अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दुनिया के कई देशों पर जवाबी टैरिफ लगाए जाने का असर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की गतिविधियों पर भी पड़ा है। FPI ने पिछले 4 कारोबारी सत्रों यानि अप्रैल के शुरुआती 4 दिनों में भारतीय शेयर बाजार से 10,355 करोड़ रुपये निकाले हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, 21 मार्च से 28 मार्च तक 6 कारोबारी सत्रों में FPI ने भारतीय बाजार में 30,927 करोड़ रुपये डाले थे। इस निवेशक की वजह से मार्च महीने में उनकी कुल निकासी घटकर 3,973 करोड़ रुपये रही।
इससे पहले फरवरी में, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयरों से 34,574 करोड़ रुपये निकाले थे। जनवरी में निकासी का आंकड़ा 78,027 करोड़ रुपये रहा था। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बीडीओ इंडिया के पार्टनर और लीडर, FS टैक्स, टैक्स एंड रेगुलेटरी सर्विसेज मनोज पुरोहित का कहना है कि आने वाले दिनों में मार्केट पार्टिसिपेंट्स की निगाह अमेरिकी टैरिफ के लॉन्ग टर्म इंपैक्ट और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की इस सप्ताह होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग पर रहेगी। बाजार उम्मीद कर रहा है कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट में कटौती करेगा। ये घटनाक्रम आगे आने वाले दिनों में निवेश रणनीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
2025 में अब तक FPI ने निकाले 1.27 लाख करोड़
आंकड़ों के अनुसार, FPI ने 1 अप्रैल से लेकर 4 अप्रैल तक भारतीय शेयरों से शुद्ध रूप से 10,355 करोड़ रुपये निकाले। इसके साथ ही 2025 में अब तक FPI की कुल निकासी 1.27 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। डेट मार्केट की बात करें तो आंकड़ों के अनुसार, FPI ने अप्रैल में अब तक बॉन्ड या डेट मार्केट से जनरल लिमिट के तहत 556 करोड़ रुपये और वॉलंटरी रिटेंशन रूट से 4,038 करोड़ रुपये निकाले हैं।
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जवाबी टैरिफ से अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी
जियोजीत इनवेस्टमेंट्स के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार के मुताबिक, ‘‘अमेरिकी टैरिफ उम्मीद से कहीं अधिक हैं। अब उनके व्यापक आर्थिक प्रभाव को लेकर चिंता है।’’ उन्होंने कहा कि भारत और अन्य देशों पर जवाबी टैरिफ से अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी। इन घटनाक्रमों के चलते अमेरिकी बाजारों में भी भारी बिकवाली देखने को मिली है। सिर्फ दो कारोबारी सत्रों में एसएंडपी 500 और नैस्डैक में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।
विजयकुमार ने कहा, ‘‘ट्रेड वॉर के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जिससे ग्लोबल ट्रेड और आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ेगा। हालांकि, डॉलर इंडेक्स के घटकर 102 तक आने को भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कैपिटल फ्लो के लिए अनुकूल माना जा रहा है।’’
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