Bangladesh banned Indian Yarn import Experts told How Muhammad Yunus Government Will be affected

भारत की ओर से ट्रांसशिपमेंट सुविधा बंद किए जाने के बाद बांग्लादेश ने भी सूत के इंपोर्ट पर रोक लगा दी है. बांग्लादेश में बड़ा कपड़ा उद्योग है, जिसके लिए भारत वहां सूत एक्सपोर्ट करता है. अब उसने भारत से लैंड पोर्ट रूट के जरिए सूत के आयात पर पाबंदी लगा दी है.

बांग्लादेश अखबर द डेली न्यूज के अनुसार नेशनल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (NBR) ने स्थानीय कपड़ा उद्योग को भारत के कच्चे माल से बचाने के लिए यह फैसला लिया है, लेकिन कहा जा रहा है कि ये फैसला करके बांग्लादेश ने अपने लिए ही गड्ढा खोद लिया है.

रिपोर्ट के अनुसार मोहम्मद यूनुस सरकार के इस फैसले का कपड़ा मिल के मालिकों ने तो स्वागत किया है, लेकिन निर्यातकों ने आपत्ति जताई है. रिपोर्ट में कहा गया, ’13 अप्रैल को जारी अधिसूचना में एनबीआर ने बेनापोले, भोमरा, बांग्लाबंधा, बरीमारी और सोनामस्जिद लैंड पोर्ट के जरिए भारत से आयात होने वाले सूत पर पाबंदी लगा दी है.’ 

प्लमी फैशन लिमिटेड के महाप्रबंधक मोहम्मद फजलुल हक ने सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि पहले ही बांग्लादेश अमेरिकी बाजार में एक्सपोर्ट पर 10 परसेंट टैरिफ का सामना कर रहा है. हमें भारतीय उत्पादों से भी चुनौती मिल रही है, ऐसे समय में ये फैसला करना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत से सूत के आयात पर किसी भी तरह की पाबंदी से बांग्लादेश का निर्यात प्रभावित होगा और सूत आयात की अनुमति मिलनी चाहिए. 

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड इनिशिएटिव के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने बांग्लादेश के इस फैसले का असर कपड़े की क्वालिटी और नौकरियों पर पड़ने की चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का 80 परसेंट एक्सपोर्ट कपड़ा है. वहां काफी अच्छी क्वालिटी का कपड़ा बनता है. उन्होंने बताया कि कपड़ा बनाने के दो तरीके हैं, एक ये कि बांग्लादेश चीन से फैब्रिक लाकर सीधे अपनी लेबर से कटिंग और सिलाई करवाकर मार्केट में भेज दे. दूसरा तरीका ये है कि सूत लाइए, फिर फैब्रिक बनाओ और उससे कपड़े सिले जाएं, जिसमें वैल्यू एडिशन होगा, लेकिन जो पहला तरीका है उसमें वैल्यू एडिशन नहीं होगा.

अजय श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि बांग्लादेश के कपड़ा कारोबारी एक साल में 1.5 अरब डॉलर का सूत भारत से ले रहे थे, ऐसे में सूत को फैब्रिक बनाने वाली बांग्लादेश में कई इंडस्ट्री हैं, लेकिन अगर चीन से फैब्रिक मंगवाया जाता है तब एक तो कपड़े की क्वालिटी खराब होगी और दूसरा बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां जाएंगी. इस तरह चीन को फायदा होगा, लेकिन बांग्लादेश को नुकसान होगा.

बांग्लादेश के फैसले को भारत के लिए भी सही नहीं माना जा रहा है क्योंकि 32 परसेंट सूत का एक्सपोर्ट भारत लैंड पोर्ट के जरिए बांग्लादेश में करता है. भारत ने 160 करोड़ सूत और 8.5 करोड़ मानव निर्मित फाइबर बांग्लादेश को पिछले साल भेजा था. एक एक्सपर्ट ने बताया कि भारत जितने सूत का एक्सपोर्ट करता है, उसमें से 45 परसेंट सिर्फ बांग्लादेश में होता है.

कॉटन टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के कार्यकारी निदेशक सिद्धार्थ राजगोपाल ने बताया कि बांग्लादेश का यह फैसला काफी चिंताजनक है क्योंकि भारत ज्यादातर सूत का एक्सपोर्ट लैंड पोर्ट के जरिए करता है. उन्होंने बताया कि उत्तर भारत की मिलों से एक्सपोर्ट किया जाता था, लेकिन अब मुंद्रा, थुठुकुडी या नहवा शेवा पोर्ट से करना होगा, जिसकी वजह से एक्सपोर्ट में लागत ज्यादा आएगी.

 

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