Ram Navami 2025 Lord rama shobha yatra procession significance in ramayan

Ram Navami 2025: प्रत्येक वर्ष रामनवमी पर हम सभी हर जगह शोभा यात्रा देखते हैं लेकिन क्या यह रामायण में वर्णित हैं? इसका उत्तर अपको आनंद रामायण (मनोहर कांड सर्ग क्रमांक 10, श्लोक संख्या 104-139) में मिलता हैं.

आनंद रामायण अनुसार, संवत्सर की प्रतिपदा को मकान के ऊपर दिव्य वस्त्र और माला आदि से अलंकृत ध्वजायें राम जन्म की सूचक तथा रामको प्रसन्न करने के लिए घर-घर स्थापित करके भक्तिपूर्वक उनका पूजन करना चाहिए. घर में, देवालय में, गोशाला में तथा तुलसी की बगीची में उन दिनों चन्दन के जल का छिड़काव करना चाहिए. इसके बाद पत्थरके चूर्णसे कमल आदि बनाने चाहियें.

अतिशय सुन्दर चित्र मण्डप बनाये. उस मण्डप में चार द्वार वनावे और स्थान-स्थानपर तोरण की स्थापना करे. जहाँ- तहाँ केले के खम्भे तया इक्षुदण्ड पड़े करे. उनमें तरह-तरह के घण्टे और किकिणी आदि लगा दे, जिनकी मधुर ध्वनि सुनायी पड़ती रहें. जहाँ-तहाँ सुन्दर और बड़े-बड़े शीशे लगा दे, विविध प्रकार के चित्र लगावे. उसमें सुवर्णमय अथवा रत्नमण्डित मंच की रचना करे और उसपर अच्छे-अच्छे मनोरम शय्या बीछावें.

फिर उस पर कांचनमयी प्रतिमा स्थापित करें. रामचन्द्रजी की यह प्रतिमा सब सुलक्षणों से लक्षित होनी चाहिए.  जैसी अपनी सामर्थ्य हो, उसके अनुसार प्रतिदिन पूजन करे. उनके सामने भेरी, मृदंग, तुड़ही अदि बाजे बजाये और नाचे-गाये. नाना प्रकार के नैवेद्यों और उपचारों से पूजन करे.

इस विधि से नवरात्र में विशेष कर नवमी तिथि को वाहन पर आरूढ़ राम का पूजन कर के भेरी, मृदंग, तुड़ही, दुन्दुभी आदि के गम्भीर नाद, गणिकाओंके नृत्य, गायकों के गायन आदि नाना प्रकारके उत्साहों से मंडित, सुन्दर छत्र से सुशोभित, चमर से अलंकृत, पुष्पक विमानपर आरूढ़ रामचन्द्रजी को रामतीर्थ पर ले जाकर पंचामृत के घड़ों तथा पवित्र जलो से स्नान कारावें.

स्नान कराते समय रुद्र–सूक्त, विष्णुसू–क्त अथवा सहस्रनामावली का पाठ करें. पहले ही जल में विविध प्रकारके मङ्गलमय द्रव्य मिला ले. इस तरह मङ्गलद्रव्य मिले जल से स्नान कराने को मङ्गलस्नान कहते हैं. यह चैत्रमास में किया जाता है और बड़ी कठिनाई से ऐसा सुयोग प्राप्त होता हैं. उस स्नान के पंचामृत को किसी तोर्थ में डाल दे और पूजा में जितने लोग सम्मिलित हुए हों, वे सब उस तीर्थ में जाकर स्नान करें (रामनवी की शोभा यात्रा).

तभी प्राणी को मङ्गलस्नान का फल प्राप्त होता हैं. पुष्कर आदि तीर्थों तथा गङ्गा आदि नदियों में स्नान करने से जो फछ मिलता है, वही फल मङ्गलस्नान करनेवालेको प्राप्त होता हैं. इस तरह सीता समेत राम को स्नान कराकर उनकी पूजा करे और पूर्वोक्त वाजे-गाजे के साथ फिर उन्हें अपने घर ले आवे (रामनवमी शोभा यात्रा) घर पर राम को लाकर उनकी पूजा करें.  नाना प्रकार के उत्सव मनाता हुआ दिन बिताये और रात- भर जागरण करें.

इस तरह से तीर्थ यात्रा से वापस लौटने पर शोभा यात्रा निकाली जाती हैं.

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