क्या भगवान सबकी सुनते हैं? जानिए किनकी प्रार्थना कभी नहीं टाली जाती

<p style="text-align: justify;"><strong>Puja Kaise Safal Hogi:</strong> पूजा, इबादत, प्रेयर, दुआ, अरदाज ये सभी शब्द भले ही अलग-अलग हों लेकिन इनके मायने एक ही है. हर व्यक्ति अपने धर्म के नियमों का पालन करते हुए ईश्वर की साधना करता है. ईश्वर की भक्ति करने से ना सिर्फ मन को शांति प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में शुभता का आगमन होता है और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.</p>
<p style="text-align: justify;">सबके पूजा करने के तरीके अलग हो सकते हैं, लेकिन ज&nbsp; लेकिन पूजा का पुण्य फल आपको तभी प्राप्त होता है जब आप सही दैनिक जीवन में कुछ खास बातों का ध्यान रखते हैं. जानें किन लोगों की प्रार्थन कभी नहीं टाली जाती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>किन लोगों की प्रार्थनी कभी नहीं टाली जाती</strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कर्म -</strong> अपने अच्छे कर्म से ही व्यक्ति अपनी किस्मत को जगाता है. कर्म ही हमारा सबसे बड़ा धर्म है. श्रीमद् भगवदगीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्मयोग का संदेश दिया, जिसमें कहा गया है कि कर्म करना आवश्यक है, लेकिन फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए.</p>
<p style="text-align: justify;">जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है उसका जीवन सदा सुखमय रहता है क्योंकि ईश्वर की कृपा उसपर बरसती है. अच्छे कर्मों से न सिर्फ देवी-देवता बल्कि ग्रह नक्षत्र भी अनुकूल रहते हैं. ऐसे लोगों की मनोकामना जल्द पूरी होती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>माता पिता, बुजुर्गों की सेवा -</strong> माता-पिता को ईश्वर का दर्जा प्राप्त है. माता पिता की सेवा करना हर संतान का प्रथम फर्ज है. जो कभी अपने माता पिता का तन, मन, वाणी से दिल नहीं दुखाते वह देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाते हैं. कहा जाता है ऐसे लोगों की प्रार्थना जल्द स्वीकार की जाती है जो लोग अपने माता पिता का आदर और सम्मान करते हैं, उनकी हर छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान रखते हैं. ऐसे लोग सभी के प्रिय और देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन: चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्॥</strong> वृद्धजनों को सर्वदा अभिवादन अर्थात सादर प्रणाम, नमस्कार, चरण स्पर्श और उनकी नित्य सेवा करने वाले मनुष्य की आयु, विद्या, यश और बल-ये चारों बढ़ते हैं. इनके प्रति कभी मन में बुरे विचार न लाएं, क्योंकि इनके आशीर्वा के बिना उन्नति संभव नहीं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अहंकार, क्रोध, लालच, मोह से परे -</strong> व्यक्ति के कर्म के अलावा उसके अच्छे और बुरे व्यवहार का जीवन पर बहुत असर पड़ता है. एक लौटा शिव जी को जल चढ़ाने के बाद अगर किसी के मन में लालच, अहंकार के भाव में किसी का अहित किया तो वो पूजा कभी सफल नहीं होती.</p>
<p style="text-align: justify;">जो लोग इन विकारों की जद में रहते हैं ईश्वर उनकी पूजा, आराधना कभी स्वाकीर नहीं करते. वहीं जो मन-तन से पवित्र होते हैं,हमेशा सकारात्मक सोच रखते हैं उनकी मानसिक पूजा से ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>दान -</strong> दान को मनुष्य का समाज के प्रति सबसे अहम योगदान माना गया है. दान का पुण्य न सिर्फ इस जन्म बल्कि अगले जन्म तक व्यक्ति को मिलता है लेकिन धर्म की राह में लोग अक्सर कुछ गलतियाँ कर देते है जिसका उन्हें खुद पता नहीं चलता.</p>
<p style="text-align: justify;">दान वही फलित होता है जो व्यक्ति निस्वार्थ भाव से दिया गया है. ऐसे लोगों की भगवान जल्द प्रार्थन स्वीकारते हैं. जिसके बदले कुछ पाने की इच्छा हो, साथ ही पत्नी, बुजुर्ग, गुरु, परिवार को दुःखी करते हुए दान देता है, वह दान पुण्य प्रदान नहीं करता है. दान सभी की प्रसन्नता के साथ दिया जाना चाहिए.</p>
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