चीन ने अमेरिका को दिया बड़ा 'झटका', इस क्षेत्र में रचा इतिहास, US की चिंता बढ़ेगी?

<p style="text-align: justify;">टेक्नोलॉजी की दुनिया में चीन ने एक ऐसा कदम बढ़ा दिया है, जो भविष्य की तस्वीर को पूरी तरह बदल सकता है. चीनी वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसी तकनीक का सफल परीक्षण किया है, जिसमें स्मार्टफोन सीधे 5G सैटेलाइट से जुड़कर वीडियो कॉल कर सका, वो भी बिना किसी एक्स्ट्रा डिवाइस के. ये कारनामा अब तक सिर्फ साइंस फिक्शन में देखा गया था, लेकिन अब ये हकीकत बन गया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अब नेटवर्क नहीं, सैटेलाइट से कनेक्ट होगा फोन</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इस नई तकनीक का मतलब है कि स्मार्टफोन अब किसी मोबाइल टावर या नेटवर्क प्रोवाइडर पर निर्भर नहीं रहेगा. सीधे सैटेलाइट से कनेक्शन मिलने का फायदा ये होगा कि दूर-दराज के इलाकों में भी लोग तेज इंटरनेट और कॉलिंग का इस्तेमाल कर सकेंगे. अभी तक ऐसी सुविधा के लिए खास सैटेलाइट फोन की जरूरत होती थी, लेकिन अब आम स्मार्टफोन भी ये काम कर पाएंगे.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अमेरिका की पॉलिसी पर पड़ेगा असर?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">यहां से सवाल उठता है कि क्या चीन की ये टेक्नोलॉजी अमेरिका के लिए सिरदर्द बन सकती है? माना जा रहा है कि अगर अमेरिकी सरकार किसी ऐप को बैन करती है, जैसे टिकटॉक को लेकर कई बार चर्चा हो चुकी है तो सैटेलाइट कनेक्शन के जरिए अमेरिकी यूज़र उन ऐप्स तक बिना रुकावट पहुंच सकते हैं. इससे सरकार के ऐप बैन करने जैसे कदमों की असरकारिता पर सवाल उठ सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>चीन की नई चाल स्टारलिंक के खिलाफ?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">चीन की इस तकनीकी प्रगति को एलन मस्क की &lsquo;स्टारलिंक&rsquo; सेवा के जवाब के तौर पर भी देखा जा रहा है. स्टारलिंक जहां स्पेस-बेस्ड इंटरनेट मुहैया कराने में अग्रणी है, वहीं अब चीन भी उसी रास्ते पर चल पड़ा है. फर्क बस इतना है कि चीन की कोशिश सरकारी स्तर पर हो रही है, जबकि स्टारलिंक एक प्राइवेट इनिशिएटिव है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>चुनौती सिर्फ टेक्निकल नहीं, कानूनी भी</strong></p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि ये तकनीक जितनी एडवांस है, उससे जुड़ी चुनौतियां भी उतनी ही गंभीर हैं. सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट एक्सेस करना कई देशों के नियम-कायदों से टकरा सकता है. चीन के एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि इंटरनेशनल लॉ और साइबर सिक्योरिटी को लेकर कई अड़चनें सामने आ सकती हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भविष्य कैसा होगा?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अगर ये तकनीक बड़े स्तर पर लागू हो गई, तो दुनिया में इंटरनेट एक्सेस का तरीका पूरी तरह बदल सकता है. सरकारों की सेंसरशिप, ऐप बैन और नेटवर्क पाबंदियों का असर कम हो जाएगा. साथ ही, ऐसे इलाकों में भी कनेक्टिविटी मिलेगी जहां आज तक मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंच पाया है.</p>
<p style="text-align: justify;">चीन की यह नई पहल सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि वैश्विक डिजिटल पावर बैलेंस को बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि दुनिया की बड़ी ताकतें इस पर कैसी प्रतिक्रिया देती हैं और टेक्नोलॉजी का ये गेम आगे क्या मोड़ लेता है.</p>

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