Why Langur is necessary in kanya puja astami navami 2025

Kanya Puja 2025: चैत्र नवरात्रि की अष्टमी 5 अप्रैल को है और नवमी 6 अप्रैल को मनाई जाएगी. इन दोनों दिनों में कन्या पूजन करने का विधान है. कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर इनका स्वागत किया जाता है. इनका आर्शीवाद लिया जाता है.

कन्या पूजन करने से माता की कृपा आप पर बनी रहती है और  घर-परिवार में सुख-समृद्धि रहती है. इनके साथ ही एक बटुक भी कन्याओं के साथ बुलाया जाता है, इसके बिना कन्या पूजन अधूरा है. आखिर क्यों कन्याओं के साथ एक लंगूर को किया जाता है आमंत्रित ?

कन्या पूजन में क्यों साथ होना चाहिए लंगूर ?

पौराणिक कथा के अनुसार माता ने भैरवनाथ को वरदान दिया था कि उनके साथ-साथ जहां भी भैरव की पूजा होगी वहां सुख-समृद्धि आएगी और व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति भी मिलेगी. धार्मिक मान्यता है कि जहां बाबा भैरव विराजमान होते हैं, वहां शुभ कार्यों में कोई विघ्न नहीं आता, क्योंकि भैरवनाथ समस्त नकारात्मक ऊर्जा से लड़ने की शक्ति रखते हैं और उस स्थान की रक्षा करते हैं. यही वजह है कि कन्याओं के साथ एक लंगूर को जरुर बुलाया जाता है.

कन्या पूजन में लंगूर किसका स्वरूप ?

कन्या पूजन में शामिल इस बालक को लंगूर, लांगूर, लांगुरिया, बटुक भी कहा जाता है. बटुक भैरव, भगवान भैरव का सौम्य रूप माने जाते हैं. देवी मैया के जितने भी शक्तिपीठ हैं और प्रसिद्ध मंदिर हैं उन सभी के मुख्य और प्रवेश द्वार पर भैरव बाबा के मंदिर स्थापित है. पौराणिक मान्यता है कि देवी मंदिरों में भैरव बाबा रक्षक की भूमिका निभाते हैं.

लंगूर न मिले तो क्या करें ?

अगर किसी कारणवश कन्या पूजन के लिए कोई बालक नहीं मिले तो लंगूर के नाम से भोजन की थाली निकाले और वो भोग कूत्ते को खिला दें. कुत्ता भैरवनाथ का वाहन है. उसे भोजन कराने पर बाबा भैरव की कृपा मिलती है.

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