पटना। राजद नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को प्रेसवार्ता करके बिहार की नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि, NDA की बिहार सरकार में संस्थागत भ्रष्टाचार और संगठित लूट के कारण राज्य में वित्तीय अराजकता फैली हुई है। एक भ्रष्टाचारी गिरोह बिहार को संचालित कर रहा है। तेजस्वी यादव ने आगे कहा, इस सरकार ने आनन-फ़ानन में विगत 7 कैबिनेट बैठकों में 76 हज़ार 622 करोड़ रुपये की योजनाओं की स्वीकृति दी है। इनमें से अधिकांश योजनाएं केवल निर्माण से संबंधित है जैसे भवन निर्माण विभाग, पथ निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग और अन्य ऐसे विभागों से सम्बंधित हैं जहां ग्लोबल टेंडर और ठेकेदारी के माध्यम से मंत्रियों को 30 प्रतिशत तक कमीशन मिलता है।
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उन्होंने आगे कहा, ये भ्रष्ट सरकार चुनावी वर्ष में निर्माण संबंधित योजनाओं में तत्काल टेंडर निकाल और तत्काल कमीशन प्राप्त कर चुनावी खर्च निकाल रही है। बिना सोचे समझे निर्माण करना और ढांचा खड़ा कर प्रदेश के खजाने का धन लूटना ही इस सरकार का उद्देश्य रह गया है। इनके लोग कह रहे है कि दुबारा तो सरकार में आना है नहीं इसलिए बचे समय में जल्द से जल्द टेंडर निकालो और लूट मचाओ। वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट साइज 3 लाख 17 हज़ार करोड़ रखा गया है जो विगत वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट की तुलना में 38 हज़ार करोड़ ज्यादा है।
तेजस्वी यादव ने आगे कहा, 3 लाख 17 हज़ार करोड़ के बजट में योजना व्यय (Scheme Expenditure) के लिए सिर्फ 1 लाख 16 हज़ार करोड़ रूपए Sanctioned हैं, जबकि पिछले तीन महीने में ही कैबिनेट के द्वारा चुनावी वर्ष को ध्यान में रखते हुए 76 हज़ार करोड़ से अधिक की योजनाओं की घोषणा की जा चुकी है। सरकार बताए कि इस वित्तीय वर्ष के बजट के योजना मद में जो 1 लाख 16 हज़ार करोड़ रूपए का जो प्रावधान किया गया है क्या उसमें विगत वित्तीय वर्ष की On-going योजनाओं की राशि सम्मिलित नहीं है? अगर है तो फिर नई योजनाओं के लिए राशि कहां से लाएंगे?
इस सरकार के कुल बजट का 8-9% प्रतिशत केवल सूद देने में ही जा रहा है। यानि आप समझिए कि सालाना 25 हज़ार करोड़ से लेकर 30 हज़ार करोड़ तो सरकार द्वारा लिए गए कर्ज का ब्याज चुकता करने में ही चला जाता है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में Total Debt Liability (कुल क़र्ज़) 4 लाख 6 हज़ार करोड़ संभावित है, जो GSDP (𝐆𝐫𝐨𝐬𝐬 𝐒𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐃𝐨𝐦𝐞𝐬𝐭𝐢𝐜 𝐏𝐫𝐨𝐝𝐮𝐜𝐭- सकल राज्य घरेलू उत्पाद) का 37% है। कहाँ से इन योजनाओं के लिए राशि लायेंगे? केंद्र से कोई विशेष मदद मिल नहीं रही है?
बिहार में 𝐈𝐧𝐬𝐭𝐢𝐭𝐮𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥 𝐂𝐨𝐫𝐫𝐮𝐩𝐭𝐢𝐨𝐧, 𝐎𝐫𝐠𝐚𝐧𝐢𝐬𝐞𝐝 𝐂𝐨𝐫𝐫𝐮𝐩𝐭𝐢𝐨𝐧 और 𝐑𝐞𝐭𝐚𝐢𝐥 𝐂𝐨𝐫𝐫𝐮𝐩𝐭𝐢𝐨𝐧 सभी रिकॉर्ड तोड़ चुका है। जनता ऊपर से लेकर नीचे तक अनियंत्रित भ्रष्टाचार, रिश्वतख़ोरी, घुसघोरी और दलाली से त्रस्त है। बिहार जैसे गरीब राज्य में जनता के पैसे से 2 अरब 25 करोड़ रुपए म दिल्ली से 600 डिजिटल रथ बुलाकर महिला संवाद के नाम पर लुटाए जा रहे है। बताइए 225 करोड़ रुपए कितनी बड़ी धनराशि है जिसका प्रयोग ये अपने चुनावी प्रचार में सरकारी खजाने से रथ चलाने में खर्च कर रहे है? संस्थागत और संगठित लूट का आलम यह है कि कुछेक सरकारी भवनों के रख-रखाव और साफ़-सफ़ाई पर यह सरकार 688 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। ऐसे भवनों की साफ़-सफ़ाई और रख-रखाव के लिए निजी कंपनियों को इस सरकार ने ठेका क्यों दिया है। इसके लिए सीधी नियुक्ति क्यों नहीं की ताकि इससे हज़ारों गरीब लोगों को नौकरी मिलती।
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राजद नेता ने आगे कहा कि, नल-जल योजना में कितना भ्रष्टाचार हुआ है। क्या सरकार के पास इसका कोई आँकलन है? कौन नहीं जानता कि इस योजना में हज़ारों-हज़ार करोड़ की संस्थागत लूट हुई? कितने नलों में जल आ रहा है? बिना सोचे समझे, बिना किसी पहुँच पथ के इस सरकार ने NDA के शासनकाल में प्रदेश में 5,000 ऐसे पुल-पुलिया बनाए है जिनका कोई उपयोग ही नहीं हो रहा? बताइए उन 𝟓 हज़ार पुल-पुलिया का हज़ारों-हज़ार करोड़ किसने लूटा? बिना Approach रोड के किसने वो पुल-पुलिया बनवायें? क्या यह संगठित लूट नहीं है? फिर उसी प्रकार की लूट के लिए आनन-फानन में 76,622 करोड़ की निर्माण संबंधित परियोजनाओं के निर्णय लिए जा रहे है।
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