सेबी स्टॉक मार्केट्स में सूचीबद्ध बैंकों के एग्जिक्यूटिव्स के लिए एक क्रैश कोर्स शुरू कर सकता है। एमडी एवं सीईओ, कंप्लायंस ऑफिसर्स और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स यह कोर्स कर सकेंगे। इसके पीछे सेबी का मकसद टॉप एग्जिक्यूटिव्स को बैंक से जुड़ी अहम जानकारियों के प्रति संवेदनशील बनाना है। अक्सर बड़े एग्जिक्यूटिव्स के पास ऐसी अहम जानकारियां होती हैं, जिनके दुरुपयोग होने का खतरा रहता है। सेबी के एक सीनियर सूत्र ने यह जानकारी दी।
कई बार अनजाने में जानकारियों का दुरुपयोग होता है
सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, “एग्जिक्यूटिव्स को अहम जानकारियों को लेकर संवेदनशील बनाना जरूरी है। कई बार जागरूकता की कमी या संवेदनशील जानकारियों के महत्व को ठीक तरह से नहीं समझ पाने से गलती हो जाती है।” उन्होंने कहा कि ऐसा पहला क्रैश कोर्स जून की शुरुआत में शुरू हो सकता है।
टॉप एग्जिक्यूटिव्स के पास थर्ड पार्टी की भी जानकारी
पहले और हाल में हुई कुछ ऐसे मामलों के बाद सेबी ने क्रैश कोर्स शुरू करने के फैसला किया है, जिसमें यह माना गया था कि इनसाइडर इंफॉर्मेशन यानी संवेदनशील जानकारियों का दुरुपयोग हुआ है। एक दूसरे सूत्र ने बताया कि बैंक के अधिकारियों के पास न सिर्फ अपने बैंक से जुड़ी अहम जानकारियां होती हैं बल्कि उनके पास थर्ड पार्टी के बारे में भी संवेदनशील जानकारियां होती हैं। बड़े अमाउंट के लोन की मंजूरी, डेट रिपेमेंट, डेट सेटलमेंट और CoC प्रोसिडिंग्स से जुड़ी जानकारी इसके उदाहरण हैं। इन जानकारियों का असर बैंक या थर्ड पार्टी के शेयरों पर पड़ सकता है।
इनसाइडर ट्रेडिंग की वजह से अचानक कीमतें चढ़ती या उतरती हैं
CoC का मतलब कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स से है। यह कमेटी NCLT के पास प्रस्ताव भेजे जाने से पहले रिजॉल्यूशन के प्लान को एप्रूव करती है। एक दूसरे सूत्र ने कहा, “पहले ऐसे मामले हो चुके हैं जिनमें फाइनेंशियल कंपनी के शेयर में अचानक तेजी या गिरावट देखने को मिली। इनमें बैंक भी शामिल थे। एक्सचेंज को रेगुलेटरी रेस्ट्रिक्शन या रेगुलेटरी रेस्ट्रिक्शन में नरमी की जानकारी मिलने से पहले ही शेयरों में तेज उतारचढ़ाव देखने को मिला।”
यह भी पढ़ें: SBI Stocks: एसबीआई ने पहली बार कमाया 70902 करोड़ प्रॉफिट, क्या आपको स्टॉक में निवेश करना चाहिए?
क्रैश कोर्स के बाद जरूरत पड़ी तो दूसरे विकल्प का होगा इस्तेमाल
सूत्रों ने बताया कि सेबी को सूचीबद्ध फाइनेंशियल कंपनियों के शेयरों की करीबी निगरानी के बारे में कुछ जानकारियां मिली थीं। लेकिन, मार्केट रेगुलेटर ने पहले जागरूकता के लिए कदम उठाने का फैसला किया। अगर ऐसे मामले व्यापक स्तर पर आते हैं तो दूसरे विकल्पों का इस्तेमाल किया जा सकता है। एक दूसरे सूत्र ने कहा कि बैंकों की इनसाइडर इंफॉर्मेशन को लेकर अपनी पॉलिसी हो सकती है, लेकिन क्रैश कोर्स के बाद अगर कोई कमी दिखाई देती है तो उसे दूर करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
ब्रजेश कुमार
Read More at hindi.moneycontrol.com