क्या RBI रेपो रेट के फैसले से मिलेगी बाजार को संजीवनी? पिछले 5 साल के डेटा बता रहे पूरी कहानी

RBI Repo Rate Cut: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 25 बेसिस पॉइंट्स की रेपो रेट कटौती की है, जिससे यह घटकर 6% पर आ गया है. यह कदम ऐसे समय पर आया है जब वैश्विक बाजारों में टैरिफ वॉर और आर्थिक अनिश्चितताओं की धुंध छाई हुई है. पिछले पांच वर्षों के आंकड़े यह बताते हैं कि MPC (मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी) की बैठक के दिन बाजार की प्रतिक्रिया न केवल ब्याज दरों पर आधारित होती है, बल्कि बाजार की उम्मीदों और आरबीआई की भाषा पर भी निर्भर करती है. इसलिए चलिए पिछले 5 साल के डेटा पर नजर डालते हैं और यह समझते हैं कि यह बैठक इक्विटी मार्केट के लिए कैसा साबित होती है. साथ में एक्सपर्ट से इस बार के ऐलान का मतलब भी समझेंगे. 

पिछले 5 सालों का ट्रेंड क्या कहता है?

2020 के दौरान जब कोरोना महामारी का असर चरम पर था, तब RBI ने आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में कटौती की, जिससे शेयर बाजार में मजबूती देखी गई. इसके बाद 2021 में महामारी की वापसी के दौरान RBI ने नीतिगत नरमी बनाए रखी, जिससे बाजार को स्थिरता और पॉजिटिवी मिली.

2022 में महंगाई पर काबू पाने के लिए RBI ने कई बार दरें बढ़ाईं, जिससे बैंकिंग और रियल एस्टेट जैसे रेट-सेंसिटिव सेक्टरों पर दबाव बना. हालांकि, 2023 और 2024 में जब ब्याज दरों को स्थिर रखा गया, तब बाजार ने सामान्य प्रतिक्रिया दी, जिससे साफ होता है कि बाजार अब नीतिगत स्पष्टता और स्थिरता को अधिक तवज्जो देता है.

2025 में फरवरी और अप्रैल दोनों मौकों पर RBI ने दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की. हालांकि फरवरी में बाजार की प्रतिक्रिया सीमित रही, अप्रैल में ऑटो सेक्टर में 1% तक की तेजी देखी गई, जबकि बैंकिंग और फाइनेंशियल स्टॉक्स में 4% तक की गिरावट आई. इससे यह स्पष्ट होता है कि दरों में कटौती हमेशा सभी सेक्टरों के लिए फायदेमंद नहीं होती.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

LIC हाउसिंग फाइनेंस के एमडी एवं सीईओ त्रिभुवन अधिकारी के अनुसार, RBI की यह रेट कटौती न केवल उम्मीद के अनुरूप है, बल्कि मिड-इनकम और अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट के लिए बड़ा प्रोत्साहन है. इससे ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ के टार्गेट को बल मिलेगा.

TRUST म्यूचुअल फंड के सीईओ संदीप बगला ने कहा कि RBI की स्टांस में बदलाव (न्यूट्रल से एकोमोडेटिव) घरेलू विकास के प्रति समर्थन का संकेत है. उन्होंने सुझाव दिया कि निवेशकों को शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स में निवेश करना चाहिए क्योंकि यह बेहतर जोखिम-रिटर्न का संतुलन देते हैं.

CBRE इंडिया के चेयरमैन अंशुमान मैगजीन ने RBI के फैसले को अर्थव्यवस्था के लिए ‘सकारात्मक संकेत’ बताया, जो निवेशकों के आत्मविश्वास को मजबूत करेगा और हाउसिंग सेक्टर में मांग को गति देगा.

आनंद राठी समूह के चीफ इकनॉमिस्ट सुजान हाजरा ने इसे ग्रोथ रिकवरी को समर्थन देने वाला कदम बताया. उन्होंने यह भी कहा कि अब सिस्टम में लिक्विडिटी की स्थिति बेहतर है, जो भविष्य की स्थिरता को दिखाता है.

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