up shikshak bharti 2025 U-turn on 1 lakh 93 thousand teacher recruitment became problem for BJP Akhilesh Yadav reaction

UP Shikshak Bharti 2025: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने बुधवार, 21 मई को एक अखबार की कतरन शेयर करते हुए ऐलान किया था कि सरकार 1 लाख 93 हजार शिक्षक भर्तियां करेगी. कुछ देर बाद राज्य सरकार के आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट हटा दी गई. जिसके बाद अब इस मुद्दे पर सियासत शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को घेरते हुए लंबी चौड़ी पोस्ट लिखी है. उन्होंने सरकार के यूटर्न के पीछे की क्रोनोलॉजी भी समझाई है.

यूपी के पूर्व सीएम ने लिखा कि 1,93,000 शिक्षक भर्तियों के जुमलाई विज्ञापन से जन्मा  : 2027 के चुनाव में ‘भाजपा की हार का राजनीतिक गणित’ . मान लिया जाए कि 1 पद के लिए कम-से-कम 75 अभ्यर्थी होते, तो यह संख्या होती = 1,44,75,000 ⁠और एक अभ्यर्थी के साथ यदि केवल उनके अभिभावक जोड़ लिए जाएं तो कुल मिलाकर 3 लोग इससे प्रभावित होंगे अर्थात ये संख्या बैठेगी = 4,34,25,000.

सपा चीफ ने लिखा कि ⁠ये सभी व्यस्क होंगे अतः इन्हें 4,34,25,000 मतदाता मानकर अगर उप्र की 403 विधानसभा सीटों से विभाजित कर दें तो ये आँकड़ा लगभग 1,08,000 वोट प्रति सीट का आयेगा . ⁠और अगर इनका आधा भी भाजपा का वोटर मान लें (चूँकि भाजपा 50% वोटर्स की जुमलाई बात करती आई है) तो लगभग 1,08,000 का आधा मतलब हर सीट पर  54,000 मतों का नुक़सान भाजपा को होना तय है.  ⁠इस परिस्थिति में भाजपा 2027 के विधानसभा चुनावों में दहाई सीटों पर ही सिमट जाएगी. 

उन्होंने लिखा कि पुलिस भर्ती के मामले में ‘भर्तियों का ये गणित’ भाजपा को उप्र में लगभग आधी सीटों पर हारने में सफल भी रहा है, अत: ऐसे आँकड़ों को अब सब गंभीरता से लेने लगे हैं. अब ये मानसिक दबाव का नहीं वरन सियासी सच्चाई का आँकड़ा बन चुका है. 

अखिलेश ने लिखा कि जैसे ही ये आँकड़ा प्रकाशित होगा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले भाजपाई प्रत्याशियों के बीच जाएगा वैसे ही उनका राजनीतिक गुणा-गणित टूट कर बिखर जाएगा और विधायक बनने का उनका सपना भी. इससे भाजपा में एक तरह से भगदड़ मच जाएगी. ऐसे में भाजपा को मतदाता ही नहीं बल्कि प्रत्याशियों के भी लाले पड़ जाएँगे. वैसे भी कुछ निम्नांकित उल्लेखनीय कारणों से भाजपा सरकार के विरोध में, उप्र की जनता पूरी तरह आक्रोशित है और भाजपा को 2027 के चुनाव में बुरी तरह से हराने और हटाने के लिए पूरी तरह कमर कस के तैयार है.

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‘न जाने कितने मुद्दे हैं जो…’
कन्नौज सांसद ने लिखा कि न जाने कितने मुद्दे हैं, जो भाजपा विरुद्ध जनता  में आक्रोश का उबाल ला चुके हैं. उप्र में लोकसभा की पराजय के बाद भाजपा का सारा सियासी समीकरण और साम्प्रदायिक राजनीति का फ़ार्मूला पहली ही फ़ेल हो चुका है, विकास के नाम पर इन्होंने सपा सरकार के बने कामों के उद्घाटन का उद्घाटन मात्र किया है. ऐसे में भाजपा के भावी प्रत्याशियों के बीच ये संकट है कि वो जनता के बीच क्या मुँह लेकर जाएं. इसीलिए उप्र में भाजपा 2027 के चुनाव में अपनी हार मान चुकी है और जाने से पहले हर ठेके और काम में बस पैसा बटोरने में लगी है.  इसीलिए उप्र ‘ऐतिहासिक महाभ्रष्टाचार’ के दौर से गुजर रहा है. 

यूपी के पूर्व सीएम ने लिखा- भाजपा की सामाजिक अन्याय, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता पर आधारित समाज को लड़ानेवाली बेहद कमज़ोर हो चुकी दरारवादी-विभाजनवादी नकारात्मक राजनीति के मुक़ाबले ‘सामाजिक न्याय के राज’ की स्थापना का महालक्ष्य लेकर चलनेवाली समता-समानतावादी, सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक पीडीए राजनीति का युग आ चुका है. 90% पीड़ित जनता जाग चुकी है और ‘अपनी पीडीए सरकार’ बनाने के लिए कटिबद्ध भी है और प्रतिबद्ध भी.

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