Intermittent Fasting vs Calorie Deficit Diet : आज मोटापा एपिडेमिक बनता जा रहा है. भागदौड़ वाली जिंदगी में लोग इतने बिजी हो गए हैं कि अपनी सेहत का सही तरह ध्यान ही नहीं रख पा रहे हैं. लिहाजा वजन बढ़ता जाता है, जो कई बीमारियां का कारण बनता है. इनसे परेशान लोग फास्टिंग से लेकर जिम और डाइट प्लान अपनाने लगते हैं.
कुछ लोग तो वजन घटाने (Weight Loss) के लिए दो प्रमुख तरीके इंटरमिटेंट फास्टिंग और कैलोरी डेफिसिट डाइट की मदद लेते हैं. लेकिन इन दोनों में से कौन सा तरीका ज्यादा बेहतर है, इसकी जानकारी कम लोगों को ही होती है. तो चलिए जानते हैं दोनों के बीच का फर्क…
इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है
इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) में आप कुछ घंटों तक खाना नहीं खाते और फिर बाकी समय में सामान्य रूप से खाना खाते हैं. यह तरीका खाने के और फास्टिंग के समय को साइक्लिक रूप में बांटता है. जैसे 16 और 8 का तरीका सबसे पॉपुलर है. जिसमें आप 16 घंटे तक उपवास रखते हैं और 8 घंटे में अपना खाना पूरा करते हैं. इससे वजन घटाने में मदद मिलती है, शरीर की मेटाबोलिज्म सुधरता है, ब्लड शुगर और इंसुलिन का लेवल कंट्रोल में रहता है, पेट को आराम देने के लिए समय मिलता है, जिससे शरीर अधिक कैलोरी बर्न कर पाता है.
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कैलोरी डेफिसिट डाइट क्या है
कैलोरी डेफिसिट डाइट (Calorie Deficit Diet) का मतलब है कि आप जितनी कैलोरी खा रहे हैं, वो आपके शरीर को जरूरत से कम हो. जब आप कैलोरी की खपत को अपनी रोजाना की जरूरत से कम कर देते हैं, तो आपका शरीर जमे फैट को ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने लगता है, जिससे वजन घटता है. इस तरीके से सीधे तौर पर कैलोरी की खपत को कम करके वजन घटाने में मदद मिलती है. यह काफी आसान तरीका है. इसमें अलग-अलग तरह के फूड्स शामिल किए जाते हैं. जैसे- कम कैलोरी वाले भोजन, हेल्दी स्नैक्स.
वजन घटाने के लिए कौन सा तरीका ज्यादा बेहतर
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग, कैलोरी डेफिसिट डाइट की तुलना में ज्यादा वजन कम करता है. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में अपने रिजल्ट पब्लिश किए. अध्ययन से पता चला है कि 4:3 प्लान, इंटरमिटेंट फास्टिंग का एक पसंदीदा तरीका है, जिसमें व्यक्ति हफ्ते में 4 दिन खुले तौर पर खाते हैं और हफ्ते में तीन दिन तेजी से कम कैलोरी डाइट को फॉलो करते हैं.
इस अध्ययन में पता चला कि एक साल में इस तरीके से औसत शरीर के वजन में 7.6% की कमी हुई, जबकि कैलोरी डेफिसिट डाइट ग्रुप में वजन कम करने का रेट सिर्फ 5% ही थी. हालांकि पिछले कुछ अध्ययनों ने इन दोनों तरीकों में ज्यादा अंतर नहीं बताया गया है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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