
प्रतीकात्मक फोटो।
पेशावर: पाकिस्तान में जब उनके अपने लोग मरे तो वहां के मौलवियों ने आतंकियों के जनाजों पर नमाज पढ़ने से इनकार कर दिया। मगर यही मुस्लिम और मौलवी भारत में आतंकी हमला होने पर या आतंकियों के मारे जाने पर उनके जनाजे पर सिर्फ नमाज ही नहीं पढ़ते, बल्कि उसे शहीद का दर्जा देने तक की मांग करते हैं। यही मौलवी भारत में आतंकी हमला होने पर आतंकवादियों का बचाव करते हैं और हिंदुस्तान के खिलाफ जहर उगलते हैं।
मगर इस बार पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकियों के शिकार हुए तो उनका अपनों से प्रेम जाग गया और उन्होंने आतंकियों के जनाजे पर नमाज नहीं पढ़ी। मामला पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से जुड़ा है, जहां सुरक्षाबलों के साथ झड़प में मारे गए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कमांडर के जनाजे पर नमाज पढ़ने से पाकिस्तानी मौलवियों ने इनकार कर दिया। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि टीटीपी कमांडर मिनहाज पिछले सप्ताह खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में उत्तरी वजीरिस्तान जिले के शावाल इलाके में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।
मौलवियों ने कहा-आतंकी निर्दोषों की हत्या के दोषी
पाकिस्तानी अधिकारियों ने बताया कि दक्षिणी वजीरिस्तान के मौलवियों ने शनिवार को मिनहाज की जनाजे की नमाज पढ़ाने से इनकार कर दिया और कहा कि वे निर्दोष लोगों की हत्याओं के लिए जिम्मेदार और देश के खिलाफ लड़ने वाले व्यक्ति के लिए जनाजे की नमाज नहीं पढ़ेंगे। मौलवियों के इनकार के बाद स्थानीय लोगों ने आतंकवादी को कब्रिस्तान में दफना दिया, जिसमें केवल 10 से 20 लोग ही शामिल हुए। इस संबंध में एक आदिवासी बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया कि वजीरिस्तान जिले में संभवत: यह पहली बार है कि उलेमा ने एक आतंकवादी की जनाजे की नमाज पढ़ाने से इनकार कर दिया। (भाषा)
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