Freud-unconscious-mind-vs-atma-hinduism-psychology-comparison | Unconscious Mind या आत्मा? Freud और वेदों की सोच कितनी मिलती-जुलती है, जानें

Sigmund Freud Birthday: हर वर्ष 6 मई को दुनिया सिगमंड फ्रायड को उनके जन्मदिन पर याद करती है. सिगमंड फ्रायड को एक ऐसे व्यक्तित्व के तौर पर जाना जाता है जिसने मनोविज्ञान की दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया. 6 मई 1856 को जन्मे Freud ने Unconscious Mind, Id, Ego, Libido और Dream Interpretation जैसे विचारों से मनुष्य की अंतःचेतना को समझने का नया मार्ग दिखाया.

आज, उनकी जयंती के अवसर पर यह जानना रोचक होगा कि उनके कई विचार भारत के प्राचीन दर्शन, विशेषकर सनातन हिंदू धर्म, योगसूत्र और ज्योतिष से गहराई से जुड़े प्रतीत होते हैं.

फ्रायड ने मानव मन की गहराई में छिपी जटिलताओं को समझाने के लिए Id, Ego और Superego जैसी अवधारणाएं दीं. लेकिन यदि हिंदू धर्म, विशेषतः सनातन दर्शन और योगशास्त्र की दृष्टि से देखें, तो ये विचार नए नहीं प्रतीत होते. वे कहीं-न-कहीं भारतीय ऋषियों की खोज और पारंपरिक ज्ञान से मिलते-जुलते लगते हैं.

त्रिगुण और मन की संरचना
Freud के अनुसार मन तीन भागों में बांटा गया है. Id-जो इच्छाओं से संचालित होता है. Ego-जो यथार्थ से संतुलन बनाता है, और Superego-जो नैतिकता का प्रतिनिधित्व करता है. सनातन धर्म में भी मनुष्य के स्वभाव को तीन गुणों तमस, रजस और सत्त्व से परिभाषित किया गया है. तमस अज्ञान और आलस्य का प्रतीक है, रजस क्रियाशीलता और वासना का, जबकि सत्त्व शुद्धता और विवेक का प्रतिनिधि है. यह त्रैविध्य मन की आंतरिक संरचना को ठीक वैसे ही समझाता है जैसे Freud का मॉडल.

योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः
पतंजलि योगसूत्र में कहा गया है: ‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः’ यानि योग वह स्थिति है जब चित्त की वृत्तियां शांत हो जाती हैं. फ्रायड ने भी यही बताया कि जब व्यक्ति अपने अवचेतन (Unconscious Mind) में दबी इच्छाओं और भावनाओं को समझ लेता है, तब मानसिक समाधान संभव होता है. दोनों दृष्टिकोण इस ओर इंगित करते हैं कि मन की गहराइयों में प्रवेश कर आत्मनिरीक्षण द्वारा ही समाधान मिलता है. यह मनोविश्लेषण और योगिक ध्यान की अद्भुत समानता है.

ज्योतिष और फ्रायड की विचारधारा
भारतीय ज्योतिष में मन और विचारों का संचालन चंद्रमा, बुध और शुक्र जैसे ग्रह करते हैं. चंद्रमा मन और भावना का, बुध तर्क और विवेक का तथा शुक्र वासना और आकर्षण का प्रतिनिधि है. ठीक इसी प्रकार, Freud ने भी मानसिक ऊर्जा और इच्छाओं को विभाजित कर उन्हें मानव व्यवहार का केंद्र बताया. खासतौर पर 12वां भाव, जिसे उपचेतन, गुप्त इच्छाओं और मोक्ष का भाव कहा जाता है, Freud के ‘Unconscious Mind’ से साम्य रखता है.

काम और लिबिडो की तुलना
Freud की सबसे चर्चित अवधारणा ‘Libido’ अर्थात् यौन ऊर्जा, भारतीय परंपरा में न केवल स्वीकार्य है, बल्कि उसे धर्म, अर्थ और मोक्ष के साथ चौथे पुरुषार्थ ‘काम’ के रूप में मान्यता प्राप्त है. कामसूत्र और तंत्र शास्त्र में काम को वर्जना नहीं बल्कि साधना की तरह देखा गया है. फ्रायड का यह विचार कि Libido मनुष्य की हर क्रिया के पीछे छिपी प्रेरक शक्ति है, सनातन धर्म के काम को जीवन के प्राकृतिक आयाम के रूप में देखने की दृष्टि से मेल खाता है.

मृत्यु और मोक्ष
Freud ने बाद में ‘Death Instinct’ या ‘Thanatos’ का सिद्धांत दिया, जिसमें मनुष्य की चेतना मृत्यु की ओर खिंचती है, जहां उसे शांति और स्थिरता मिलती है. यह विचार सनातन धर्म के मोक्ष सिद्धांत से मेल खाता है, जहां आत्मा जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर परमशांति प्राप्त करना चाहती है. Freud की मृत्यु की ओर लौटने की अवधारणा और ब्रह्म में आत्मा के विलय की कल्पना एक ही लक्ष्य को दो दृष्टिकोणों से दिखाते हैं.

क्या फ्रायड ने हिंदू ग्रंथ पढ़े?
ऐसा कोई प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध नहीं है जिससे कहा जा सके कि Freud ने वेद, उपनिषद या योगसूत्र पढ़े थे. लेकिन उनके समकालीन Carl Jung ने खुले रूप से भारतीय दर्शन को पढ़ा और उसे स्वीकार किया. Jung के फ्रायड के साथ गहरे बौद्धिक संवाद थे, जिससे यह संभावना बनती है कि हिंदू दर्शन का प्रभाव किसी न किसी रूप में फ्रायड के आसपास उपस्थित था.

सिगमंड फ्रायड के विचार भले ही पश्चिम में जन्मे हों, लेकिन उनकी जड़ें कहीं-न-कहीं पूर्व की गहराई से जुड़ती प्रतीत होती हैं. Id, Ego, Superego हो या Libido और Death Instinct ये सब उस सनातन ज्ञान की प्रतिध्वनि हैं जिसे भारत के ऋषियों ने हजारों वर्ष पहले आत्मसात किया था. कह सकते हैं कि फ्रायड ने अनजाने में ही वह फिर से खोज लिया जो ऋषियों को ज्ञात था.

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