Rahu Ketu Gochar 2025 impact on indian politics health heat wave stock market

Rahu Ketu Gochar 2025: राहु-केतु दोनों ही छाया ग्रह माने गए हैं और ये हमेशा वक्री यानी उल्टी चाल से चलते हैं। 18 मई को राहु कुंभ राशि में और केतु सिंह राशि में प्रवेश करेंगे.राहु-केतु का राशि परिवर्तन 18 मई को शाम 5:20 बजे होगा.ज्योतिष गणना के अनुसार शनिदेव के बाद राहु-केतु सबसे ज्यादा दिनों तक किसी एक राशि में विराजमान रहते हैं. वर्तमान में राहु मीन राशि में और केतु कन्या राशि में स्थित हैं. 

18 साल बाद दोबारा से राहु कुंभ राशि में और केतु सिंह राशि में प्रवेश करने वाले हैं. कुंभ राशि के स्वामी शनि हैं और सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं. इस गोचर का सबसे ज्यादा प्रभाव पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में देखने को मिलेगा. आने वाले दो महीनों में भारत की राजनीति, विदेश नीति और युद्ध नीति में बदलाव की संभावना है.

बनेगा द्वादश योग

29 मार्च को शनि ने मीन राशि में प्रवेश किया है. अब राहु के कुंभ राशि में प्रवेश से शनि-राहु का द्वादश योग बनेगा. जिससे विश्व राजनीति में उथल-पुथल हो सकती है. इसका असर बाजार और व्यापार पर भी दिखाई देगा. न्यायिक और संवैधानिक मामलों में भी नए प्रकार के निर्णय आ सकते हैं. मंगल और राहु के बीच खड़ा अष्टक योग बनने से युद्ध की मानसिकता वाले देशों के लिए यह समय महत्वपूर्ण होगा. यह योग राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक बदलावों का संकेत दे रहा है.

कौन है राहु-केतु

राहु-केतु के बारे में पौराणिक कथा काफी प्रचलित है कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हो रहा था तो राहु-केतु चुपके से मंथन के दौरान निकला अमृत पी लिया था. तब भगवान विष्णु मोहनी का रूप धारण करके सभी देवताओं को अमृतपान करा रहे थे जैसे ही उन्हें इस बात का आभास हुआ फौरन ही अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया था हालांकि इस दौरान राहु ने अमृत पान कर लिया जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई. तभी से राहु को सिर और केतु को धड़ के रूप में है.

देश दुनिया पर असर

  • जब भी राहु-केतु का राशि परिवर्तन होता है. तब इसका प्रभाव न सिर्फ सभी जातकों के ऊपर होता है बल्कि देश-दुनिया पर भी प्रभाव देखने को मिलता है.
  • राहु-केतु के गोचर से कई तरह के प्राकृतिक उथल-पुथल होने की संभावना रहती है. पृथ्वी पर गर्मी का प्रकोप बढ़ जाता है और वर्षा भी कम होती है.
  • देश-दुनिया में राजनीति अपने चरम पर होती है. एक-दूसरे देशों में तनाव काफी बढ़ जाता है. राजनीति के क्षेत्र में उतार-चढ़ाव बना रहेगा.
  • रोग बढ़ जाते हैं जिससे जनता का हाल बुरा हो जाता है. जनता में तनाव बढ़ सकता है. झूठी बातें ज्यादा तेजी से फैलेंगी.
  • जनता को त्वचा रोगों का सामना करना पड़ सकता है. किसानों की फसलों पर टिड्डियों और अन्य कीटों का आक्रमण हो सकता है.
  • किसानों को अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी. खाने-पीने की वस्तुंओं की कमी तथा उनकी कीमतों में वृद्धि.
  • पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों के बढ़ने के बाद जरूरी उपभोगता वस्तुओं के मूल्यों में भी इजाफा होने से जनता परेशान होगी.
  • दुनियाभर में गेहूं तथा अन्य अनाजों की कीमतों में वृद्धि होगी. खडी फसलों को नुक्सान हो सकता है.
  • कुछ देशों में अन्न की कमी से कानून-व्यवस्था को लेकर भी संकट की स्थिति पैदा होगी.
  • स्टॉक मार्केट में उथल-पुथल मच सकती है. भारत में अप्रैल -सितंबर तक का समय सत्ताधारी दल के बड़े नेताओं और अधिकारियों की सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील है.
  • बड़े नेताओं के संदर्भ में कुछ अप्रिय घटनाएं सामने आ सकती हैं. कुछ बड़ी प्रकृति आपदा जैसे बाढ़-भूस्खलन से जन धन की हानि करवा सकते हैं.

वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु एक अशुभ ग्रह है. हालांकि अन्य ग्रहों की तुलना में (केतु को छोड़कर) इसका कोई वास्तविक आकार नहीं है। इसलिए राहु को छाया ग्रह कहा जाता है। स्वभाव के अनुसार, राहु को पापी ग्रह की संज्ञा दी गई है. आमतौर पर कुंडली में राहु का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय उत्पन्न हो जाता है. परंतु कोई भी ग्रह शुभ या अशुभ नहीं होता है बल्कि उसका फल शुभ-अशुभ होता ह. यदि कुंडली कोई ग्रह मजबूत स्थिति में होता है तो वह शुभ फल देता है.

राहु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है. वहीं जब कमजोर स्थिति में होता है तो उसके फल नकारात्मक मिलते हैं. यहां हम राहु ग्रह की बात कर रहे हैं. राहु को अशुभ फल देने वाला ग्रह माना जाता है लेकिन यह पूर्ण रूप से सत्य बात नहीं है. राहु कुंडली में शुभ होने पर शुभ फल भी देता है. इसके शुभ फल से व्यक्ति धनवान और राजयोग का सुख भी प्राप्त करता है.

वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह का महत्व

वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह को एक छाया ग्रह माना गया है. इसे छाया ग्रह इसलिए कहा जाता है क्योंकि केतु का अपना कोई वास्तविक रूप या आकार नहीं है। यह मोक्ष, अध्यात्म और वैराग्य का कारक है और एक रहस्यमी ग्रह है.

इसलिए जब केतु किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ होता है तो वह उस व्यक्ति की कल्पना शक्ति को असीम कर देता है जबकि अशुभ होने पर यह इंसान का सर्वनाश कर सकता है. केतु ग्रह किसी भी राशि का स्वामी नहीं होता है लेकिन धनु राशि में यह उच्च और मिथुन राशि में नीच का होता है.

उपाय

  • जिन जातकों की कुंडली में राहु-केतु अशुभ प्रभाव रखते हैं उनको इससे बचने के लिए शनिदेव और भैरव भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
  • हनुमान चालीसा का पाठ करने से राहु-केतु का प्रभाव नहीं रहता. जरूरतमंद लोगों को काले कंबल और जूते-चप्पल का दान करें.
  • किसी मंदिर में पूजन सामग्री अर्पित करें. माता दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
  • नाग पर नाचते हुए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए। साथ ही मंत्र (ओम नमः भगवते वासुदेवाय) का जाप करें.

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