Israel Plan To Strike Iran Nuclear Site: इजरायल-हमास युद्ध में ईरान हमास को लगातार मदद पहुंच रहा है. इस वजह से ईरान इजरायल के लिए खतरा बना हुआ है. इस बीच सीएनएन की रिपोर्ट ने तहलका मचा दिया है, जिसमें खुलासा किया गया है कि इजरायल ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमले की तैयारी कर रहा है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि अंतिम निर्णय लिया गया है या नहीं, लेकिन हथियारों का भंडारण और वायु सेना अभ्यास इस ओर इशारा करता है कि इजरायल इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह तैयारी एक मनोवैज्ञानिक दबाव की राजनीति भी हो सकती है, ताकि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम में रियायत दे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान ईरान से परमाणु समझौता खत्म कर दिया गया था, जिससे मौजूदा तनाव की नींव रखी गई. ट्रंप ने स्पष्ट किया था कि अगर ईरान बातचीत में सहयोग नहीं करता, तो सैन्य विकल्प खुला रहेगा. उन्होंने ईरानी नेतृत्व को 60 दिन की समयसीमा दी थी जो अब बीत चुकी है. अमेरिकी खुफिया अब मानते हैं कि इजरायल की ओर से हमला होने की संभावना काफी बढ़ गई है”, खासकर तब जब बातचीत एक बार फिर ठप हो गई है.
ईरान की प्रतिक्रिया और कूटनीतिक गतिरोध
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने साफ कहा है कि ईरान यूरेनियम संवर्धन के अपने अधिकार को बनाए रखेगा. उनका मानना है कि यह अधिकार संयुक्त राष्ट्र की परमाणु अप्रसार संधि (NPT) की तरफ से सुरक्षित है. वहीं अमेरिका इस पर अडिग है कि वह 1% भी संवर्धन की अनुमति नहीं देगा”, क्योंकि यह हथियार निर्माण के रास्ते खोल सकता है. यही विरोधाभास बातचीत को विफल बना सकती है.
अमेरिका की सीमित भूमिका
हालांकि अमेरिका इजरायल को खुफिया जानकारी देने में मदद कर रहा है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि जब तक ईरान कोई बड़ा उकसावा नहीं करता, अमेरिका सीधे सैन्य हमले में शामिल नहीं होगा. इसके अलावा, इजरायल अकेले गहराई में स्थित ईरानी परमाणु ठिकानों पर प्रभावी हमला नहीं कर सकता. इसके लिए उसे अमेरिका की लॉजिस्टिक सहायता जैसे हवा में ईंधन भरना और बंकर-भेदी बम की जरूरत होगी.
हालिया सैन्य घटनाएं और ईरान की स्थिति
अक्टूबर में इजरायल ने ईरान के मिसाइल कारखानों और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया था. इसके अलावा आर्थिक प्रतिबंधों और ईरानी सहयोगी गुटों को हुए नुकसान ने तेहरान की स्थिति पहले से कहीं अधिक कमजोर बना दी है. इजरायल इस मौके को रणनीतिक अवसर के रूप में देख रहा है,जब ईरान आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य रूप से अपेक्षाकृत अस्थिर है.
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