्म स्टूडेंट्स, फिल्ममेकर्स और आलोचकों के बीच यह फिल्म Must watch की सूची में शामिल है. इस फिल्म को लेकर अक्सर चर्चा और विमर्श होता रहता है. दर्शक इसे समझने की कोशिश में उलझ जाते हैं और बार-बार देखना पसंद करते हैं.

लेकिन यहां पर बात करेंगे फिल्म के ज्योतिषीय पहलू की, क्योंकि ‘ज्योतिष’ इस फिल्म के प्रमुख आकर्षण में से एक है. यदि इस विषय के बारे में आपकी रुचि नहीं है तो इस फिल्म को पूरी तरह से समझने में मुश्किल आ सकती है.

ओम दर-ब-दर (Om Dar-B-Dar) फिल्म की शुरुआत ही ज्योतिष से होती है. इसके पहले ही सीन में कुंडली और शनि की स्थिति को लेकर जिस प्रकार से चर्चा और चित्रण होता है वो समाज में ज्योतिष शास्त्र को लेकर जो धारणा और मान्यता है उसे मजबूती से प्रस्तुत करती है.  

‘ओम दर-ब-दर’ जिसकी कहानी एक किशोर लड़के के इर्द गिर्द चलती है, जिसका नाम ‘ओम’ है. ये अजमेर और पुष्कर जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध स्थानों में रहता है.

ओम का इन शहरों में रहना कोई संयोग नहीं, बल्कि निर्देशक कमल स्वरूप की एक गहरी सिनेमाई रणनीति का हिस्सा जान पड़ती है. ओम एक असामान्य बुद्धि और जिज्ञासु स्वभाव वाला लड़का है, जो विज्ञान, दर्शन, राजनीति और कला में रुचि रखता है.

फिल्म में ओम के किरदार में एक दार्शनिक, वैज्ञानिक और साधारण इंसान तीनों की झलक मिलती है लेकिन ये सब कुछ एक बेतुके और विडंबनात्मक अंदाज (Ironic Tone) में कमल स्वरूप शानदार तरीके से स्क्रीन पर पेश करते हैं, उनके कहने का अंदाज कमर्शियल फिल्म से एकदम अलग है. 

वे किसी भी सीन पर सीधे नहीं पहुंचे हैं, वहां तक पहुंचने के बीच जो कुछ भी घट रहा होता है, उसे बहुत ही रोचक ढंग से पेश करते हैं. यही शैली इस फिल्म को दूसरी फिल्मों से बिल्कुल अलग बना देती है. ओम दर-ब-दर में ज्योतिषीय संकेतों का बहुत ही प्रभावशाली ढ़ंग से इस्तेमाल किया गया है, कैसे? समझते हैं.

ओम दर ब दर की पूरी कहानी समझाएं
फिल्म के आरंभ में लड़के के पिता जो एक ज्योतिषी हैं. वे कहते हैं,’मिथुन लग्न है और लग्नेश लग्न को देख रहा है, इसलिए इसकी उम्र 17 साल है’. कम उम्र होने के कारण वे लड़के का नाम  ‘ॐ’ (ओम) रख देते हैं.

ताकि यमराज की दृष्टि से लड़का बचा रहे. ओम के पिता को विश्वास है कि ओम नाम यमराज की लिस्ट में नहीं है. ओम की दुनिया वास्तविकता और कल्पना के बीच झूलती रहती है.

वह अपने परिवार की विचित्र परिस्थितियों, समाज की रूढ़ियों और जीवन की उलझनों से जूझता है. फिल्म का ये सीन सिर्फ स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और दार्शनिक पक्ष को दर्शाता है.

क्या ज्योतिष में ऐसे योग से उम्र तय होती है?
फिल्म से हटकर अब उन तथ्यों की पड़ताल करते हैं कि क्या जो इस फिल्म में कहा गया है, वह विशुद्ध पारंपरिक ग्रंथों से मेल खाता है? तो ये कोई प्रमाणिक नहीं है यानी ‘मिथुन लग्न और लग्नेश की दृष्टि  से अल्प आयु के होने का कोई सूत्र सीधे तौर पर बृहत पाराशर होरा शास्त्र या फलदीपिका में नहीं मिलता.

लेकिन कुछ नाड़ी ज्योतिषीय पद्धतियां 17, 24, 36 वें वर्ष को ‘संकेत-काल’ मानती हैं. हो सकता है कि फिल्म में इसी काल को मृत्यु-संकेत के तौर पेश किया गया हो.

‘ॐ’ जो यमदूतों को रोक सकता है?
शास्त्रों के अनुसार ‘ॐ’ (ओम) कोई साधारण नाम नहीं है, यह ब्रह्मांड की प्रथम ध्वनि, सर्वोच्च तत्व और अमरता का प्रतीक माना गया है. कठोपनिषद में यमराज नचिकेता से कहते हैं, ‘ॐ इत्येतदक्षरं ब्रह्म’ यानि जो इस अक्षर का ध्यान करता है, वह न केवल मृत्यु से भयमुक्त होता है, बल्कि मोक्ष के योग्य भी हो जाता है.

गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के समय जो ‘ॐ नमो नारायणाय’ का जप करता है, यमदूत उसे छू नहीं सकते. आधुनिक दृष्टिकोण से देखें तो यह नाम सिर्फ प्रतीकवाद जैसा प्रतीत होता है. जबकि धार्मिक दृष्टि से: ओम (ॐ) नाम मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है.

मनोवैज्ञानिक दृष्टि से यह नाम व्यक्ति को आत्मबल और सकारात्मकता प्रदान करता है और फिल्मी दृष्टि से देखें तो यह नाम विरोध और अस्तित्व की नई परिभाषा (Redefinition) का प्रतीक है.

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