chandrayaan-in-mahabharat-shlok-Ancient-Technology-India-ka-sach-sanjay-drishti-vedas | महाभारत के इस श्लोक में लिखा है AI और चंद्रयान का रहस्य? अब जाकर दुनिया को समझ आया!

क्या आप मान सकते हैं कि AI, लाइव सैटेलाइट ट्रांसमिशन और चंद्रयान (Chandrayaan) जैसे मिशन की कल्पना 5000 साल पहले महाभारत में की जा चुकी थी? महाभारत (Mahabharat) के रचियता महर्षि वेद व्यास (Ved Vyas) द्वारा कहा गया एक श्लोक आज के वैज्ञानिकों को हैरानी में डाल रहा है. अब जाकर दुनिया समझ पाई है कि ‘संजय दृष्टि’ महज दिव्य वरदान नहीं, बल्कि भविष्य की टेक्नोलॉजी की रूपरेखा थी!

वह रहस्यमय श्लोक जो AI और लाइव ट्रांसमिशन की ओर इशारा करता है-
‘तत्र स्थितो महाराज दृष्ट्वा युद्धं महात्मनाम्.
संजयो धर्मराजाय सर्वं आख्यातवां ततः॥’

(महाभारत, भीष्म पर्व – अध्याय 2, श्लोक 32):

भावार्थ: ‘हे महाराज! संजय वहीं स्थित रहकर युद्धभूमि में घटित हर दृश्य को देख और जानकर धर्मराज युधिष्ठिर को कहा सुनाता है.’ संजय दूर से ही बैठे हुए धृतराष्ट्र को कुरुक्षेत्र के युद्ध का आंखों देखा हाल सुना रहे हैं, जैसे वे स्वयं वहां मौजूद हों. आज के आधुनिक युग में यदि इस श्लोक की तुलना करें तो स्पष्ट होता कि संजय की ‘दिव्य दृष्टि’ ही आज का सैटेलाइट (Satellite), लाइव वीडियो (Live Video) जो बिना युद्धभूमि गए वह ‘हर संवाद’ और ‘हर क्रिया’ देखते और सुनाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे आज AI आधारित रिमोट सेंसिंग सिस्टम.

क्या ‘संजय’ ही थे भारत के पहले AI इंटरफेस?
AI (Artificial Intelligence) का मूल उद्देश्य है, डेटा को संशोधित कर सटीक उत्तर देना, ठीक वही कार्य उस समय संजय कर रहे थे, कैसे-

  1. युद्ध का लाइव वर्णन
  2. संवादों को दोहराना
  3. नायकों के मन की बातों की जानकारी

इससे यह धारणा और अधिक मजबूत प्रतीत होती है कि शायद AI का आदिकल्प महाभारत (Mahabharat) युग में ही दर्शन रूप में प्रस्तुत कर दिया गया था. जब संजय ने बताया ‘चंद्रमा पर युद्ध’ एक अन्य प्रसंग में जब अर्जुन दिव्यास्त्रों का प्रयोग करते हैं और संजय कहते हैं-

‘यथा चन्द्रमसो मूर्ध्नि दीप्यते तेजसा युतम्’

यानी ‘उनका अस्त्र ऐसा प्रतीत होता है मानो चंद्रमा (Moon) के शिखर पर प्रकाश फूट पड़ा हो.’ इसका एक संभावित अर्थ ये भी हो सकता है कि यह चंद्रमा पर रोशनी, प्रभाव या घटना का संदर्भ है. कई विद्वानों का मानना है कि यह चंद्रयान (Chandrayaan) जैसे मिशन की रूपकात्मक भविष्यवाणी हो सकती है. जब अस्त्र पृथ्वी से चंद्र पर प्रभाव करता है, तो वह लूनर इम्पैक्ट मिसाइल या इमेजिंग की तर्ज पर समझा जा सकता है.

सिर्फ कल्पना नहीं, यह है ‘साइंटिफिक विज़न’
ऋषि व्यास और संजय केवल आध्यात्मिक नहीं, अभूतपूर्व वैज्ञानिक द्रष्टा थे. महाभारत में कई बार ‘विमान’, ‘यंत्र’, ‘ध्वनि चालन’ जैसे शब्द मिलते हैं. वेदों में ‘अग्नि की गति से तेज गमन’ और ‘स्वर्गारोहण यंत्र’ का उल्लेख भी मिलता है. ये सभी टेक्नोलॉजिकल टर्म्स उस युग में ‘दिव्य’ माने गए, लेकिन आज उन्हें विज्ञान की भाषा में पढ़ा और समझा जा सकता है.

क्या AI और स्पेस टेक महाभारत से प्रेरित है?
NASA के कुछ वैज्ञानिकों ने 1980 के दशक में ‘Ancient Indian Science’ पर रिसर्च शुरू की थी. कई वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि महाभारत की कथाएं केवल धर्म नहीं, भविष्य के विज्ञान की पूर्व रूपरेखा हैं.

धर्म और विज्ञान क्या भारत का प्राचीन चमत्कार!
प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों ने जो देखा, वह केवल ध्यान या दिव्यता नहीं थी, बल्कि वह एक गहन आंतरिक विज्ञान और गुप्त तकनीक आधारित ज्ञान था. आज जब लोग AI, सैटेलाइट, और चंद्रयान (Chandrayaan) की बात करते हैं, तो यह समझना चाहिए कि उसकी नींव भारतीय प्राचीन शास्त्र, ग्रंथ और वेदों में बहुत पहले ही रखी जा चुकी थी.

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